शरद पवार नहीं कर पाए अपनी ही पार्टी को वोट, जानिए क्या है उनका दावा
महाराष्ट्र के सातारा में मीडिया से बात करते हुए शरद पवार ने कहा कि उन्होंने खुद इस बात का अनुभव लिया है कि वोटिंग मशीन का कोई भी बटन दबाओ, वोट बीजेपी को ही जा रहा था.
highlights
- शरद पवार ने किया ईवीएम हैकिंग का दावा
- चुनाव आयोग ने खारिज किए ईवीएम हैकिंग के सभी दावे
- सबसे पहले बीजेपी ने किया था ईवीएम हैकिंग का दावा
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र के दिग्गज नेता और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने एक सनसनीखेज दावा ईवीएम मशीन (EVM) को लेकर किया है. उन्होंने दावा करते हुए कहा है कि ईवीएम (EVM) में कोई भी बटन दबाओ वोट भारतीय जनता पार्टी (BJP) कमल को ही जा रहा है. उन्होने बताया कि मैने अपना वोट डालने के लिए ईवीएम मशीन में घड़ी का बटन दबाया लेकिन वोट कमल को चला गया है. महाराष्ट्र के सातारा में मीडिया से बात करते हुए शरद पवार ने कहा कि उन्होंने खुद इस बात का अनुभव लिया है कि वोटिंग मशीन का कोई भी बटन दबाओ, वोट बीजेपी को ही जा रहा था.
इसीलिए मुझे ईवीएम (EVM) के चुनाव परिणामों पर चिंता हो रही है. पवार यही पर नहीं रुके उन्होंने आगे कहा, 'मेरे सामने किसी ने हैदराबाद और गुजरात की वोटिंग मशीनें रखीं और मुझसे बटन दबाने को कहा गया. मैंने अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न घड़ी के सामने वाला बटन दबाया, लेकिन वोट बीजेपी के चुनाव चिह्न कमल पर गया. यह मैंने अपनी आंखों से देखा है.'
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पवार ने यह भी कहा कि हो सकता है, सभी मशीनों में ऐसा न होता हो, लेकिन जो मैंने देखा वह लोकतंत्र के लिए बहुत ही चिंताजनक है. इसीलिए हम न्याय मांगने कोर्ट गए, लेकिन दुर्भाग्य से कोर्ट ने हमारी बात नहीं सुनी. हमने अदालत से 50 प्रतिशत वीवीपैट मशीनों की पेपर स्लिप की गिनती करने की मांग की थी. पवार ने कहा कि इस चुनाव से पहले तक वोटिंग की सभी वीवीपैट स्लिपों की गिनती होती थी. पहले की स्लिप आकार में भी बड़ी थीं.
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चुनाव आयोग ने खारिज किए ईवीएम हैकिंग के दावे
केंद्रीय चुनाव आयोग वोटिंग मशीनों के फुल प्रूफ होने का दावा करता है, लेकिन मशीनों के हैक होने की आशंकाएं बीच-बीच में सामने आती रहती हैं. हाल ही में अमेरिका स्थित एक हैकर ने दावा किया कि साल 2014 के चुनाव में मशीनों को हैक किया गया था. इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी. आठ साल पहले भी अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी से जुड़े वैज्ञानिकों ने दिखाया था कि मोबाइल से संदेश भेजकर वोटिंग मशीन के नतीजे बदले जा सकते हैं. हालांकि, चुनाव आयोग ऐसे सभी दावे खारिज करता रहा है.
ईवीएम मशीन का सबसे पहले विरोध बीजेपी ने ही किया था
बीजेपी इन दिनों वोटिंग मशीनों की सबसे बड़ी समर्थक हैं, क्योंकि नतीजे उसके पक्ष में जा रहे हैं, लेकिन ईवीएम का विरोध करने वाली सबसे पहली राजनीतिक पार्टी भी वही थी. 2009 के चुनाव में जब भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा, तब लालकृष्ण आडवाणी ने सबसे पहले ईवीएम पर सवाल उठाए थे.
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