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अभी तक पर्दे के पीछे से राजनीति करती थीं, अब मुख्‍य किरदार निभाएंगी प्रियंका गांधी

2004, 2009, 2014 के चुनाव बीत गए पर प्रियंका गांधी राजनीति में नहीं आईं. वह ऐसे समय में राजनीति में आई हैं, जब पार्टी को उनकी जरूरत है और राहुल गांधी भी रौ में आ गए हैं.

Updated on: 24 Jan 2019, 08:52 AM

नई दिल्ली:

सोनिया गांधी के राजनीति में आने के बाद से ही प्रियंका गांधी के पॉलिटिक्‍स में एंट्री को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. हर चुनाव चाहे वो लोकसभा हो या विधानसभा, प्रियंका गांधी के राजनीति में आने की खबरें परवान चढ़ती रहीं. 2004, 2009, 2014 के चुनाव बीत गए पर प्रियंका गांधी राजनीति में नहीं आईं. वह ऐसे समय में राजनीति में आई हैं, जब पार्टी को उनकी जरूरत है और राहुल गांधी भी रौ में आ गए हैं. अब दोनों भाई बहन मिलकर नरेंद्र मोदी सरकार पर वार-पलटवार करेंगे.

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प्रियंका गांधी अब तक परदे के पीछे से काम करती रही हैं. वह राजनीति से दूर भी नहीं रहीं. अपने भाई राहुल गांधी और अपनी मां सोनिया गांधी के चुनाव की जिम्‍मेदारी वह अपने ऊपर ओढ़ लेती थीं. अहम मौकों पर वह पार्टी को राय भी देती रही हैं. मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्‍यमंत्रियों के चुनाव में जब राहुल गांधी को मशक्‍कत करनी पड़ी थी तब भी प्रियंका गांधी ने अहम भूमिका निभाई थी. राहुल गांधी के अहम फैसलों में प्रियंका गांधी की महत्‍वपूर्ण भूमिका होती थी.

जानें प्रियंका गांधी के बारे में

  • 12 जनवरी 1972 को जन्मीं प्रियंका गांधी वाड्रा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पढ़ी हैं. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मैरी स्कूल से साइकॉलोजी की डिग्री हासिल की.
  • प्रियंका अपने पति रॉबर्ट वाड्रा से 13 साल की उम्र में मिली थीं. प्रियंका ने ही रॉबर्ट की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था. जिसके बाद 1997 में दोनों की शादी हुई. रॉबर्ट वाड्रा मूल रूप से पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद के रहने वाले हैं.
  • प्रियंका और रॉबर्ट शादी से पहले 6 साल तक एक साथ थे. इसके बाद उन्होंने परिवार को अपने रिश्ते के बारे में बताया. हालांकि, गांधी परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया लेकिन दादी इंदिरा गांधी की तरह प्रियंका भी अपने प्यार के लिए अड़ गईं. आखिरकार परिवार को हामी भरनी ही पड़ी.
  • प्रियंका और रॉबर्ट की शादी काफी लो-प्रोफाइल रखी गई. शादी में महज 150 मेहमानों को निमंत्रण दिया गया. इन मेहमानों में बच्चन परिवार भी शामिल था.
  • प्रियंका गांधी को पहले काफी गुस्सैल स्वभाव वाला बताया जाता था, लेकिन अब उनके व्यवहार की सौम्यता सबको आकर्षित करती है. बताया जाता है कि वह नियमित तौर पर योग करती हैं.
  • दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राहुल और प्रियंका ने अपनी पढ़ाई घर से ही जारी रखी. इसके बाद उनकी सामाजिक जिंदगी बहुत सिमट गई. उन्हें 24 घंटे सुरक्षाकर्मियों के साये में रहना पड़ता था.
  • प्रियंका की तुलना अक्सर उनकी दादी इंदिरा गांधी से होती है. प्रियंका का हेयरस्टाइल, कपड़ों के चयन और बात करने के सलीके में इंदिरा गांधी की छाप साफ नजर आती है.
  • प्रियंका को फोटोग्राफी, कुकिंग, और पढ़ना खासा पसंद है. प्रियंका को बच्चों से खासा लगाव है. उन्होंने ही राजीव गांधी फाउंडेशन के बेसमेंट में बच्चों के लिए लाइब्रेरी शुरू कराई जिसका इस्तेमाल रोजाना कई बच्चे करते हैं.
  • प्रियंका गांधी अब तक सिर्फ रायबरेली और अमेठी में ही राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेती रही हैं. रायबरेली यानी अपनी मां सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र और भाई राहुल गांधी के लोकसभा क्षेत्र अमेठी में वो चुनाव प्रचार करती रही हैं. लेकिन अब राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद प्रियंका गांधी को भी राजनीति में उतार दिया गया है.

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कार्यकर्ताओं में आएगा जोश
प्रियंका के आने से इस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में नया जोश आएगा, ऐसा कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है. प्रियंका की सक्रिय राजनीति में एंट्री ऐसे समय पर हुई है जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को महागठबंधन में जगह नहीं दी है और केवल रायबरेली और अमेठी में अपने उम्‍मीदवार नहीं उतारेंगे. पिछले कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने दावा किया था कि उत्‍तर प्रदेश में कांग्रेस अपने प्रदर्शन से सभी को सरप्राइज कर देगी, यह फैसला उसी रणनीति का हिस्‍सा बताया जा रहा है. पूर्वी यूपी में कांग्रेस बहुत कमजोर है, लिहाजा प्रियंका गांधी के वहां का प्रभारी बनने से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश आ सकता है. हालांकि प्रियंका गांधी को भी कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है