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प्रधानमंत्री ने अपनी संपत्ति के बारे में जानकारी 'छिपाई' : कांग्रेस

कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले चुनाव में भरे शपथ-पत्र में अपनी संपत्ति के बारे में कुछ जानकारियां छिपाई थीं.

Updated on: 16 Apr 2019, 08:14 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले चुनाव में भरे शपथ-पत्र में अपनी संपत्ति के बारे में कुछ जानकारियां छिपाई थीं. पार्टी ने इसके साथ ही चुनाव आयोग से इस बाबत संज्ञान लेने का आग्रह किया. यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि मोदी गांधीनगर में एक संपत्ति के बारे में 'कुछ छिपा' रहे हैं. खेड़ा ने आरोप लगाया कि 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद मोदी के नाम पर एक संपत्ति आवंटित हुई थी. उसके बाद 2007 के शपथ-पत्र में उन्होंने खुद को 'प्लॉट 411' का अकेला मालिक घोषित किया. 326.22 वर्ग मीटर की यह संपत्ति गांधीनगर के सेक्टर 1 में स्थित प्राइम प्रॉपर्टी है.

उन्होंने कहा, "गांधीनगर में बाजार मूल्य के हिसाब से, इस प्लॉट की कीमत फिलहाल 1.18 करोड़ रुपये है. मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और अपने शपथ-पत्र में उन्होंने यह भी घोषित किया था कि उन्होंने उसी जमीन पर कुछ काम करवाने के लिए कुल 30,363 रुपये खर्च किए हैं."

कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी द्वारा उसके बाद भरे गए सभी शपथ-पत्रों में उन्होंने इस प्लॉट के बारे में कुछ भी जिक्र नहीं किया, लेकिन उसी आकार और उसी जगह के 'प्लॉट 401/ए' का उल्लेख किया और खुद को इसके एक भाग का मालिक बताया. उन्होंने दावा किया कि उसी प्लॉट का वित्तमंत्री अरुण जेटली के 2014 के शपथ-पत्र में उल्लेख था, जिसमें उन्होंने खुद को जमीन के एक भाग का मालिक बताया था.

खेड़ा ने कहा, "उन्होंने इस प्लॉट को बेचने के बारे में कभी भी उल्लेख नहीं किया, जबकि यह आवंटित प्लॉट था, जिसे न तो बेचा जा सकता है, न तो स्थांतरित किया जा सकता है. इस जमीन को किराया या लीज पर देने के लिए भी इजाजत लेनी होती है."

खेड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शपथ-पत्र में जानबूझकर इसका उल्लेख नहीं करने के लिए संज्ञान लेना चाहिए और उचित कार्रवाई करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को मोदी की संपत्ति के बारे में कुछ 'रुचिकर सवाल' से संबंधित एक जनहित याचिका दायर की गई है.

खेड़ा ने कहा, "यह रुचिकर है, क्योंकि साहिब इस बारे में कुछ छिपा रहे हैं..वह लगातार कहते आ रहे हैं कि वह फकीर हैं और 23 मई के बाद वह झोला उठाएंगे और चले जाएंगे. लेकिन अब हमें पता लग रहा है कि उनके झोले में क्या है."

यह पूछे जाने पर कि क्या यह सिर्फ एक टाइपिंग गलती नहीं हो सकती है? खेड़ा ने कहा कि तब प्रधानमंत्री को सामने आना चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि वह कौन से प्लॉट के मालिक हैं या फिर पूरी जमीन के मालिक हैं या जमीन के किसी हिस्से के मालिक हैं.

खेड़ा ने कहा, "प्लॉट नंबर बदल गया, मालिकाना हिस्सा बदल गया, जबकि जगह और आकार वही रहा. शपथ-पत्र कुछ और कहता है और जमीन का रिकॉर्ड कुछ और कहता है. भाजपा बीते 28 वर्षो से गुजरात में सरकार चला रही है. क्या वे कह रहे हैं कि जमीन का रिकार्ड गुजरात के मॉडल में पूरा और स्पष्ट नहीं हुआ?"

उन्होंने कहा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1952 के अुनच्छेद 125ए के अनुसार, चुनावी शपथ-पत्र में फर्जी जानकारी उपलब्ध कराने से छह माह की जेल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. लेकिन अब हमें पता लग रहा है कि उनके झोले में क्या है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या यह सिर्फ एक टाइपिंग गलती नहीं हो सकती है? खेड़ा ने कहा कि तब प्रधानमंत्री को सामने आना चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि वह कौन से प्लॉट के मालिक हैं या फिर पूरी जमीन के मालिक हैं या जमीन के किसी हिस्से के मालिक हैं।

खेड़ा ने कहा, "प्लॉट नंबर बदल गया, मालिकाना हिस्सा बदल गया, जबकि जगह और आकार वही रहा। शपथ-पत्र कुछ और कहता है और जमीन का रिकॉर्ड कुछ और कहता है। भाजपा बीते 28 वर्षो से गुजरात में सरकार चला रही है। क्या वे कह रहे हैं कि जमीन का रिकार्ड गुजरात के मॉडल में पूरा और स्पष्ट नहीं हुआ?"

उन्होंने कहा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1952 के अुनच्छेद 125ए के अनुसार, चुनावी शपथ-पत्र में फर्जी जानकारी उपलब्ध कराने से छह माह की जेल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।