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पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां से सीखा कम खर्च में चुनाव लड़ने का फार्मूला

एक ओर जहां चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्‍येक उम्‍मीदवार को 70 लाख रुपए खर्च करने की इजाजत देता है तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बिना खर्च या यूं कहें मामूली खर्च में चुनाव लड़ने का फार्मूला बता रहे हैं.

Updated on: 26 Apr 2019, 01:42 PM

नई दिल्‍ली:

एक ओर जहां चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्‍येक उम्‍मीदवार को 70 लाख रुपए खर्च करने की इजाजत देता है तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बिना खर्च या यूं कहें मामूली खर्च में चुनाव लड़ने का फार्मूला बता रहे हैं. वाराणसी में गुरुवार को अपने मेगा रोड शो के जरिए मोदी ने जहां विपक्ष की नींद उड़ा दी ही वहीं वाराणसी में नामांकन से पहले अपने बूथ कार्यकर्ताओं को कम खर्च में चुनाव लड़ने का जो फार्मूला बताया वह आने वाले चुनावों में दूसरे दलों के लिए नजीर बन सकता है. आइए जानते हैं मोदी को ये फार्मूला कहां से मिला...

दरअसल लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से नामांकन भरने से पहले पीएम मोदी ने बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बीजेपी के कार्यकर्ताओं को बिना खर्च के चुनाव प्रचार-प्रसार करने की तरकीब भी बताई. वाराणसी के प्रत्येक क्षेत्र के परिवारों से मुलाकात करने का नया तरीका भी सुझाया है.

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पीएम मोदी ने बूथ कार्यकर्ताओं का धन्यवाद देते हुए कहा, 'कम से कम खर्च में हम चुनाव लड़ सकते हैं क्या? देखिए हम अहमदाबादियों की एक पहचान है. मैं अहमदाबादी हूं पक्का. जो अहमदाबादी होते हैं वह सिंगल फेयर डबल जर्नी वाले होते हैं. बिना खर्चा चुनाव लड़ा जा सकता है. आप लड़ पाएंगे क्या? मैं तरीका बताता हूं.

मोदी फार्मूला

मोदी बोल, "देखिए आपके पोलिंग बूथ (Poling Booth) में मान लिजिए 1000 वोट है, मतलब 250 परिवार है. 250 परिवार में आपके पास मान लिजिए बूथ में 25 कार्यकर्ता हैं, तो एक कार्यकर्ता के जिम्मे 10 परिवार आएंगे. और उस कार्यकर्ता को बता दो कि तुम्हारा टीवी का खर्चा बंद, अखबार का खर्चा बंद, चाय-नाश्ते का खर्चा बंद. शुरू में तो वह चिल्लाएगा, लेकिन करना क्या है कि आपको जो 10 परिवार दिए हैं. तो सुबह की चाय के समय एक परिवार में पहुंच जाइए. उनके परिवार के बारे में हाल-चाल लीजिए. जब वह पूछे चाय लेंगे तो हां कह दीजिए. आपका खर्चा बचा या नहीं. फिर दूसरे घर जाकर अखबार पढ़िए. फिर नाश्ता का टाइम हो गया तो कहिए- हमने सुना है कि आप तो बहुत बढ़िया नाश्ता बनाती हैं भाभीजी. तो फिर भाभीजी नाश्ता करा देंगी. चुनाव का खर्चा ऐसे बचेगा या नहीं.'

यहां से मिला यह फार्मूला

कम खर्च में चुनाव लड़ने का जो फार्मूला मोदी ने अपने बूथ कार्यकर्ताओं को दिया वो दूसरे दलों के लिए नया हो सकता है पर जो संघ से जुड़े हुए लोग हैं वो इसे बखूबी जानते हैं. कार्यकर्ताओं को बूथ मजबूत करने की बात करते हुए मोदी बार-बार कह रहे थे कि हमे लोगों के दिलों को जीतना है. संघ के प्रचारक हों या विस्‍तारक, सभी लोगों के दिलों को जीतने का लक्ष्य लेकर चलते हैं. आरएसएस के एक प्रचारक बताते हैं कि संघ से लोगों को जोड़ने के लिए प्रचारक ऐसे ही काम करते हैं.

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पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार किसी गांव में प्रवास करते हैं. किसी के यहां रात्रि विश्राम और भोजन करते हैं. नाश्‍ता किसी और के यहां और दोपहर का भोजन किसी और के. इस दौरान वो न केवल उस परिवार बल्‍कि पूरे मोहल्‍ले से एक आत्‍मीय संबंध जोड़ लेते हैं. और हां इस दौरान कभी भी उस परिवार से संघ से जुड़ने की बात नहीं करते.बता दें नरेंद्र मोदी संघ के एक स्‍वयंसेवक से लेकर प्रचारक तक रहे और जीवन भर ऐसे ही फार्मूले पर काम करते हुए संगठन को मजबूत किया. इस बार अपने पुराने अनुभव या यूं कहें कि संघ के इस फार्मूले को चुनाव प्रचार में फिट कर दिया.