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न ताई न भाई, दिलचस्‍प हुई इंदौर की लड़ाई, शंकर लालवानी के सामने होंगे पंकज संघवी

राज्‍य की कुल 29 सीटों में से केवल यही एक सीट बची थी जिस पर बीजेपी का थिंक टैंक काफी समय से मंथन कर रहा था.

Updated on: 23 Apr 2019, 08:45 AM

नई दिल्‍ली:

आखिरकार बीजेपी ने मध्‍य प्रदेश के इंदौर लोकसभा सीट से अपना प्रत्‍याशी घोषित कर ही दिया. राज्‍य की कुल 29 सीटों में से केवल यही एक सीट बची थी जिस पर बीजेपी का थिंक टैंक काफी समय से मंथन कर रहा था. काफी मंथन के बाद बीजेपी ने शंकर लालवानी को टिकट देकर मध्य प्रदेश में सिंधी वोटों को साधने का प्रयास किया है. ताई यानी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की वजह से बीजेपी का शीर्ष नेतृत्‍व धर्म संकट में था लेकिन जैसे ही ताई ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की, बीजेपी की मुश्‍किल कुछ कम हुई. लेकिन यहां से किसी भी नाम पर सुमित्रा महाजन (ताई) और राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय (भाई) की राय एक नहीं हो पा रही थी.

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इंदौर सीट के लिए ताई ने दिल्ली में डेरा डाला और अपने बेटे मंदार समेत कुछ नए नाम सुझाए, लेकिन सहमति नहीं बन पाई. शिवराज सिंह चौहान ने लालवानी का नाम दिया था लिहाजा उन्होंने फिर दखलअंदाजी की और अंतत: रविवार को नाम घोषित कर दिया गया. अब लालवानी का मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी से होगा.

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लालवानी का टिकट पक्का होने के बाद शंकर ताई के घर पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया. इंदौर से चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी कहा कि शंकर सौ फीसदी चुनाव जीतेंगे. मैं बंगाल में व्यस्त हूं. समय मिला तो इंदौर भी आऊंगा. चूंकि शिवराजसिंह चौहान ने खुद लालवानी का नाम आगे किया था अतः उनके लिए अब इंदौर सीट ज्यादा प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. अब उन्‍हें लालवानी के लिए पसीना बहाना पड़ेगा.

कौन हैं लालवानी
शंकर लालवानी ने मुंबई से बी-टेक की पढ़ाई की है. बचपन से ही वह राष्‍ट्रीय स्‍वयं संघ से जुड़े हैं. वे इंदौर सिंधी समाज, इंदौर स्वर्णकार समाज, मप्र स्वर्णकार संघ के अध्यक्ष व भारतीय सिंधु सभा के 10 वर्ष तक अध्यक्ष भी रहे. लालवानी 1994 में छोटे भाई प्रकाश को हराकर पहली बार पार्षद बने थे. प्रकाश को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था. शंकर लालवानी के राजनीतिक करियर की शुरुआत बड़ी दिलचस्प रही. 1994 में भाजपा ने इन्हें सिंधी कॉलोनी के वार्ड से टिकट दिया तो कांग्रेस ने इनके छोटे भाई प्रकाश को उम्मीदवार बना दिया. घर में ही दोनों के बीच वोट बंट गए. अंतत: उनकी मां ने शंकर का साथ दिया और फिर चुनाव भी वे ही जीते.

राज्‍य में चुनाव का पहला चरण 29 अप्रैल से शुरू हो रहा है. देखें किस सीट पर कौन ठोक रहा ताल

लोकसभा चुनाव का चौथा चरण (29 अप्रैल)
6 सीटों पर मतदान: सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा.

लोकसभा क्षेत्र भाजपा कांग्रेस
सीधी रीति पाठक अजय सिंह राहुल
शहडोल हिमाद्री सिंह प्रमिला सिंह
जबलपुर राकेश सिंह विवेक तन्खा
मंडला फग्गन सिंह कुलस्ते कमल मारावी
बालाघाट ढाल सिंह बिसन मधु भगत
छिंदवाड़ा नतन शाह नकुल नाथ

लोकसभा चुनाव का पांचवां चरण ( 6 मई)

7 सीटों पर मतदान: टीकमगढ़, दमोह, सतना, होशंगाबाद, बैतूल, खजुराहो और रीवा.

लोकसभा क्षेत्र  बीजेपी  कांग्रेस
होशंगाबाद उदय प्रताप सिंह शैलेंद्र दीवान
बेतूल दुर्गादास रामू टेकाम
खजुराहो बीडी शर्मा कविता सिंह
सतना गणेश सिंह राजा राम त्रिपाठी
रीवा जनार्दन मिश्रा सिद्धार्थ तिवारी
टीकमगढ़ वीरेंद्र कुमार खटीक किरण अहिरवार
दमोह प्रहलाद पटेल प्रताप सिंह लोधी

लोकसभा चुनाव का छठवां चरण (12 मई)
8 सीटों पर मतदान: मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, भोपाल, सागर, विदिशा और राजगढ़.

लोकसभा क्षेत्र  बीजेपी कांग्रेस
भोपाल प्रज्ञा ठाकुर दिग्विजय सिंह
राजगढ़ रोडमल नागर मोना सुस्तानी
देवास महेंद्र सोलंकी प्रह्लाद टिपानिया
विदिशा रमाकांत भार्गव शैलेंद्र पटेल
गुना केपी यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया
मुरैना नरेंद्र सिंह तोमर राम निवास रावत
भिंड संध्या राय देवाशीष जारड़िया
ग्वालियर विवेक शेजवलकर अशोक सिंह
सागर राज बहादुर सिंह प्रभांशु सिंह ठाकुर

लोकसभा चुनाव का सातवां चरण (19 मई)
8 सीटों पर मतदान: देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, इंदौर, धार, खरगौन और खंडवा.

लोकसभा क्षेत्र बीजेपी कांग्रेस
उज्जैन अनिल फिरोजिया बाबूलाल मालवीय
मंदसौर सुधीर गुप्ता मीनाक्षी नटराजन
रतलाम जीएस डामोर कांति लाल भूरिया
धार छतर सिंह दरबार दिनेश गिरवाल
खरगोन गजेंद्र पटेल डॉ. गोविंद मुजालदा
इंदौर शंकर लालवानी पंकज संघवी
खंडवा  नंदकुमार सिंह चौहान अरुण यादव