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हरियाणा में राफेल मुद्दा बढ़ा सकता है पीएम मोदी की मुश्किलें, Opinion Poll कर रहा तस्दीक

ऐसे में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार के इस पांच सालों के कार्यकाल में फाइटर जेट राफेल में कथित तौर पर हुए घोटाले को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं

Updated on: 19 Jan 2019, 11:45 AM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में अब महज 2 महीने से कुछ ज्यादा का ही वक्त बचा है. ऐसे में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार के इस पांच सालों के कार्यकाल में फाइटर जेट राफेल में कथित तौर पर हुए घोटाले को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं. देश से लेकर विदेश तक राहुल हर मंच पर राफेल सौदे में घोटाले का मुद्दा उठाते हैं. संसद से सड़क तक राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे बनाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे जो अब सफल होता भी नजर आ रहा है. ऐसे हम इसलिेए कह रहे हैं क्योंकि जब हमने न्यूज नेशन के सबसे विश्वसनीय पोल में राफेल मुद्दे को लेकर हरियाणा की जनता से सवाल पूछा तो ज्यादातर लोगों राहुल गांधी के समर्थन में दिखे और उनके आरोपों को सही बताया.

देश में राफेल फाइटर जेट पर राहुल गांधी के आरोपों पर जब न्यूज नेशन के ओपिनियन पोल में हरियाणा की आम जनता से सवाल पूछ गया तो करीब 46 फीसदी लोगों ने माना कि राहुल के आरोपों में दम है जबकि सिर्फ 37 फीसदी लोगों ने ही माना कि राहुल के आरोपों में दम नहीं है. यानि की ज्यादातर लोग आंकड़ों में राहुल गांधी के मोदी सरकार पर लगाए आरोपों से सहमत नजर आ रहे हैं. ऐसे में जब लोकसभा चुनाव बेहद करीब आ रहा तो बीजेपी के लिेए राज्य में यह मुद्दा बड़ा सिर दर्द साबित हो सकता है और वोटों की संख्या पर भी चोट कर सकता है.

हालांकि बीजेपी के लिए राहत की बात यह है कि सबसे ज्यादा सीटों पर जीत के साथ ही पीएम पद के लिए मोदी ही सबसे लोकप्रिय चेहरा बनकर उभरे हैं.हरियाणा में पीएम पद की पहली पसंद कौन ? हिंदी क्षेत्र के तीन बड़े राज्यों में कांग्रेस को जीत मिलने के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. इस बात की तस्दीक हमारे ओपिनियन पोल के भी आंकड़े कर रहे हैं.

जब हमने हरियाणा के लोगों से पूछा कि आपके पीएम पद की पहली पसंद कौन हैं तो यहां राहुल गांधी पीएम मोदी को टक्कर देते हुए नजर आए. ओपिनियन पोले के आंकड़ों के मुताबिक राज्य की जहां 39 फीसदी जनता नरेंद्र मोदी को पीएम पद की पहली पसंद मानते हैं तो वहीं 34 फीसदी लोग राहुल गांधी को बतौर पीएम अपनी पहली पसंद मान रहे हैं. यहां पीएम मोदी और राहुल गांधी की लोकप्रियता में महज 5 फीसदी का अंतर नजर आ रहा है. ऐसे में आने वाले समय में यह अंतर और भी कम हो सकता है क्योंकि अभी भी चुनाव में 2 महीने से ज्यादा का वक्त बचा हुआ है.

राफेल पर गर्म हैं राहुल 

राफेल डील पर सियासत जारी है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में जवाब देने के बाद राहुल गांधी ने कहा मैं रक्षा मंत्री को इस सौदे के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा बल्कि मेरा सीधा आरोप पीएम मोदी पर है कि आखिर अनिल अंबानी की पार्टी को सरकार ने कैसे डील में ऑफसेट पार्टनर बनाया गया. राहुल ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा फाइटर जेट के दाम किसी गोपनीय समझौता का हिस्सा नहीं है. मेरा सवाल यह है कि इस डील में अनिल अंबानी कैसे शामिल हुए और उन्हें इसमें शामिल करने का फैसला किसने किया.

राहुल गांधी ने फाइटर जेट की कीमत पर सवाल उठाते हुए पूछा, 526 करोड़ रुपये का जहाज अगर 1600 करोड़ रुपये में खरीदा जाता है क्या ये गलत सवाल है कि ये क्यों खरीदा गया? मोदी सरकार पर एक के बाद एक सवाल दागते हुए राहुल ने कहा, क्या ये गलत सवाल है कि हिंदुस्तान में इंडस्ट्री बननी चाहिए लेकिन आपने दूसरे देश में बना दी है?

उन्होंने कहा, यदि 2019 में सत्ता में आये तो इस मामले की आपराधिक जांच होगी और जो लोग इसके लिये जिम्मेदार होंगे उनको सजा दिलवायी जायेगी.

उन्होंने कहा कि लोकसभा बुधवार को उस सौदे पर चर्चा की गवाह बनीं, जिसपर प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से हस्ताक्षर किए थे.

उन्होंने कहा, "आपने देखा कि सरकार ने मुख्य सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया. अरुण जेटली ने मुख्य सवालों के जवाब नहीं दिए. प्रधानमंत्री जो इस मामले के आरोपी हैं, ने सदन की चर्चा से भागने का विकल्प चुना." राहुल ने कहा कि जेटली ने उन्हें सवालों के जवाब देने के बजाए गाली दी. 

राहुल ने कहा, "यहां मौलिक प्रश्न यह है कि इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच होनी चाहिए. सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि राफेल मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है.

राहुल ने कहा कि देश के नौजवान प्रधानमंत्री पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने कहा, "जेट फाइटर की कीमत 526 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1600 करोड़ रुपये करने का फैसला किसने किया? यह निर्णय किसका था? क्या यह वायुसेना, रक्षा मंत्रालय या प्रधानमंत्री का निर्णय था? हम स्पष्ट जवाब चाहते हैं." 

राहुल ने कहा कि महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या रक्षा मंत्रालय ने सौदे के किसी भी चीज पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा, "क्या रक्षा मंत्रालय के पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो इस सौदे का विरोध करते हैं? उन्हें कहना चाहिए कि कोई आपत्ति नहीं जताई गई. लेकिन अगर आपत्तियां हैं, तो फिर प्रधानमंत्री किस आधार पर सवालों को गैरजरूरी बता रहे हैं." 

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय वायुसेना 126 लड़ाकू विमान चाहती थी, लेकिन सरकार ने केवल 36 विमान ही खरीदे. क्या ऐसा करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में विचार किया गया था?

उन्होंने आरोप लगाया कि इस ऑफसेट सौदे में एक निजी संस्था को 30,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया गया. उन्होंने कहा कि विमान के निर्माण का अनुबंध एचएएल के पास होना चाहिए था, लेकिन सरकार द्वारा खरीदे जा रहे विमानों का निर्माण फ्रांस में किए गए.

उन्होंने कहा, "एचएएल को बाहर रखने का फैसला किसने किया? यह नरेंद्र मोदी का पैसा नहीं है. यह आपका पैसा है."कांग्रेस नेता ने दावा किया कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा है कि मोदी ने 'यह स्पष्ट कर दिया था' कि लड़ाकू जेट विमान खरीद सौदा तभी होगा, जब ऑफसेट ठेका निजी कंपनी को दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि सीतारमण को यह बताना चाहिए कि क्या मोदी ने विमानों के विनिर्माण से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को अलग किया था.