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वाराणसी में 'मोदी लहर' के पीछे PM के इस खास नेता का है बड़ा हाथ, कभी हो गए थे BJP से अलग

गुजरात के भावनगर से दो बार विधायक रहे सुनिल ओझा को यूपी में नरेंद्र मोदी के इलेक्शन कैंपनिंग की जिम्मेदारी दी गई थी पर उन्होंने इससे पहले ही मोदी से मतभेद के कारण बीजेपी का दामन छोड़ दिया था.

Updated on: 27 May 2019, 09:21 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने भारी बहुमत के साथ प्रचंड जीत हासिल की है. वहीं उत्तर प्रदेश के वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी ने 6,69,602 मत से अपनी जीत दर्ज की है. लेकिन आज जिस वाराणसी में आज मोदी लहर चली हुई है वहां के कैंपेन के पीछे उनके एक खास नेता के दूरदर्शी सोच का भी खास हाथ है. दरअसल, साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी के इलेक्शन कैंपनिंग कि जिम्मेदारी उनके सबसे भरोसेमंद गुजरात के नेता को दी गई थी. गुजरात के भावनगर से दो बार विधायक रहे सुनिल ओझा को यूपी में नरेंद्र मोदी के इलेक्शन कैंपनिंग की जिम्मेदारी दी गई थी पर उन्होंने इससे पहले ही मोदी से मतभेद के कारण बीजेपी का दामन छोड़ दिया था.

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साल 2007 में गुजरात के विधानसभा चुनाव होने वाले थे ऐसे में ओझा का बीजेपी छोड़ना एक झटके के समान था. हालांकि बीजेपी से अलग होने के बाद सुनील ओझा ने निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था.

हालांकि संगठन क्षमता में कुशल माने जाने वाले सुनील ओझा ने साल 20111 में बीजेपी में वापसी कर ली, जिसके बाद वो मोदी के सबसे खास नेताओं में से एक हो गए. बीजेपी में शामिल होने के बाद ओझा को अमित शाह ने उत्तर प्रदेश का सह प्रभारी बना दिया गया. बताया जाता है 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की जीत की अहम सूत्रधार सुनील ओझा को माना जाता है.

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वहीं पीएम मोदी की वाराणसी में जीत पर अपने योगदान को लेकर एक सुनील ओझा ने एस मीडिया वेबसाइट से बातचीत में बताया कि मोदी के नाम पर ही तो जनता वोट देती है, मैं तो बस एक सामान्य कार्यकर्ता भर हूं.

ऐसे तो लोकसभा चुनाव 2019 को जीतने के लिए पीएम मोदी का चेहरा ही काफी था. लेकिन सरकार की नीतियों को चुनावी रणनीति के तहत वाराणसी की जनता तक पहुंचाने के लिए सुनील ओझा का खास योगदान रहा है.