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राेचक तथ्‍यः पहली लोकसभा में सबसे ज्‍यादा वोटों से जीतकर पहुंचने वाला सांसद कांग्रेसी नहीं था

आजादी के बाद पहली बार देश में 1952 में आम चुनाव हुए. चुनाव के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) ने 364 सीटों पर जीत दर्ज की और सत्‍ता पर काबिज हुई.

Updated on: 14 Jan 2019, 10:43 AM

नई दिल्‍ली:

आजादी के बाद पहली बार देश में 1952 में आम चुनाव (First General Election in India) हुए. चुनाव के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) ने 364 सीटों पर जीत दर्ज की और सत्‍ता पर काबिज हुई. प्रथम आम चुनाव में 44.87 प्रतिशत वोट पड़े. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि सबसे अधिक वोटों से संसद पहुंचने वाला नेता कांग्रेस का नहीं था. आइए जानते हैं कि वो कौन शख्‍स था, जो सबसे ज्‍यादा वोटों से अपने प्रतिद्वद्वी को हराया था.

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यूं तो 1952 के पहले आम चुनाव में कांग्रेस ने मतदान के 75.99% (4,76,65,951) मत प्राप्त करके विरोधियों को स्पष्ट रूप से हरा दिया. 17 अप्रैल, 1952 को गठित हुई लोकसभा ने 4 अप्रैल, 1957 तक का अपना कार्यकाल पूरा किया. लेकिन सबसे रोचक तथ्‍य ये हैं कि बंपर वोटों से विजयश्री हासिल करने वाला नेता न तो कांग्रेस से था और न ही सोशलिस्‍ट पार्टी से. जी हां, उस समय बस्‍तर मध्‍य प्रदेश में हुआ करता था और वहां से मुचकी कोसा निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में सबसे ज्‍यादा मार्जिन से चुनाव जीते और संसद पहुंचे. कोसा ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 141331 वोटों से हराया.

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पहली लोकसभा में सबसे कम वोटो जीतकर संसद पहुंचने वाले नेता थे बसंत कुमार. पश्‍चिम बंगाल की कोंताई सीट पर कांग्रेस उम्‍मीवदवार के रूप में कुमार ने अपने प्रतिद्वंद्वी को मात्र 127 वोटों से हरा पाए थे. 489 निर्वाचन क्षेत्रों में आयोजित किए गए पहले आम चुनावों में 26 भारतीय राज्यों का प्रतिनिधित्व किया गया. उस समय कुछ 2 सीट और यहां तक कि 3 सीट वाले निर्वाचन क्षेत्र भी थे. एकाधिक सीटों वाले निर्वाचन क्षेत्रों को 1960 के दशक में समाप्त कर दिया गया.

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पांच साल बाद जब दूसरा आम चुनाव हुआ तो दूसरी लोकसभा (1957) में भी कांग्रेस का दबदबा रहा. 1952 की अपनी सफलता की कहानी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1957 के चुनावों में भी दोहराने में कामयाब रही. कांग्रेस के 490 उम्मीदवारों में से 371 सीटें जीतीं. पार्टी ने कुल 5,75,79,589 मतों की जीत के साथ 47.78 प्रतिशत बहुमत सुरक्षित रखा. पंडित जवाहरलाल नेहरू सत्ता में वापस लौटे.
1957 के चुनावों की दिलचस्प बात यह रही कि इसमें एक भी महिला उम्मीदवार मैदान में नहीं थी. 1957 में निर्दलीयों को मतदान का 19 प्रतिशत प्राप्त हुआ. दूसरी लोकसभा ने 31 मार्च 1962 तक का अपना कार्यकाल पूरा किया.