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पांच राज्यों में चुनाव सिर पर और कांग्रेस घिरी है इस बड़े संकट में

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम और राजस्थान में विधानसभा चुनाव की भले ही दुदंभि बज चुकी है पर कांग्रेस एक अलग ही संकट से जूझ रही है. यह संकट कोई बाहरी नहीं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ही कड़ी की है.

Updated on: 12 Oct 2018, 01:50 PM

नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम और राजस्थान में विधानसभा चुनाव की भले ही दुदंभि बज चुकी है पर कांग्रेस एक अलग ही संकट से जूझ रही है. यह संकट कोई बाहरी नहीं बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ही कड़ी की है.

पार्टी को ग्राउंड लेवल पर मजबूत करने की कवायद को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी सभी जिलाध्यक्षों से बातचीत कर रहे हैं. कई राज्यों के जिलाध्यक्षों से की बातचीत में यह बात सामने आई है कि अनुसाशनहीनता, वरिष्ठ नेताओं का अहंकार और उनकी गुटबंदी पार्टी के लिए सबसे बड़ा संकट है. पांच राज्यों में होने जा रहे है चुनावों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष की यह कवायद काफी अहम् मानी जा रही है.

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के अनुसार कई जिलाध्यक्षों ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर कार्यकर्ताओं से बात नहीं करने का आरोप लगाया. उनका कहना था जिला स्तर के नेता बड़े नेताओं द्वारा थोपे गए पदाधिकारियों की वजह से स्थानीय स्तर पर अनुसाशनहीनता है. इस बातचीत के दौरान पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी की जिला ईकाई के एक सदस्य ने कहा कि वरिष्ठ नेता इतने अहंकारी हैं कि कार्यकर्ताओं से बात करना पसंद नहीं करते. ऐसी ही पीड़ा ओडिसा का भी एक कार्यकर्ता ने बयां की. तेलंगाना के वारांगल जिला इकाई के एक सदस्य ने यहाँ तक कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता टिकट बंटवारे को लेकर दिल्ली से हैदराबाद तक गुटबंदी कर रहे हैं, उनकी कोई नहीं सुन रहा.

इन सारे आरोपों के बाद राहुल ने कहा कि जिला और ब्लॉक इकाई कांग्रेस की रीढ़ है. पार्टी के जिलाध्यक्ष रेगुलर मीटिंग लें और अनुसाशन बनाये रखें. उन्होंने ने कहा कि अनुसाशनहीनता की शिकायत पहले राज्य स्तर पर की जाये और अगर वहां से कार्रवाई नहीं होती तो जिलाध्यक्ष एक्शन ले सकते हैं. बता दें कि लगभग डेढ़ घंटे का यह आयोजन पार्टी के महासचिव अशोक गहलोत ने की थी.