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बीजेपी की पहली लिस्‍ट आज होगी जारी, इन सांसदों के टिकट कटने तय

दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूदगी में बैठक मंगलवार देर रात तक टिकटों के बंटवारे पर मंथन हुआ

Updated on: 20 Mar 2019, 09:40 AM

नई दिल्‍ली:

दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूदगी में बैठक मंगलवार देर रात तक टिकटों के बंटवारे पर मंथन हुआ. छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश नेतृत्व ने केंद्रीय चुनाव समिति के सामने प्रस्ताव रखा है और कल तक नए नामों के साथ वो एक बार फिर से केंद्रीय चुनाव समिति के सामने आयेंगे. छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव अनिल जैन ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में BJP सभी 11 सीटों पर नए उम्मीदवार को टिकट देगी. विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारी बीजेपी इस बार पूरी तरह सर्जरी करने के मूड में है. छत्‍तीसगढ़ में बीजेपी के उन सांसदों के बारे जानें जिनके टिकट कटने तय हैं..

कांकेर- विक्रम उसेंडी

वर्तमान में यहां भारतीय जनता पार्टी के सांसद विक्रम उसेंडी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसके पहले भी यहां भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है, लेकिन पहले सोहन पोटाई लगातार चार बार यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. पिछले पांच चुनावों से यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में जा रही है. पिछले चुनाव में भाजपा के सोहन पोटाई की टिकट काटकर विक्रम उसेंडी को मैदान में उतारा गया था और नरेंद्र मोदी लहर में पहली बार लड़ने वाले विक्रम इस चुनाव में सांसद बन गए. मगर सांसद बनने के बाद अभी नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में विधायक का चुनाव हार चुके हैं. विक्रम उसेंडी को पिछले लोकसभा चुनाव में 465,215 वोट मिले थे और उन्‍हों ने कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम को हराया था.

कोरबा-डॉ बंशीलाल महतो

नए परिसीमन के बाद वर्ष 2008 में कोरबा लोकसभा का गठन हुआ. इसके पहले जांजगीर लोकसभा सीट के अंतर्गत यह सीट समाहित थी. बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय कांशीराम ने वर्ष 1984 में जांजगीर सीट से अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. परिसीमन के बाद कोरबा लोकसभा ने दो सांसद दिए. यहां से पहले सांसद कांग्रेस पार्टी के डॉ. चरणदास महंत रहे, जो मनमोहन सरकार में मंत्री भी बने. दूसरी बार हुए चुनाव में भाजपा के डॉ बंशीलाल महतो 439,002 वोट पाकर कांग्रेस के हीरा सिंह मरकाम को हरया था. कोरबा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीट हैं. इनमें छह सीट भरतपुर-सोनहत, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, कोरबा, कटघोरा, पाली-तानाखार में कांग्रेस ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है. रामपुर में भाजपा तथा मरवाही विधानसभा में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने जीत हासिल की.

जांजगीर चाम्पा- कमला देवी पटले

जांजगीर-चाम्पा जिले के 6 विधानसभा क्षेत्र और बलौदाबाजार-भाठापारा के दो विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर जांजगीर-चाम्पा लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया है. ज्यादातर अवसरों पर इस लोकसभा में क्षेत्र के बाहर के नेताओं का वजूद रहा है. कांग्रेस के प्रभात मिश्रा, बीजेपी के मनहरण लाल पाण्डेय, दिलीप सिंह जूदेव, कांग्रेस के भवानी लाल वर्मा यहां से सांसद रहे. पिछले 10 साल से यहां भाजपा की कमला देवी पाटले सांसद हैं.

बस्तर- दिनेश कश्यप

रामायणकालीन दंडकारण्य के पठार पर स्थित बस्तर लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, जहां हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं. वर्ष 1951 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर वर्ष 1996 तक यह कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती रही, लेकिन 1996 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी को यहां के लोगों ने चुना. 1998 से यह सीट भाजपा के पास है. पिछले दो दशक से कश्यप परिवार के सदस्य यहां से लगातार जीत रहे हैं.

बिलासपुर- लखन लाल साहू

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में रायपुर के बाद बिलासपुर ही एकमात्र ऐसी सीट है, जहां भाजपा लगातार जीत रही है. यह सीट भाजपा के गढ़ के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रही है. वर्ष 1996 से 2004 के बीच चार बार हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के पुन्‍नूलाल मोहले यहां से सांसद रहे. मोहले के नाम लगातार चुनाव जीतने का कीर्तिमान भी रहा है. मोहले के बाद भाजपा के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव चुनाव लड़े. वर्ष 2009 में जूदेव सांसद निर्वाचित हुए. कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी को प्रत्याशी बनाया था. वर्ष 2014 के चुनाव में बिलासपुर सीट राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में फिर सफल हुई. पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को कांग्रेस ने यहां से उम्मीदवार बनाया था. लखन लाल साहू ने उन्‍हें सर्वाधिक वोटों के अंतर से चुनाव हराया.

महासमुंद- चंदूलाल साहू

महानदी तट पर स्थित महासमुंद संसदीय क्षेत्र की विशेष पहचान अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल सिरपुर और गंगरेल बांध से है. प्राचीन छत्तीसगढ़ अर्थात दक्षिण कौशल की राजधानी रहे श्रीपुर (सिरपुर) को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने का प्रयास जारी है. सिरपुर महासमुन्द संसदीय मुख्यालय महासमुंद जिले का आइकॉन है. यह जिला छत्तीसगढ़ की राजनीति का बड़ा केंद्र रहा है. यहां से विद्याचरण शुक्ल सात बार सांसद चुने गए. अजीत जोगी भी सांसद रहे. वर्तमान में भाजपा के चंदूलाल साहू इस क्षेत्र से सांसद हैं.

राजनंदगांव- अभिषेक सिंह

शिवनाथ नदी तट पर स्थित राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र वन और खनिज संसाधनों के अलावा कृषि आधारित है. एशिया का पहला और एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय इंदिरा कला एवं संगीत विवि के नाम से खैरागढ़ की पूरी दुनिया में विशेष पहचान है. डॉ रमन सिंह क्षेत्र से तीन बार विधायक चुने जाने के बाद प्रदेश का नेतृत्व कर रहे थे. इस कारण यह जिला छत्तीसगढ़ की राजनीति का बड़ा केंद्र भी रहा है. वर्तमान में रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह सांसद हैं.

रायगढ़- विष्णु देव साई

रायगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र के 48 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. 2002 को गठित भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में यह संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया. यहां पहली बार 2009 में संसदीय चुनाव संपन्न हुए. 2014 में बीजेपी के विष्णु देव साई ने कांग्रेस की आरती सिंह को शिकस्‍त दी थी.

रायपुर- रमेश बैस

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में रायपुर राज्य मुख्यालय की सीट होने के कारण वीआईपी मानी जाती रही है. बीते छह लोकसभा चुनावों से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. भाजपा के रमेश बैस यहां से लगातार सांसद चुने जा रहे हैं. एक बार कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. विद्याचरण शुक्ल ने बैस को हराया था. रायपुर राज्य की राजधानी है. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय में रायपुर में विकास के काफी काम हुए, जिसका फायदा बैस को मिलता रहा और वे जीतते रहे हैं.

सरगुजा-कमलभान सिंह मराबी

अब तक हुए लोकसभा चुनाव में यहां से 10 बार कांग्रेस एवं छह बार भाजपा के सांसद चुने गए. खनिज संपदाओं से भरे लेकिन उद्योग विहीन एवं रेल सुविधाओं से विहीन क्षेत्र के रूप में विख्यात सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में अब भी सरगुजा राजपरिवार की धमक बरकरार है. यहां वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सभी आठ सीटों पर कांग्रेस ने बड़े अंतर से चुनाव जीता है. आठों विधानसभा सीटों को मिलाकर कांग्रेस ने भाजपा से 227958 मतों की बढ़त बनाई है. वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने यहां से एक लाख 47 हजार मतों से जीता था. सरगुजा लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण निर्णायक रहा है.