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TikTok का दीवाना क्‍याें बन रहा इंडिया, क्‍या हैं इसके फायदे और नुकसान, जानें यहां

TikTok के पीछे इस कदर पागल हैं कि कोई अपनी जान तो कोई अपनी नौकरी दांव पर लगा दे रहा है.

Updated on: 02 Aug 2019, 05:41 PM

नई दिल्‍ली:

भारत में इस समय शॉर्ट वीडियो एप टिक टॉक (Tik tok) का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. इस एप के पीछे इस कदर पागल हैं कि कोई अपनी जान तो कोई अपनी नौकरी दांव पर लगा दे रहा है. अभी कुछ दिन पहले ही थाने में टिक टॉक (Tik tok) वीडियो बनाने के आरोप में उत्‍तर प्रदेश के बस्‍ती जिले की स्‍वाट टीम (SWAT) लाइन हाजिर हो गई. वहीं एक महिला पुलिसकर्मी को सस्पेंड कर दिया गया, हैदराबाद गांधी सरकारी हॉस्पिटल में दो जुनियर डॉक्टर्स को सस्पेंड कर दिया गया है. 'टिक-टॉक' एप पर वीडियो बनाने की लत ने एक महिला को इस कदर दीवाना बना दिया कि उसका परिवार ही बिखर गया. पटना जिले की महिला हेल्पलाइन के इतिहास में यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें पति ने पत्नी को मोबाइल से दूर रखने के लिए गुहार लगाई है. पत्नी के वीडियो पर आने वाले अश्लील कमेंट्स की वजह से उसका जीना मुहाल हो गया है.यह नहीं इसके बावजूद लोग टिक टॉक (Tik tok) वीडियो बनाना नहीं छोड़ रहे हैं. आइए इस रिपोर्ट में जानें कि Tik tok के क्‍या हैं साइड इफेक्‍ट और फायदे...

सबसे पहले जानें क्‍या है Tik tok

  • टिकटॉक से यूजर लिप-सिंक और पॉपुलर गानों पर डांस करते हैं , जो काफी वायरल होते हैं.
  • चीन की मशहूर कंपनी ' बाइट डान्स ' का टिक टॉक (Tik tok) ऐप पर मालिकाना हक़ है
  • चीनी कंपनी ' बाइट डान्स ' ने 2016 में ' टिक-टॉक ' लॉन्च किया था
  • अक्टूबर 2018 तक टिक टॉक (Tik tok) अमरीका में सबसे ज़्यादा डाउनलोड किया जाने वाला ऐप बन गया.
  • दुनिया के 154 देशों में टिक टॉक (Tik tok) का इस्तेमाल हो रहा है
  • दुनियाभर में टिक टॉक (Tik tok) के 50 करोड़ यूज़र हैं
  • भारत में टिक टॉक (Tik tok) के 18 करोड़ यूज़र हैं , जिनमें 2 करोड़ ऐक्टिव यूज़र हैं
  • भारत टिक टॉक (Tik tok) के लिए बड़ा और उभरता बाज़ार है
  • चीन में 15 करोड़ लोग रोज़ाना टिक टॉक (Tik tok) का इस्तेमाल करते हैं


टिक-टॉक के फ़ायदे

  • गांव और छोटे शहरों के लिए ये एक अच्छा प्लेटफ़ॉर्म बनकर उभरा है.कई लोग इसके ज़रिए अपने शौक़ पूरे कर रहे हैं.
  • अगर कोई अच्छी कॉमेडी करता है या अच्छा डांस करता है तो उसके लिए टिक-टॉक अपनी प्रतिभा को दिखाने का अच्छा मंच है.
  • बहुत से लोग इसके ज़रिए पैसे भी कमा रहे हैं. अगर वीडियों थोड़ी बहुत भी हिट हो जाती है तो 5 -10 हज़ार की कमाई हो जाती है
  • किसी देश में ऐप लॉन्च करने के बाद ये कंपनियां अलग-अलग कुछ जगहों से लोगों को बाक़ायदा हायर करती हैं.

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  • गाना गाने या डांस करने जैसी स्किल हों. इन्हें रोज़ाना कुछ वीडियो डालने होते हैं और इसके बदले उन्हें कुछ पैसे मिलते हैं.
  • ये फ़िल्मी सितारों या उन कलाकारों को भी इसमें शामिल करते हैं जो स्ट्रगल कर रहे हैं या करियर के शुरुआती मोड़ पर हैं.
  •  इस तरह उन्हें पैसे भी मिलते हैं और एक प्लैटफ़ॉर्म भी. दूसरी तरफ़ कंपनी का प्रचार-प्रसार भी होता है.

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  • इसके अलावा कंपनी और यूज़र्स के लिए कमाई का एक अलग मॉडल भी. अगर कोई अपने वीडियो में कोका-कोला की एक बॉटल दिखाता है या किसी शैंपू की बॉटल दिखाता है तो ब्रैंड प्रमोशन के ज़रिए भी दोनों की कमाई होती है."
  • यूज़र की कमाई इसके अलावा व्यूज़ , लाइक , कमेंट और शेयर के अनुपात को देखते हुए तय होती है.
  • वीडियो को जितने ज़्यादा लोग रिऐक्ट करेंगे और जितने ज़्यादा लोग कमेंट करेंगे, कमाई भी उतनी ज़्यादा होने की संभावना होगी.
  • आम तौर पर ऐसे लोगों को हायर किया जाता है जो देखने में अच्छे हों, जिन्हें कॉमेडी करनी आती हो 

टिक टॉक (Tik tok) के साइड इफ़ेक्ट

  • गूगल प्ले स्टोर पर कहा गया है कि इसे 13 साल से ज़्यादा उम्र के लोग ही इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में टिक-टॉक के जरिए जो वीडियो बनाए जाते हैं उसमें एक बड़ी संख्या 13 साल से कम उम्र के लोगों की है.
  • प्राइवेसी के लिहाज़ से टिक-टॉक ख़तरों से खाली नहीं है. क्योंकि इसमें सिर्फ़ दो प्राइवेसी सेटिंग की जा सकती है- ' पब्लिक ' और ' ओनली '.
  • आप वीडियो देखने वालों में कोई फ़िल्टर नहीं लगा सकते. या तो आपके वीडियो सिर्फ़ आप देख सकेंगे या फिर हर वो शख़्स जिसके पास इंटरनेट है.
  • अगर कोई यूज़र अपना टिक-टॉक अकाउंट डिलीट करना चाहता है तो वो ख़ुद से ऐसा नहीं कर सकता. इसके लिए उसे टिक-टॉक से रिक्वेस्ट करनी पड़ती है.
  • चूंकि ये पूरी तरह सार्वजनिक है इसलिए कोई भी किसी को भी फ़ॉलो कर सकता है , मेसेज कर सकता है. ऐसे में कोई आपराधिक या असामाजिक प्रवृत्ति के लोग छोटी उम्र के बच्चे या किशोरों को आसानी से गुमराह कर सकते हैं.

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  • कई टिक-टॉक अकाउंट अडल्ट कॉन्टेंट से भरे पड़े हैं और चूंकि इनमें कोई फ़िल्टर नहीं है , हर टिक-टॉक यूज़र इन्हें देख सकता है , यहां तक कि बच्चे भी.
  • सबसे बड़ी दिक़्कत ये है कि इसमें किसी कॉन्टेन्ट को ' रिपोर्ट ' या ' फ़्लैग ' का कोई विकल्प नहीं है. ये सुरक्षा और निजता के लिहाज़ से ख़तरनाक तो हो सकता है.
  • ' साइबर बुलिंग ' भी बड़ी समस्या है. साइबर बुलिंग यानी इंटरनेट पर लोगों का मज़ाक उड़ाना , उन्हें नीचा दिखाना , बुरा-भला कहना और ट्रोल करना.
  • हम जब कोई ऐप डाउनलोड करते हैं तो प्राइवेसी की शर्तों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते. बस ' यस ' और ' अलाउ ' पर टिक करते चले जाते हैं. हम अपनी फ़ोटो गैलरी , लोकेशन और कॉन्टैक्ट नंबर...इन सबका एक्सेस दे देते हैं. इसके बाद हमारा डेटा कहां जा रहा , इसका क्या इस्तेमाल हो रहा है , हमें कुछ पता नहीं चलता."
  • ज़्यादातर ऐप्स ' आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस ' की मदद से काम करते हैं. ऐसे में अगर आप इन्हें एक बार भी इस्तेमाल करते हैं तो ये आपसे जुड़ी कई जानकारियां अपने पास हमेशा के लिए जुटा लेते हैं इसलिए इन्हें लेकर ज़्यादा सतर्क होने की ज़रूरत है.
  • जुलाई , 2018 में इंडोनेशिया ने टिक-टॉक पर बैन लगा दिया था क्योंकि किशोरों की एक बड़ी संख्या इसका इस्तेमाल पोर्नोग्रैफ़िक सामग्री अपलोड और शेयर करने के लिए कर रही थी. बाद में कुछ बदलावों और शर्तों के बाद इसे दोबारा लाया गया."
  • भारत में फ़ेक न्यूज़ जिस तेज़ी से फल-फूल रहा है उसे देखते हुए भी टिक-टॉक जैसे ऐप्लीकेशन्स पर लगाम लगाने की ज़रूरत है.