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डाटा की दुनिया का बादशाह बनेगा भारत, इस आईटी कंपनी के चेयरमैन ने की भविष्‍यवाणी

दुनियाभर में डाटा किंग नाम से प्रसिद्ध और सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी डेल टैक्नोलॉजीज के संस्थापक माइकल डेल को लगता है कि अगले दशक में डाटा का राज होगा और भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

Updated on: 14 Nov 2019, 08:06 AM

ऑस्टिन (टेक्सास):

दुनियाभर में डाटा किंग नाम से प्रसिद्ध और सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी डेल टैक्नोलॉजीज के संस्थापक माइकल डेल को लगता है कि अगले दशक में डाटा का राज होगा और भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. कंपनी के वैश्विक मुख्यालय पर अमेरिकी अरबपति उद्योगपति और दुनिया की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों में से एक डेल के चेयरमैन ने आईएएनएस को दिए एक्सक्लूसिव साक्षात्कार में कहा कि आगामी सालों में उनके उद्यमों के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान भारत है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को पुनर्भाषित कर एक माइक्रोसेंसर को छोटी अंगूठी बनाने से लेकर एक स्वचालित वाहन और विमान बनाने तक डेल अगले एक दशक में डेटा की प्रोसेसिंग और स्टोरिंग में क्रांति लाकर दुनिया की दिशा बदलने के लिए प्रतिबद्ध है. लगभग 90.62 अरब डॉलर की कंपनी के चेयरमैन माइकल डेल ने कहा, "इस लक्ष्य को पूरा करने की क्षमता दुनियाभर में सिर्फ डेल में है. और मुझे लगता है कि भारत में हमारे लिए उत्कृष्टता केंद्र बनने की क्षमता है." उन्होंने कहा, "मैं जल्द भारत का दौरा करूंगा और मेरी कंपनी की अपनी बौद्धिक क्षमता के लिए प्रसिद्ध देश में अपना प्रसार करने की महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं."

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डिजिटल इंडिया के बारे में बात करते हुए डेल ने कहा कि यह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में) सरकार की एक शानदार पहल है. डेल टैक्नोलॉजी समिट में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मेक इन इंडिया (प्रोजेक्ट) ने भी मुझे बहुत प्रभावित किया, लेकिन यह तब ज्यादा ठीक होती जब भारत स्मार्टफोन्स के निर्माण से हटकर भी फोकस करती. (उन्होंने संकेत दिया कि आईटी से संबंधित निर्माण उद्योग में बहुत कुछ हो रहा है.) भारत को अन्य क्षेत्रों में भी फोकस करना है."

उन्होंने कहा, "अगर आप दुनियाभर के देशों को देखें और उनकी भारत से तुलना करें, जहां मानवीय प्रगति का परिणाम जबरदस्त है. भारत में अपनी क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए सभी संभावनाएं हैं. और डेल इसके लिए उत्साहित है." माइकल डेल (54) की कुल संपत्ति 31 अरब डॉलर है और उन्हें दुनिया के इस भाग के सबसे बड़े समाजसेवियों में गिना जाता है. उनकी कंपनी सॉफ्टवेयर तकनीक से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को सशक्त करती है.

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उदाहरण के लिए, बोस्टन के घर-घर जाकर डिलीवरी देने वाले एक लड़के को हाल ही में सॉफ्टवेयर संबंधी प्रशिक्षण दिया गया और अब वह डेल इंजीनियरिंग से जुड़ गया है. ब्राजील में इसी प्रोफाइल की लड़कियां भी डेल से जुड़ गई हैं. ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं. डेल टैक्नोलॉजीज ने भी अगले कुछ सालों में 50 प्रतिशत नौकरियां महिलाओं के लिए खोलने का फैसला लिया है.

माइकल डेल ने कहा, "भारत में हम सामाजिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में टाटा ट्रस्ट के साथ काम कर रहे हैं और इससे 1.1 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं. हम अगले कुछ सालों में 4.4 करोड़ लोगों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे. हमने ऑस्टिन में एक डेल मेडिकल यूनिवर्सिटी भी स्थापित की है और हम वांछितों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने पर फोकस कर रहे हैं."

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माइकल डेल 1992 में फॉर्चून 500 के दुनिया के सबसे युवा सीईओ भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा, "हमारी सामाजिक प्रतिबद्धता अगले 35 सालों के लिए शीर्ष वरीयता पर रहेगी. पिछले 35 सालों में डेल ने एक छोटी कंपनी से वैश्विक कंपनी बनने तक का सफर तय किया है और अगले 35 सालों में हम ना सिर्फ प्रौद्योगिकी की दुनिया में राज करना चाहते हैं, बल्कि पिछड़े समाज के लोगों पर भी ध्यान देना चाहते हैं. दुनिया को विभिन्न क्षेत्रों में हर व्यक्ति के लिए बेहतर होना है."