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Hamari sansad Sammelan: रोजगार से लेकर आतंंकवाद तक, ये होंगी मोदी सरकार की बड़ी चुनौतियां

देश की जनता ने जिस तरह मोदी सरकार पर दोबारा भरोसा जताया है इससे साबित होता है कि वो लोगों का विश्वास जितने में कामयाब हुए है. लेकिन अब नई मोदी सरकार के सामने कई चुनौतियां भी है, जिन्हें उन्हें आने वाले पांच सालो में पूरा करना होगा.

Updated on: 18 Jun 2019, 07:00 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 में भारी बहुमत हासिल कर के बीजेपी ने केंद्र में दूसरी बार सरकार बनाई है. बीजेपी की इस प्रचंड जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा ही अहम माना गया है. देश की जनता ने जिस तरह मोदी सरकार पर दोबारा भरोसा जताया है इससे साबित होता है कि वो लोगों का विश्वास जितने में कामयाब हुए है. लेकिन अब नई मोदी सरकार के सामने कई चुनौतियां भी है, जिन्हें उन्हें आने वाले पांच सालो में पूरा करना होगा. तो आइए देखते है मोदी सरकार 2.0 के पास ऐसी कौनसी बड़ी चुनौतिया है, जिससे निपटना उनकी बड़ी जिम्मेदारी में से एक है.

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1. रोजगार

बेरोजगारी इस समय देश की सबसे बड़ी समस्या है. मोदी सरकार के कार्यकाल में पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर्ज की गई है.पीएलएफएस वार्षिक रिपोर्ट (जुलाई 2017 से जुलाई 2018) में देश में 6.1 प्रतिशत बोरोजगारी दर होने की बात कही गई, जो पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा है. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट की माने तो भारत में हर साल 81 लाख रोजगार की जरूरत होती है. कुछ रिपोर्टस् के मुताबिक जीएसटी और नोटबंदी के बाद से बड़ी संख्या में रोजगार में गिरावट आई है. मोदी सरकार के सामने बेरोजगारी को कम करना सबसे बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए उन्हें काफी काम करना होगा.

2. अर्थव्यवस्था

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2019 को समाप्त हुई तिमाही में भारत की GDP संवृद्धि दर 5.8 फीसदी रही जो पूर्व वर्ष की समान अवधि के 8.1 फीसदी से कम है. वित्त वर्ष 2018-19 में देश की जीडीपी संवृद्धि दर 6.8 फीसदी रही, जबकि जोकि जीडीपी विकास दर का पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है. वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक विकास दर 7.2 फीसदी थी.

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आंकड़ों के अनुसार, देश की आर्थिक विकास दर घटने का मुख्य कारण कृषि और खनन क्षेत्र की संवृद्धि दर में कमी है. कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र की संवृद्धि दरन वित्त वर्ष 2018-19 में 2.9 फीसदी रही जबकि पिछले साल यह पांच फीसदी थी.

3. किसानों की समस्या

किसानों की बदहाली को दुरस्त करना और कृषि क्षेत्र को विकसित करना नई मोदी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. पिछली सरकाक के कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था. लेकि रकम दोगुनी छोड़ों अभी उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. कई योजनाओं के बाद भी किसानों की हालात बद से बदत्तर होती जा रही है.

पिछली मोदी सरकार में किसानों के कई बड़ें आंदोलन देखने को मिले थे. नई मोदी सरकार से उम्मीद जताई जा रही है कि कृषि क्षेत्र की दिशा में कई जरूरी सुधार और काम किए जाएंगे. संभावना जताई जा रही है कि आने वाले सालो में किसानों के बिगड़ते हालात में सुधार देखने को मिलेगा.

4. आतंकवाद और पाकिस्तान

नई मोदी सरकार के सामने सीमापार से आतंकवाद को रोकना बड़ी चुनौती होगी. सीमापार पाकिस्तान से आए दिन सीजफायर उल्लघंन और घुसपैठ की घटना सामने आती रहती है. हालांकि अपने पिछले कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर के पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे दिया था.लेकिन आतंकवाद से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाना भी सरकार की बड़ी जिम्मेदारी होगी.

पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध कूटनीति का सरल मामला नहीं है. इसमें कश्मीर और धार्मिक सद्भाव जैसी कई मामले शामिल है. भारत ने यूएस, फ्रांस, ब्रिटेन की मदद से पाकिस्‍तान को घेरने का प्रयास किया है लेकिन इस दिशा में काफी प्रयास किए जाने बाकी हैं। 

5. विदेश नीति और पड़ोसी देश से संबंध

दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते हस्‍तक्षेप को देखते हुए भारत को सक्रिय होकर अपने पड़ोसी देशों श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, बांग्‍लादेश, भूटान, म्‍यामांर से संबंध को न केवल सुधारना होगा बल्कि उसे मजबूत करना होगा.

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वहीं अमेरिका में प्रतिष्ठित भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि रक्षा क्षेत्र में भारत और अमेरिका के रिश्तों में प्रगति हुई है. लेकिन व्यापार एवं आर्थिक मोर्चे पर तनाव बढ़ा है। ऐसे में घरेलू मोर्चे पर आर्थिक सुधारों में तेजी लानी होगी। संस्थाओं को भी मजबूती देनी होगी.

6. सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास

पिछले मोदी सरकार में गोरक्ष के नाम पर मॉब लिंचिग जैसी कई घटनाएं सामने आई थी. हालांकि इस बार पीएम मोदी ने चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद एनडीए के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था, 'इस देश में वोटबैंक की राजनीति के उद्देश्य से बनाए काल्पनिक डर के ज़रिये अल्पसंख्यकों को धोखा दिया जाता रहा है. हमें इस छल का विच्छेद करना है. हमें विश्वास जीतना है.' उन्होंने ये भी कहा था, 'अब हमारा कोई पराया नहीं हो सकता है... जो हमें वोट देते हैं, वे भी हमारे हैं... जो हमारा घोर विरोध करते हैं, वे भी हमारे हैं.'

7. सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास

पिछले मोदी सरकार में गोरक्ष के नाम पर मॉब लिंचिग जैसी कई घटनाएं सामने आई थी. हालांकि इस बार पीएम मोदी ने चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद एनडीए के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था, 'इस देश में वोटबैंक की राजनीति के उद्देश्य से बनाए काल्पनिक डर के ज़रिये अल्पसंख्यकों को धोखा दिया जाता रहा है. हमें इस छल का विच्छेद करना है. हमें विश्वास जीतना है.' उन्होंने ये भी कहा था, 'अब हमारा कोई पराया नहीं हो सकता है.. जो हमें वोट देते हैं, वे भी हमारे हैं... जो हमारा घोर विरोध करते हैं, वे भी हमारे हैं.' लेकिन कई ऐसे दक्षिणपंथी सोच वाले लोग है जो गोरक्षा के नाम मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाने पर लेते रहे है.

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हालांकि मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं के बाद भी इस समुदाय के लोगों ने मोदी सरकार पर भरोसा जताया है ऐसे में देश के सामाजिक सौहार्द को और ज्‍यादा मजबूत करने के लिए मोदी सरकार को प्रभावी कदम उठाने होंगे. इससे सामाजिक शांति रहेगी और देश में निवेश को बढ़ावा मिलेगा.