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'टॉयलेट एक प्रेम कथा' मूवी रिव्यू: अक्षय-भूमि का समाज को कड़ा संदेश 'हर घर में हो शौचालय'

स्वच्छता अभियान से प्रेरित इस फिल्म में डायरेक्टर श्री नारायण सिंह ने ग्रामीण परिवेश को बखूबी फिल्माया गया।

Updated on: 14 Aug 2017, 08:35 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान पर आधारित बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर स्टारर फिल्म 'टॉयलेट-एक प्रेम कथा' आज शुक्रवार (11 अगस्त) को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है।

एयरलिफ्ट, रुस्तम, बेबी, जॉली एलएलबी 2 जैसी सुप​रहिट फिल्में देने वाले खिलाड़ी कुमार की फिल्मों के आदी दर्शकों को इस बार भी अक्षय की दमदार एक्टिंग सिनेमाघरों तक खींचने को कामयाब रही।

बॉक्स आॅफिस से आ रही खबरों के अनुसार डायरेक्टर श्री नारायण सिंह की फिल्म 'टॉयलेट एक प्रेम कथा' के दो दिन के सभी शो हाउस फुल हैं। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि सलमान खान की 'ट्यूबलाइट' और शाहरुख खान की 'जब हैरी मेट सेजल' को पीछे छोड़ते हुए अक्की बॉक्स आॅफिस के भी खिलाड़ी बन जाएंगे।

अबकी बार नैशनल अवॉर्ड विजेता अक्षय कुमार ने गांव के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे 'टॉयलेट' पर प्रकाश डालने का कोशिश की है।

कहानी

फिल्म की कहानी शुरू होती है उत्तर प्रदेश के मथुरा में बसे एक गांव में रहने वाले केशव (अक्षय कुमार) से, जो कि एक मांगलिक लड़का है। 36 साल का होने के बावजूद भी उसकी शादी नहीं हो रही है। इसलिए उसके पिता, जो कि स्वंय पंडित हैं उसकी शादी एक भैंस (मल्लिका) से कराते हैं।

12 वीं पास केशव की एक साइकिल की दुकान है और वह एक दिन साइकल की डिलीवरी करने के लिए जया (भूमि पेडनेकर) के घर जाता है, वहां जया को देखने के बाद उसे प्यार हो जाता है और उससे शादी करने के लिए वह अपनी जी जान लग देता हैै।

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जया भी कुछ समय बाद शादी के लिए राजी हो जाती है, लेकिन शादी के बाद शौचालय बनाने को लेकर दोनों के रिश्तों में जो उतार चढ़ाव आता है वह देखना बेहद खास होगा।

फिल्म की असली कहानी इंटरवल के बाद शुरू होती है, जिसमें समाज की दकियानूसी सोच पर करारा प्रहार किया गया है। साथ ही ये सामाजिक संदेश दिया है कि सभ्यता और संकीर्ण सोच के कारण महिलाओं को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ता है।

फिल्म की खूबियां

फिल्म का डायरेक्शन, सिनेमैटोग्राफी, लोकेशन काफी शानदार है। गांव के सभी सीन्स और शूट कमाल के हैं। वहीं स्वच्छता अभियान को फिल्म के माध्यम से लोगों को जागरुक करने की सराहनीय पहल है।

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अक्षय कुमार, भूमि पेडनेकर, अनुपम खेर और प्यार का पंचनामा के दिव्येंदु का अभिनय काफी उम्दा है। साथ ही फिल्म के गानों की बात करें तो हंस मत पगली प्यार हो जाएगा और राधे राधे गाने का म्यूजिक और बोल काफी अच्छे हैं।

फिल्म की कमजोर कड़िया

फिल्म में कहीं-कहीं फूहड़ता परोसी गई है और कई शब्दों का अनायास ही प्रयोग किया गया है। उन शब्दों और संवाद के बिना भी फिल्म की कहानी कमजोर नहीं पड़ती, लेकिन कुछ डायलॉग्स जबर्दस्ती ठूंसे गए

कुल मिलाकर सामाजिक मुद्दे पर बनी 'टॉयलेट एक प्रेम कथा' फिल्म को दर्शकों काफी इंज्वॉय करने वाले हैं। अक्षय के फैन्स को यह फिल्म काफी पसंद आने वाली है और जैसा कि अक्की के लिए शुरू से ही अगस्त लक्की रहा है, उनकी फिल्म बॉक्स आॅफिस पर अच्छा बिजनेस कर सकती है।

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