Movie Review: 15 अगस्त पर बेहतर विकल्प है बाटला हाउस !
पुलिस को कहीं भी महिमामंडित नहीं किया गया है. ना आपको इसमें सिंघम नज़र आएगा और न ही चुलबुल पांडेय,पुलिस खुद अंडरडॉग है.
highlights
- 15 अगस्त को रिलीज हो रही फिल्म बाटला हाउस
- मुख्य भूमिका में होंगे बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम
- स्टूडेंट्स को फेक आतंकी बताकर किया गया एनकाउंटर
नई दिल्ली:
पुलिस का ज़बरदस्त अंदाज़ जॉन अब्राहम के चेहरे का इंटेंस लुक उनके इस किरदार को असरदार बना रहा है. बाटला हाउस न्यूज़ की सुर्ख़ियो मे रहा था, और इसीलिए इस फिल्म के अन्नोउंसमनेन्ट के बाद से ही फिल्म का सभी को इन्तज़ार था. चलिए अब आपको बताते है फिल्म की कहानी के बारे मे 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सीरियल बम धमाकों की जांच के सिलसिले में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अफसर के के (रवि किशन) और संजीव कुमार यादव (जॉन अब्राहम) अपनी टीम के साथ बाटला हाउस एल-18 नंबर की इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंचते हैं. वहां पर पुलिस की इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकियों से मुठभेड़ होती है. इस मुठभेड़ में दो संदिग्धों की मौत हो जाती है और एक पुलिस अफसर के घायल होने के साथ-साथ के के की मौत. एक संदिग्ध मौके से भाग निकलता है. इस एनकाउंटर के बाद देश भर में राजनीति और आरोप-प्रत्यारोपों का माहौल गरमा जाता है.
विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और मानवाधिकार संगठनों द्वारा संजीव कुमार यादव की टीम पर बेकसूर स्टूडेंट्स को आतंकी बताकर फेक एनकाउंटर करने के गंभीर आरोप लगते हैं. इस सिलसिले में संजीव कुमार यादव को बाहरी राजनीति ही नहीं बल्कि डिपार्टमेंट की अंदरूनी साज़िशों का भी सामना करना पड़ता है. वह पोस्ट ट्रॉमैटिक डिसॉर्डर जैसी मानसिक बीमारी से जूझता है. जांच को आगे बढ़ाने और खुद को निर्दोष साबित करने के सिलसिले में उसके हाथ बांध दिए जाते हैं. उसकी पत्नी नंदिता कुमार (मृणाल ठाकुर) उसका साथ देती है. कई गैलेंट्री अवॉर्ड्स से सम्मानित जांबाज और ईमानदार पुलिस अफसर अपनी व अपनी टीम को बेकसूर साबित कर पाता है? इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
फिल्म की कहानी में खूबी यह है कि पुलिस को कहीं भी महिमामंडित नहीं किया गया है. ना आपको इसमें सिंघम नज़र आएगा और न ही चुलबुल पांडेय, पुलिस खुद अंडरडॉग है. जॉन द्वारा तुफैल बने आलोक पांडे को कुरान की आयत को समझाने वाले कुछ सीन बेहतरीन बन पड़े हैं. निखिल ने फिल्म में दिग्विजय सिंह, अरविंद केजरीवाल, अमर सिंह और एल के अडवानी जैसे नेताओं के रियल फुटेज का इस्तेमाल किया है. सौमिक मुखर्जी की सिनेमटोग्राफी बेहतरीन बन पड़ी है.
निर्देशक ने फिल्म को बहुत ही रियलिस्टिक रखा है, जो कहीं-कहीं पर हेवी लगता है.पुलिस अफसर संजीव कुमार यादव के रूप में जॉन अब्राहम की परफॉर्मेंस को अब तक की उनकी सबसे अच्छा परफॉर्मेंस कहा जा सकता है . उन्होंने संजीव कुमार जैसे पुलिस अफसर के रूप में उनके बेबसी और जांबाजी को बहुत ही सहजता से दिखाया है. उन्होंने कहीं भी अपने किरदार को एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी हीरोइक नहीं होने दिया. मृणाल ने नंदिता को बखूबी निभाया है. रवि किशन के.के के रोल में असर छोड़ने में कामयाब रहे हैं. डिफेंस लॉयर के रूप में राजेश शर्मा का काम याद रह जाता है.
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छोटे से रोल और 'साकी' जैसे आइटम सॉन्ग में नोरा फतेही जंचती हैं. तुफैल की भूमिका में आलोक पांडे ने अच्छा काम किया है. मनीष चौधरी, सहिदुर रेहमान, क्रांति प्रकाश झा जैसी सपॉर्टिंग कास्ट मजबूत रही है. संगीत की बात करें, तो तुलसी कुमार, नेहा कक्कड़ और बी प्राक का गाय हुआ गाना, 'साकी' रिलीज के साथ ही हिट हो गया था. कुल मिलकर इस 15 अगस्त आप इस फिल्म को एन्जॉय कर सकते है इसी लिए न्यूज़ नेशन देता है इस फिल्म बाटला हाउस को पूरे 3 स्टार.
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