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Birthday Special: जब पहली ही फिल्म में जबरदस्ती कराया गया था किसिंग सीन, फूट-फूटकर रोने लगी थीं रेखा

कभी जिसको मोटी और सांवली कहकर चिढ़ाया जाता था वो इस मुकाम पर पहुंच जाएगी कि लोग बस उसकी एक झलक पाने को तरसेंगे ये शायद किसी ने नहीं सोचा होगा

Updated on: 10 Oct 2019, 08:34 AM

नई दिल्ली:

भानूरेखा गणेशन उर्फ रेखा, एक ऐसी कलाकारा जो आज भी लाखों दिलों की धड़कन बनी हुईं हैं. अगर आपके हौंसले बुलंद हो तो तमाम कठिनाइयों के बावजूद भी आप शिखर तक पहुंच सकते हैं, रेखा इस का जीता-जागता उदाहरण है. कभी जिसको मोटी और सांवली कहकर चिढ़ाया जाता था वो इस मुकाम पर पहुंच जाएगी कि लोग बस उसकी एक झलक पाने को तरसेंगे ये शायद किसी ने नहीं सोचा होगा. एक समय ऐसा भी था जब रेखा का जीवन रहस्यों से भरा हुआ बन गया और हर कोई उनके बारे में जानने को उत्सुक हो गया. लेकिन किसी को उनके सवालों के जवाब नहीं मिले. आज रेखा का 64 साल की हो गई हैं. उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो शायद ही आप जानते होंगे. 

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  •  रेखा का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को चेनन्ई में हुआ था और जन्म से ही अफ़वाहें और गॉसिप जैसे उनके साथ जुड़ गईं . उनके पिता तमिल सुपरस्टार जेमिनी गणशेन और मां पुष्पावल्ली ने शादी नहीं की थी . और उस दौर में ऐसे संबध से जन्मी संतान को ताने झेलने पड़ते थे . रेखा को अपने बचपन में पिता की कमी हमेशा खलती रही.
  •  कहा जाता है कि रेखा को अपने पिता से इतनी नफरत थी कि वो उनके अंतिम संस्कार में भी नहीं गईं.
  •  रेखा की मां पुष्पावल्ली भी तमिल फिल्मों में अभिनेत्री थीं. जब उनका करियर ढलान पर आया तो पूरा परिवार कर्ज़ में डूब गया . कर्ज़ा चुकाने के लिए 13 साल की रेखा को स्कूल से निकालकर फिल्मों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
  •  रेखा ने 13 साल की उम्र में तमिल फिल्म में काम करना शुरू कर दिया था. रेखा जब छोटी सी कम उम्र में काम करके थक जाती थीं और काम पर जाने से मना करती थीं तो उनके भाई उनको मारते थे. बतौर हिरोइन रेखा की पहली तेलगु फिल्म 'रंगुला रतलाम' 1968 में आई, जिसमें उनका नाम बेबी भानुरेखा बताया गया
  •  रेखा पहले सांवली और काफी मोटी हुआ करती थीं, जिसे हिंदी बोलना तक नहीं आता था, लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे. उनके लिए खुलेआम काली-कलूटी और नमूना जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया. लेकिन रेखा ने ठान लिया कि वो आगे बढ़ती रहेंगी.
  •  बॉलीवुड में रेखा को 1970 में फिल्म ‘सावन भादो ’ में पहला ब्रेक मिला , ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई.
  •  फिल्म अंजाना सफ़र के पहले शूटिंग शेडयूल में ही उन्हें ज़बरदस्ती हीरो बिस्वजीत के साथ एक किसिंग सीन करना पड़ा . इस सीन की जानकारी उन्हें पहले से नहीं दी गई थी. लगभग पांच मिनट तक चले इस किसिंग सीन के दौरान उनकी आखों में आसूं थे. हालांकि ये सीन बाद में मशहूर लाइफ़ मैगजीन का हिस्सा बना और रेखा को ज़बरदस्त पब्लिसिटी मिली .
  •  फिल्म के इस सीन पर सेंसर बोर्ड ने कैंची चलाने की कोशिश की. ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया और कोर्ट ने खोसला कमिटी बनाई. कमिटी ने जांच के बाद कहा था , ' किस सीन दो लोगों का पर्सनल मामला है. अगर उन दोनों को इसमें कोई आपत्ति नहीं है तो किसी तीसरे को भी नहीं होनी चाहिए. '
  •  उस समय उन्होंने रामपुर का लक्ष्मण, कहानी किस्मत की, प्राण जाए पर वचन ना जाए जैसी फिल्मों में काम किया. इन सबने अच्छा कारोबार किया.
  •  रेखा मुमताज और जिंतेंद्र की दीवानी थी, जितेंद्र की शूटिंग देखने के लिए पुलिस के डंडे भी खाए.
  •  विनोद मेहरा के साथ रेखा की शादी की खबरें खूब छपीं. कहते हैं विनोद की मां ने रेखा को कबूल नहीं किया और इसी वजह से विनोद उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं कर पाए.
  •  एक फिल्म निर्माता के मुताबिक जब विनोद मेहरा उन्हें अपने घर ले गए, तो विनोद की मां ने रेखा को बाहर निकाल दिया. रेखा दरवाजे पर खड़ी थीं और विनोद की मां उन्हें भला-बुरा कह रही थीं . विनोद ने मामला संभालने की कोशिश की , लेकिन उनकी माँ नहीं मानी . उन्होंने अपना सैंडल उतारा और रेखा को मारने के लिए आगे बढ़ीं . इस पूरे मामले से दुखी रेखा वहां से चली गई और विनोद उन्हें मनाने के लिए पीछे दौड़े .
  •  विनोद के बाद अभिनेता किरण कुमार के साथ भी रेखा का रोमांस चला मगर यहां भी किरण का परिवाऱ आड़े आ गया और दोनों का ब्रेकअप हो गया .
  •  अमिताभ बच्चन की हीरोइन के तौर पर रेखा की पहली फिल्म दो अंजाने के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेखा और अमिताभ ने पहली बार एक साथ फिल्म दुनिया का मेला साइन की थी . लेकिन इस फिल्म से अमिताभ को निकाल दिया गया क्योंकि उनकी शुरुआती फिल्में बुरी तरह पिट गई थीं . बाद में इस फिल्म में संजय खान हीरो बने .
  •  1976 में दो अंजाने की शूटिंग के दौरान अमिताभ-रेखा के अफ़ेयर की ख़बरे आने लगी और अगले कुछ सालों में तो ये हर फिल्म मैगज़ीन की सुर्खियों में थी. खून पसीना, गंगा की सौगंध, मिस्टर नटवरलाल, मुकद्दर का सिकंदर जैसी फिल्मों की कामयाबी ने इन्हें बॉलीवुड की सबसे मशहूर जोड़ी बना दिया .
  •  दोनों के रोमांस की खबरें अमिताभ की पत्नी जया बच्चन तक भी पहुंचीं और रेखा ने एक इंटरव्यू में बताया कि जया ने उन्हें अपने घर डिनर पर बुलाया. जया ने रेखा से कहा कि कुछ भी हो जाए वो अपने पति अमिताभ को नहीं छोड़ेगी.
  •  फिल्म ‘गंगा की सौगंध ’ के सेट पर अमिताभ ने रेखा को परेशान करने वाले एक शख्स की पिटाई कर दी थी.
  •  1980 में वे कॉमेडी फिल्म खूबसूरत में दिखाई दीं जिसके निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी थे जिनके साथ रेखा का पिता - बेटी का रिश्ता बन चुका था. यह फिल्म भी सफल हुई और और रेखा को उनकी कॉमिक टाइमिंग के लिए सराहा गया.
  •  इसे फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार तो मिला ही, साथ ही साथ रेखा को पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला. इसके बाद से अग्रणी फिल्म निर्देशकों ने रेखा को और नोटिस किया और अपनी फिल्मों मे उन्हें कास्ट करने की खासी रूचि दिखाई.
  •  1980 में ही अभिनेता ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी के रिसेप्शन में रेखा मांग में सिंदूर लगाकर पहुंची तो हंगामा हो गया . वहां मौजूद मेहमानों और मीडिया ने रेखा की मांग में सिंदूर देखकर ये अंदाजा लगाया कि उन्होंने गुपचुप शादी कर ली है .
  •  ऐसा नहीं है कि रेखा ने कभी अपने रिश्ते पर बात नहीं की . साल 1984 के नवंबर अंक में फिल्मफेयर मैगज़ीन को दिए एक इंटरव्यू में रेखा ने कहा कि मेरी बातों से किसी को कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि मैं दूसरी औरत हूं .
  • 1982 में जब रेखा को फिल्म उमराव जान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल रहा था तो वहां भी वो मांग में सिदूर भर कर पहुंची . पुरस्कार देते समय तत्कालीन राष्ट्पति नीलम संजीवा रेड्डी ने उनसे पूछा था , ‘ आप अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाए हुए हैं ?’ एक पल को पूरी महफिल में खामोशी छा गई . हर कोई सोच रहा था तक आतखर रेखा क्या जवाब देंगी . रेखा फौरन माइक पर बोलीं , ‘ जिस शहर से मैं आई हूं वहां सिंदूर लगाना फैशनेबल माना जाता है .’
  •  1981 में रिलीज़ हुई यश चोपड़ा की सिलसिला आज तक अपनी बेमिसाल कास्टिंग के लिए जानी जाती है . यश चोपड़ा ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा - मैं सिलसिला की शूटिंग के दौरान चौकन्ना और डरा हुआ रहता था क्योंकि रियल लाइफ़ की कहानी फिल्मी पर्दे पर उतारी जा रही थी . फिल्म में जया अमिताभ की पत्नी हैं और रेखा उनकी गलर्फ्रेंड . असल ज़िंदगी में भी यहीं कहानी चल रही है फिल्म की शूटिंग के दौरान कुछ भी हो सकता था क्योंकि फिल्म में यही तीनों साथ काम कर रहे थे ’
  •  लेकिन ये सबसे बड़ी कास्टिंग भी फिल्म को बचा नहीं सकी . सिलसिला फ्लॉप रही और इसके बाद अमिताभ और रेखा ने साथ में किसी फिल्म में काम नहीं किया .
  •  1983 में फिल्म कुली के दौरन हुए हादसे के बाद जब अमिताभ अस्पताल में मौत से जूझ रहे थे तब रेखा को उनसे मिलने नहीं दिया गया . कहते हैं इस घटना के बाद से ही रेखा और अमिताभ के अफ़ेयर पर ब्रेक लग गए .
  •  रेखा को इस घटना से बेहद धक्का लगा . एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा - सोचिए मैं उस शख्स को ये नहीं बता पाई कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं . मैं ये महसूस नहीं कर पाई कि उस शख्स पर क्या बीत रही है . मुझे मौत मंजूर थी पर बेबसी का ये एहसास नहीं , मौत भी इतनी बुरी नहीं होती होगी .
  •  4 मार्च 1990 को रेखा ने दिल्ली के बिज़नेसमैन मुकेश अग्रवाल से शादी कर ली . ये शादी गुपचुप तरीक़े से मुंबई के जूही के एक मंदिर में हुई .
  •  शादी के बाद रेखा को पता चला कि मुकेश डिप्रेशन के मरीज़ हैं . इसके अलावा दोनों के बीच कई बातों को लेकर असहमति बढ़ती गई . 6 महीने के अदर ही दोनों ने तलाक़ का फैसला कर लिया .
  •  लेकिन शादी के महज़ सात महीने बाद 2 अक्टूबर 1990 को मुकेश ने रेखा के दुपट्टे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली . रेखा उस समय एक स्टेज शो के सिलसिले में अमेरिका में थी .
  •  मुकेश की मौत के लिए रेखा को ज़िम्मेदार ठहराया गया . उनकी फिल्मों के पोस्टर पर कालिख मल दी गई . इस घटना के बाद रेखा ने मींडिया से बात करना लगभग बंद सा कर दिया .
  •  रेखा ने फिल्म फूल बने अंगारे से ज़बरदस्त कमबैक किया . लेकिन फिर रेखा का करियर ढलान पर आ गया . फिल्में कम हुईं तो रेखा अपने ग्लैमरस फोटोशूट्स की वजह से सुर्खियां बटोरने लगीं .
  •  1990 के दौरान रेखा की सफलता में गिरावट हुई। उन्होंने कई ऐसी फिल्मों में काम किया जो कि खास कारोबार भी नहीं कर पाईं और आलोचकों से भी अच्छी प्रतिक्रियाएं नहीं मिलीं.
  •  इस दौरान श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित जैसी अभिनेत्रियां भी चर्चित हो गईं। इसके बाद उन्होंने कामसूत्रः ए टेल आफ लव और खिलाडि़यों का खिलाड़ी जैसी फिल्मों में काम किया.
  •  खिलाडि़यों का खिलाड़ी ने काफी अच्छा कारोबार किया और फिल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक रही। इस फिल्म में पहली बार रेखा ने मैडम माया का निगेटिव किरदार निभाया था। फिल्म में अक्षय कुमार और रवीना टंडन भी थे.
  •  2000 आते आते उन्होंने फिल्में कम कर दीं और कुछ ही फिल्मों में दिखाई दीं. इस दौरान वे फिल्म बुलंदी में दिखाई दीं. 2001 में वे फिल्म लज्जा में दिखाई दीं। फिर वे राकेश रोशन की फिल्म कोई मिल गया में रितिक की मां के किरदार में पर्दे पर आईं तो वहीं फिल्म परिणीता में एक आइटम नंबर भी करती हुई नजर आईं.
  •  रेखा और अमिताभ के साथ में काम करने को लेकर अक्सर सवाल पूछे जाते रहे हैं. साल 2015 में रिलीज़ हुई अमिताभ की फिल्म शमिताभ में रेखा एक सीन में नज़र आईं जिसमें वो दिल खोलकर हीरो अमिताभ की तारीफ़ करती हैं . लेकिन इस सीन में दोनों साथ नहीं थे .
  •  रेखा की सबसे बेहतरीन फिल्म आज भी उमराव जान को ही माना जाता है. तक़रीबन 35 साल बाद भी इस किरदार में एक अजीब सी कशिश है. इस भूमिका में रेखा की मायूसी , अकेलापन , उनकी आंखों का ख़ालीपन और मोहब्बत के इंतज़ार, आज भी उनके चाहने वालों से कुछ कहता है. उमराव और रेखा मानो अलग नहीं रहे. दोनों जैसे एक हो गए .
  • रेखा हाल ही में एक डांस शो में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘ सुहाग के दौरान का एक दिलचस्प किस्सा साझा किया। रेखा ने बताया कि कैसे वे फिल्म शूट के बीच में दुर्गा देवी की मूर्ति के पीछे जाकर झपकी लेती थीं , ताकि वे कैमरे के सामने फ्रेश लगें.

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प्रसिद्ध फिल्में - सावन भादो , ऐलान , रामपुर का लक्ष्मण , धर्मा , कहानी किस्मत की , नमक हराम , प्राण जाए पर वचन ना जाए , धर्मात्मा , दो अंजाने , खून पसीना , गंगा की सौगंध , घर , मुकद्दर का सिकंदर , सुहाग
 , मिस्टर नटवरलाल , खूबसूरत , सिलसिला , उमराव जान , निशान , अगरर तुम ना होते , उत्यव , खून भरी मांग , इजाजत , बीवी हो तो ऐसी , भ्रष्टाचार , फूल बने अंगारे , खिलाडि़यों का खिलाड़ी , आस्था , बुलंदी , जुबैदा , लज्जा , दिल है तुम्हारा , कोई मिल गया , क्रिश , सदियां , सुपर नानी , शमिताभ.

सम्मान व पुरस्कार

रेखा की कुछ सराहनीय फ़िल्में इस प्रकार है, जिनके लिए उन्हें बहुत सराहा गया और कुछ फ़िल्मों के लिए उन्हें पुरस्कार भी मिले.
· सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड - 1981 - फ़िल्म - ' खूबसूरत '
· सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार - 1982 - फ़िल्म - ' उमराव जान '
· सर्वश्रेष्ठ हिंदी अभिनेत्री के लिए बंगाल फ़िल्म संवाददाता संघ अवार्ड - 1985 - फ़िल्म - ' उत्सव '
· सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड - 1989 - फ़िल्म - ' खून भरी मांग '
· सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड और सबसे अच्छी खलनायिका के लिए स्टार स्क्रीन अवार्ड - 1997 - फ़िल्म - ' खिलाड़ीयों का खिलाड़ी '
· सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री ’ के लिए बॉलीवुड फ़िल्म अवार्ड - 2004 - फ़िल्म - ' कोई मिल गया
· 2003 में फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
· 2010 में पध्मश्री अवार्ड
· 2016 में दुबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड