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Birth Anniversary: हरिवंश राय बच्चन की ऐसी कविताएं, जिनसे सीख सकते हैं कामयाबी के मंत्र

हरिवंश राय बच्चन, एक ऐसा नाम, जो किसी पहचान का मोहताज नहीं है। उनका जन्म 27 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने 'मधुशाला', 'मधुकलश', 'मिलन यामिनी' और 'दो चट्टानें' जैसी प्रमुख साहित्यिक कृतियां लिखी हैं।

Updated on: 27 Nov 2018, 09:38 AM

मुंबई:

हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan), एक ऐसा नाम, जो किसी पहचान का मोहताज नहीं है। उनका जन्म 27 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (Allahabad) में हुआ था। उन्होंने 'मधुशाला', 'मधुकलश', 'मिलन यामिनी' और 'दो चट्टानें' जैसी प्रमुख साहित्यिक कृतियां लिखी हैं। वहीं, 'क्या भूलूं क्या याद करूं', 'नीड़ का निर्माण फिर' और 'बसेरे से दूर' समेत कई रचनाएं उनके लेखन से समृद्ध हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उनकी 'मधुशाला' की ही होती है।

हरिवंश राय जी ने अपनी कविताओं के जरिए जीवन में कामयाबी के ऐसे मंत्र दिए हैं, जिन्हें अपनाकर आप सफलता हासिल कर सकते हैं।

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फाइल फोटो
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मदिरालय जाने को घर से चलता है पीने वाला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूं-
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।

फाइल फोटो
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रात के उत्पात-भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर!
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!

फाइल फोटो
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सुन, कलकल , छलछल मधुघट से गिरती प्यालों में हाला,
सुन, रूनझुन रूनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला,
बस आ पहुंचे, दुर नहीं कुछ, चार कदम अब चलना है,
चहक रहे, सुन, पीनेवाले, महक रही, ले, मधुशाला।

फाइल फोटो
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धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मस्जिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।

फाइल फोटो
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नहीं जानता कौन, मनुज आया बनकर पीनेवाला,
कौन अपिरिचत उस साकी से, जिसने दूध पिला पाला,
जीवन पाकर मानव पीकर मस्त रहे, इस कारण ही,
जग में आकर सबसे पहले पाई उसने मधुशाला।