logo-image

कौन है रानी पद्मावती ? काल्पनिक पात्र या ऐतिहासिक राजपूत वीरांगना

इन दिनो देश की मीडिया से लेकर आम जन तक एक विषय पर खूब चर्चा हो रही है। रानी पद्मावती आखिर कौन थीं? कोई उन्हें चित्तोड़ की रानी बता रहा है तो कोई महज एक काल्पनिक पात्र।

Updated on: 29 Jan 2017, 11:52 AM

नई दिल्ली:

संजय लीला भंसाली इतिहास पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन अक्सर उनकी फिल्म जाने-अनजाने किसी न किसी विवाद में पड़ ही जाती है। पद्मावती भी एक ऐसी ही फिल्म है जिसको लेकर कुछ लोग भंसाली का विरोध कर रहें है। विरोध करने वालों का कहना है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। उनका आरोप है कि फिल्म में  रानी पद्मावती और अल्लाउद्दीन खिलजी के बीच प्रेम प्रसंग को दिखाने की कोशिश हो रही है जो इतिहास की दृष्टी से यह गलत है।

इस विरोध से सबके मन में एक सवाल उठा है कि आखिर कौन थीं रानी पद्मावती?  कोई उन्हें चित्तौड़ की रानी बता रहा है तो कोई महज एक काल्पनिक पात्र। आइए जानते हैं साहित्य और इतिहास क्या कहते हैं रानी पद्मावती के बारे में।

जायसी का 'पद्मावत' एक साहित्यिक पात्र

हिंदी साहित्य की बात करें तो जायसी ने 'पद्मावत, नाम का महाकाव्य लिखा था। जायसी सूफी संत थे और इस रचना में उन्होंने नायक रतनसेन और नायिका पद्मिनी की प्रेमकथा को विस्तारपूर्वक कहते हुए प्रेम की साधना का संदेश दिया है। रतनसेन ऐतिहासिक व्यक्ति है, वह चित्तौड़ का राजा हैं,पद्मावती उसकी वह रानी है जिसके सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर तत्कालीन सुल्तान अलाउद्दीन उसे प्राप्त करने के लिये चित्तौड़ पर आक्रमण करता है और यद्यपि युद्ध में विजय प्राप्त करता है लेकिन पद्मावती के जल मरने के कारण उसे नहीं प्राप्त कर पाता है।

जायसी ने कल्पना के साथ-साथ इतिहास की सहायता से अपने पद्मावत की कथा का निर्माण किया है। भारतवर्ष के सूफी कवियों ने लोकजीवन तथा साहित्य में प्रचलित निजंधरी कथाओं के माध्यम से अपने अध्यात्मिक संदेशों को जनता तक पहुंचाने के प्रयत्न किए हैं। पद्मावती की कहानी जायसी की अपनी निजी कल्पना न होकर पहले से प्रचलित कथा के अर्थ को उन्होंने नये सिरे से स्पष्ट किया है।

क्या कहते हैं इतिहासकार 

पद्मावती पर चर्चा के बीच जाने-माने इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्विटर पर लिखा है कि पद्मावती एक ऐसा किरदार है जिसे कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने पद्मावत में रचा। ये 1540 की बात हैं और 1540 से पहले पद्मावती का कोई एतेहासिक रिकॉर्ड नहीं मिलता है।

हबीब ने लिखा कि राजस्थान के इतिहास पर गहन अध्ययन करने वाले प्रोफेसर केएस लाल और प्रोफेसर गौरी शंकर ओझा ने चित्तौड़ में पद्मावती नाम की रानी होने की बात को पूरी तरह से खारिज किया है।

उन्होंने कहा कि फिल्म मुगले-आजम में दिखाए गए अनारकली के किरदार को भी बहुत से लोग हकीकत कहते हैं लेकिन ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि जहांगीर को अनारकली से इश्क हुआ या फिर अकबर ने उसको दीवारों में चुनवाया हो। इरफान हबीब ने एक फिक्शनल कैरेक्टर पर हिंसा को बेवजह कहा और इसकी निंदा की है।

क्या कहते हैं राजस्थान के लोग और सरकारी आकड़े 

राजस्थान के लोग और सरकारी आकड़ो में कहा गया है कि रानी पद्मावती एक राजपूत वीरांगना थीं और उन्होंने आन-बान-शान के लिए हंसते-हंसते जौहर कर लिया। अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ की रानी पद्मावती के प्यार में पड़ने की कहानी कोई कल्पना नहीं इतिहास है। दिल्ली सल्तनत का शासक अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर सन 1303 में आक्रमण किया था। उसके चंगुल से बचने के लिए किले में रानी समेत कई महिलाएं जिंदा आग में जलकर सती हो गईं।

सम्मान की रक्षा के लिए जौहर कर रानी इतिहास के पन्ने पर अमर हो गयीं। आज भी लोग रानी की गौरव गाथा गाते हुए जौहर स्थल की और इशारा करते हुए कहता है यहाँ रानी चिता में कूदी थी।