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B'daySpl: सत्यजीत रे की फिल्मों ने बदला भारतीय सिनेमा का चेहरा, चित्रकार से ऐसे बने फिल्मकार

भारतीय सिनेमा के सर्वोत्तम निर्देशक सत्यजीत रे का आज 97 वां जन्मदिन है। रे ने न सिर्फ भारतीय कलाकारों को बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ​कई फिल्मकारों को अपने काम से प्रेरित किया।

Updated on: 02 May 2018, 11:30 AM

नई दिल्ली:

भारतीय सिनेमा के सर्वोत्तम निर्देशक सत्यजीत रे का आज 97 वां जन्मदिन है। सत्यजीत रे का जन्म कोलकाता में दो मई 1921 को हुआ था।

रे ने न सिर्फ भारतीय कलाकारों को बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ​कई फिल्मकारों को अपने काम से प्रेरित किया।

भारतीय सिनेमा के इतिहास में 'पाथेर पांचाली' सबसे जबरदस्त फिल्मों में से एक है। 1961 में रे की पहली प्रकाशित लघु कहानी 'बोनकुबाबू के मित्र' थी।

बांग्ला साहित्यकार विभूति भूषण बंदोपाध्याय के नॉवेल विल्डंगसरोमन से रे काफी प्रभावित थे। उन्ही के इस उपन्यास पर सत्यजीत रे ने 'पाथेर पांचाली' फिल्म को बनाने का फैसला किया।

1955 में आई 'पाथेर पांचाली' के बाद रे ने 'अपराजितो' का निर्माण किया।

सत्यजीत रे को बचपन में स्केचिंग का शौक था के जैसे-जैसे वे बड़े हुए उनकी रूचि वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक की ओर बढ़ने लगी। 1943 में एक ऐड कंपनी में सत्यजीत रे ने आर्टिस्ट की नौकरी की।

रे सिनेमा के बेहद शौक़ीन थे। जब भी काम के सिलसिले में विदेश जाते तब वे खूब फिल्में देखते थे। यहीं से उन्हें फिल्में बनाने की प्रेरणा मिली।

सत्यजीत रे का निर्देशन में रुझान फ़्रांसिसी फिल्म निर्देशक जॉ रन्वार से मिलने और लंदन में इतालवी फिल्म लाद्री दी बिसिक्लेत फिल्म 'बाइसिकल चोर' देखने के बाद हुआ।

सत्यजित न सिर्फ निर्देशक थे ब्लकि कैमरा, स्क्रिप्ट, म्यूजिक, ऑर्ट डायरेक्शन और एडिटिंग में भी माहिर थे। रे फिल्मकार के साथ चित्रकार और फिल्म आलोचक भी थे।

1977 में सत्यजीत रे के सिनेमाई करियर की पहली फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में संजीव कुमार सईद जाफरी और अजमद खान मुख्य भूमिका थे।

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'शतरंज के खिलाड़ी' फिल्म टिकट खिड़की पर लोग जुटाने में भले ही उतनी सफल न हुई हो लेकिन फिल्म समीक्षकों के बीच यह फिल्म काफी सराही गई थी।

रे की फिल्म 'अपू ट्रायोलॉजी' ने भारतीय सिनेमा के लिए अंतराष्ट्रीय कला के दरवाजे खोले।

हॉलीवुड की कई फिल्में सत्यजीत रे की कहानियों और फिल्मों से प्रेरित हैं। इनमें 'टैक्सी ड्राइवर', 'फोर्टी शेड्स ऑफ ब्लू', 'E.T. द एक्सट्रा टेरेस्ट्रअल', जैसी चर्चित फिल्में शामिल हैं।

यही नहीं भारत में भी कई शॉर्ट फिल्में सत्यजीत रे की कहानियों पर आधारित हैं। 'आगंतुक' उनके जीवन की आखिरी फिल्म थी।

सत्यजीत रे की पहली फ़िल्म 'पाथेर पांचाली' को कान फ़िल्मोत्सव में 'सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख' पुरस्कार से नवाजा गया था।

सत्यजीत रे भारत के एकमात्र ऐसे कलाकार है जिन्हे पद्मश्री, पद्मभूषण , ऑस्कर से लेकर दादा साहेब फाल्के अवॉर्डसे सम्मानित किया गया।

अकादमी ऑफ मोशन पिक्च र आर्ट्स एंड साइंसेज ने उन्हें 'मानद पुरस्कार' से नवाजा था।

वह इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले और इकलौते भारतीय रहे हैं। अपनी मृत्यु से 24 दिन पहले रे ने बीमारी में यह पुरस्कार ग्रहण किया था।

भारतीय सिनेमा के बेहतरीन और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सत्यजीत रे 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार और 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित है।

अप्रैल 1992 में उनका निधन हो गया। 1992 में हृदय रोग के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन वह ठीक नहीं हुए।

रे को 'पाथेर पंचाली', 'अपुर संसार', 'चारूलता' और 'शतरंज के खिलाड़ी' जैसी उत्कृष्ट फिल्मों के लिए जाना जाता है।

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