पंडित जसराज, विवेक ओबेराय समेत 900 कलाकारों ने पीएम नरेंद्र मोदी को दोबारा चुनने की जारी की अपील
बयान में कहा गया है, ‘हमें विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार रहना समय की जरूरत है. हमारे सामने जब आतंकवाद जैसी चुनौतियां हों, तो ऐसे में हमें मजबूत सरकार चाहिए, मजबूर सरकार नहीं.’
नई दिल्ली.:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को दोबारा मौका देने और नहीं देने पर कला और मनोरंजन जगत में भी दो फाड़ हो गए हैं. विगत दिनों नसीरुद्दीन शाह, अमोल पालेकर, गिरीश कर्नाड और एमके रैना सरीखे दिग्गजों ने मोदी सरकार को चुनाव में हराने की अपील जारी की तो, इसके जवाब में फिल्म जगत की लगभग 900 हस्तियों ने एक बयान जारी कर भारतीय जनता पार्टी को वोट देने की अपील कर डाली. इनका कहना था कि 'देश को ‘मजबूत सरकार’ चाहिए, ना कि ‘मजबूर सरकार’'.
मोदी सरकार को दोबारा मौका देने के पक्ष में पंडित जसराज, विवेक ओबेराय और रीता गांगुली समेत 900 से अधिक कलाकार हैं. इन्होंने लोगों से बगैर दबाव या पूर्वाग्रह के वोट डालने को कहा है. बयान में कहा गया है, ‘हमें विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार रहना समय की जरूरत है. हमारे सामने जब आतंकवाद जैसी चुनौतियां हों, तो ऐसे में हमें मजबूत सरकार चाहिए, मजबूर सरकार नहीं. इसलिए मौजूदा सरकार चलती रहनी चाहिए.’
संयुक्त बयान जारी करने वालों में शंकर महादेवन, त्रिलोकी नाथ मिश्रा, कोयना मित्रा, अनुराधा पौडवाल और हंसराज हंस भी शामिल हैं. संयुक्त बयान में कहा गया कि पिछले पांच साल में भारत में ऐसी सरकार रही जिसने भ्रष्टाचार मुक्त और विकास के लिए तत्पर प्रशासन दिया.
इसके पहले रंगमंच एवं कला जगत से जुड़ी 600 हस्तियों ने पत्र लिखकर बीजेपी को वोट न देने की अपील की है. पत्र लिखने वालों में नसीरूद्दीन शाह, अमोल पालेकर, गिरीश कर्नाड, एमके रैना, उषा गांगुली, शांता गोखले, महेश एलकुंचेवार, महेश दत्तानी, अरूंधती नाग, कीर्ति जैन, अभिषेक मजूमदार, कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, लिलेट दुबे, मीता वशिष्ठ, मकरंद देशपांडे और अनुराग कश्यप जैसी हस्तियां शामिल हैं. पत्र के जरिए देश के मतदाताओं से कहा है कि वोट डालकर बीजेपी और उसके सहयोगियों को सत्ता से बाहर करें.
पत्र में कहा गया है, 'आगामी लोकसभा चुनाव देश के इतिहास के सबसे अधिक गंभीर चुनाव है. आज गीत, नृत्य और हास्य खतरे में है. हमारा संविधान खतरे में है. सरकार ने उन संस्थाओं का गला घोंट दिया है जहां तर्क, बहस और असहमति का विकास होता है. किसी लोकतंत्र में सबसे कमजोर और सबसे अधिक वंचित लोगों को सशक्त बनाना चाहिए.' पत्र लिखने वाले कई कलाकारों ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान भी कई बार बोलने की आजादी का सवाल उठाया था.
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