अबकी बार किसकी सरकार : जानें यूपी की मथुरा लोकसभा सीट का ताज़ा हाल
इस सीट के इतिहास को देखें तो शुरुआती चुनावों में यहां कांग्रेस का दबदबा रहा था, लेकिन बीते दो दशकों में भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व यहां बढ़ा है.
मथुरा:
भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा राजनीतिक इतिहास से भी एक वीआईपी सीट मानी जाती है. 2014 के चुनाव से यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी को मैदान में उतारा था. जिसके बाद ये सीट हाईप्रोफाइल मानी गई थी. इस सीट के इतिहास को देखें तो शुरुआती चुनावों में यहां कांग्रेस का दबदबा रहा था, लेकिन बीते दो दशकों में भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व यहां बढ़ा है. फिलहाल यहां बीजेपी का कब्जा है. सांसद हेमामालिनी को पार्टी ने एक बार फिर टिकट दिया और वो चुनाव मैदान मे हैं. वहीं कांग्रेस से स्थानीय व्यापारी महेश पाठक, और महा-गठबंधन से नरेंद्र सिंह चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. नरेंद्र सिंह कांग्रेस से कई बार सांसद रहे पुराने नेता मानवेन्द्र सिंह के भाई हैं, हालांकि हाल ही में मानवेन्द्र सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया. जाहिर है इसका असर उनकी भाई के लिए ठीक नहीं होगा.
मथुरा लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
मथुरा लोकसभा सीट पर पहले चुनाव से ही राजनीतिक रण होता रहा है. पहले और दूसरे लोकसभा चुनाव में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन उसके बाद 1962 से 1977 तक लगातार तीन बार कांग्रेस पार्टी ने यहां जीत दर्ज की. 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा और भारतीय लोकदल ने जीत हासिल की.
1980 में जनता दल यहां से चुनाव जीता, लेकिन 1984 में कांग्रेस ने एक बार फिर यहां से जोरदार जीत दर्ज की. इस जीत के साथ ही कांग्रेस के लिए यहां लंबा वनवास शुरू हुआ और 1989 में जनता दल के प्रत्याशी ने यहां जीत दर्ज की. इसके बाद यहां लगातार 1991, 1996, 1998 और 1999 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. इस दौरान चौधरी तेजवीर सिंह लगातार 3 बार यहां से चुनाव जीते.
हालांकि, 2004 में कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह ने यहां से वापसी की. 2009 में बीजेपी के साथ लड़ी रालोद के जयंत चौधरी ने यहां से एकतरफा बड़ी जीत दर्ज की. लेकिन 2014 में चली मोदी लहर में अभिनेत्री हेमा मालिनी ने 50 फीसदी से अधिक वोट पाकर जीत दर्ज की.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व रहा है. 2014 में भी जाट और मुस्लिम वोटरों के अलग होने का नुकसान ही रालोद को भुगतना पड़ा था. जाटों ने एकमुश्त होकर बीजेपी के हक में वोट किया. 2014 के आंकड़ों के अनुसार मथुरा लोकसभा क्षेत्र में कुल 17 लाख मतदाता हैं, इनमें 9.3 लाख पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला वोटर हैं.
मथुरा लोकसभा में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव की विधानसभा सीट शामिल हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां मांट सीट पर बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली थी, जबकि बाकी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी.
2014 में कैसा था जनादेश?
2014 के लोकसभा चुनाव में यहां हेमा मालिनी को करीब 53 फीसदी वोट मिले थे. रालोद का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर अजित चौधरी के बेटे जयंत को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. 2014 में इस सीट पर 64 फीसदी मतदान हुआ था, इनमें से मात्र 2000 वोट ही NOTA में डाले गए थे. बीजेपी की जीत इतनी बड़ी थी कि उसे मिली वोटों की गिनती बसपा-सपा को मिले वोट से भी ज्यादा थी.
सांसद का प्रदर्शन और प्रोफाइल
हेमा मालिनी ने 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता और धमाकेदार जीत दर्ज की थी. हालांकि, बीते लंबे समय से वह राजनीति में एक्टिव थीं. 1999 में उन्होंने पहली बार बीजेपी के लिए प्रचार किया था, जबकि 2004 में आधिकारिक तौर पर पार्टी ज्वाइन की. लोकसभा सांसद चुने जाने से पहले हेमा मालिनी राज्यसभा की भी सांसद रह चुकी हैं.
अगर संसद में प्रदर्शन की बात करें तो हेमा मालिनी ने 16वीं लोकसभा में कुल 18 बहस में हिस्सा लिया, उन्होंने कुल 210 सवाल पूछे. ADR की रिपोर्ट के अनुसार हेमा मालिनी के पास कुल 178 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है. हेमा मालिनी ने अपने संसदीय कोटे से करीब 90 फीसदी राशि खर्च की है.
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