लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बही SP-BSP, पर मुस्लिमों ने बचाई महागठबंधन की लाज
उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व राष्ट्रीय लोकदल के महागठबंधन के बावजूद भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर 62 सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि 2 सीटों पर उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने जीत हासिल की.
नई दिल्ली:
इस बार लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में न केवल जातीय गणित फेल हुआ है, बल्कि वंशवादी राजनीति को भी भारी झटका लगा है. राजनीतिक परिवार से आने वाले अधिकांश उम्मीदवारों को इस बार हार का सामना करना पड़ा है. 2014 के बाद 2019 में भी उत्तर प्रदेश ने नरेंद्र मोदी के लिए दिल्ली का रास्ता आसान कर दिया है. उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व राष्ट्रीय लोकदल के महागठबंधन के बावजूद भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर 62 सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि 2 सीटों पर उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने जीत हासिल की.
इस लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में जहां दलित-यादव-जाट और मुस्लिमों के वोट बैंक को इस महागठबंधन के लिए सुनिश्चित माना जा रहा था उसे महज 15 सीटों पर ही जीत हासिल हुई है. जातीय समीकरणों के आधार पर यूपी में मायावती-अखिलेश यादव का किया गया यह वो प्रयोग था जिसकी सफलता सुनिश्चित मानी जा रही थी, लेकिन मोदी लहर में तमाम जातीय समीकरण फिस्स साबित हुए.
हालांकि मोदी लहर के बीच यूपी के मुसलमान वोटर्स समाजवादी पार्टी के लिए तारणहार के रूप में उभरे. मायावती और अखिलेश यादव ने मिलकर मौजूदा लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में कुल 10 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे.
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समाजवादी पार्टी ने रामपुर से आजम खान, मुरादाबाद से एसटी हसन, संभल से डॉ शफीकुर्रहमान बर्क और कैराना से तबस्सुम हसन को टिकट दिया था. जबकि बीएसपी ने अमरोहा से कुंवर दानिश अली, गाजीपुर से अफजाल अंसारी, सहारनपुर से हाजी फजलुर्रहमान, धौरहरा से अरशद इलियास सिद्दीकी, डुमरियागंज से आफताब आलम और मेरठ से हाजी याकूब कुरैशी को प्रत्याशी बनाया था.
महागठबंधन के इन 10 मुस्लिम प्रत्याशियों में से 6 ने जीत दर्ज की है. सहारनपुर से हाजी फजलुर्रहमान, मुरादाबाद से एसटी हसन, संभल के शफीकुर्रहमान बर्क, रामपुर से आजम खान, अमरोहा से कुंवर दानिश अली और गाजीपुर से अफजाल अंसारी ने जीत दर्ज की है.
इस तरह महागठबंधन के 10 में से 6 मुस्लिम प्रत्याशी जीत गए हैं. जबकि एक प्रत्याशी बहुत ही कम अंतर से हारा है. मेरठ से बीएसपी के टिकट पर लड़े हाजी याकूब कुरैशी को बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल से महज 5 हजार के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
इसके अलावा उपचुनाव में कैराना से जीत दर्ज पूरे देश में चर्चा का केंद्र बनने वाली तबस्सुम हसन भी हार गई हैं. सपा के टिकट पर कैराना से लड़ीं तबस्सुम हसन 92160 मतों से हार बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप कुमार से हार गई हैं.
धौरहरा सीट से बसपा के अरशद इलियास सिद्दीकी (352294 वोट), डुमरियागंज से बसपा के आफताब आलम (386932 वोट) भी चुनाव हार गए हैं.
एक दिलचस्प आकंड़ा ये भी है कि करीब 20 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले यूपी की इन सभी सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद निर्णायक भूमिका में है. फाइनल रिजल्ट में मोदी सुनामी के बावजूद 10 में से 6 प्रत्याशियों की जीत भी इस बात को दर्शाती है कि मुस्लिमों ने बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन को जिताने में न सिर्फ मजबूत निभाने का प्रयास किया है, बल्कि महागठबंधन की लाज भी बचाई है.
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