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आसान नहीं था 'रविंद्र नाथ शुक्ला' के लिए भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन बनना...

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर लोकसभा सीट से BJP ने भोजपुरी स्टार रवि किशन को टिकट दिया है.

Updated on: 16 Apr 2019, 12:07 AM

नई दिल्ली:

BJP ने उम्मीदवारों की 21वीं लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में 7 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर लोकसभा सीट से BJP ने भोजपुरी स्टार रवि किशन को टिकट दिया है. इसके अलावा पार्टी ने अंबेडकर लोकसभा सीट से मुक्त बिहारी, प्रतापगढ़ से संगम लाल गुप्ता, संत कबीर नगर से प्रवीण निषाद, देवरिया सीट से रमापति राम त्रिपाठी, जौनपुर से के पी सिंह और भदोही लोकसभा सीट से रमेश बींद को टिकट दिया है.

हालांकि यह रवि किशन के लिए पहले बार नहीं होगा, क्योंकि इससे पहले भी रवि किशन चुनाव लड़ चुके हैं. रवि किशन इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके. हैं. हालांकि उन्हें चुनाव में बुरी तरह से हारना पड़ा था. 2017 में रवि किशन बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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इतिहास कोई एक दिन में नहीं रचता बल्कि उसकी नींव काफी पहले पड़ गई होती है. देश की लगभग हर भाषा की फिल्मों में अभिनय कर चुके रवि किशन की गिनती देश के उन गिने चुने कलाकारों में होती है, जिन्होंने काफी संघर्ष के बाद न सिर्फ मंजिल पाई, बल्कि देश के कोने-कोने में उनकी भाषा में अपनी आवाज बुलंद की. वह आज भोजपुरी फिल्मों के महानायक हैं. यही नहीं, हिंदी, दक्षिण भाषाई फिल्मों सहित अन्य भाषाई फिल्मों में भी छाए रहते हैं. इतिहास गवाह है कि हर सफलता की नींव काफी पहले रख दी जाती है. कुछ ऐसा ही है अभिनेता रवि किशन के साथ.

रवि किशन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां

रवि किशन का जन्म मुंबई में सांताक्रूज़ की चॉल में हुआ था. जब उनकी उम्र 10 साल की थी तब उनका परिवार डेयरी कारोबार विवाद के कारण मुंबई से उत्तर प्रदेश के जौनपुर में स्थानांतरित हो गया था.

रवि किशन का असली नाम रविंद्र नाथ शुक्ला है. फिल्मों में आने से पहले रवि ने पेपर बेचने के अलावा वीडियो कैसेट किराए पर देने का काम भी किया है. इन सबके बीच बांद्रा में उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी. पुरानी मोटरसाइकल से वे अपना फोटो लेकर इस ऑफिस से उस ऑफिस भटकते रहते थे और जब पेट्रोल के पैसे नहीं रहते तो पैदल ही घूम-घूमकर निर्माता निर्देशकों से मिलते रहते थे.

17 वर्ष की उम्र में उनकी मां ने उन्हें 500 रुपए दिए थे जिसे लेकर वह उत्तर प्रदेश को छोड़कर मुंबई आ गए थे.

वह रामलीला में भी कार्य करते थे, जहां वह सीता की भूमिका बहुत खूब निभाते थे.
उनकी डेब्यू फिल्म “पीताम्बर” एक बी ग्रेड फिल्म थी. जिसके लिए उन्हें 5000 रुपए पारितोषिक मिला.
वह सुप्रसिद्ध फिल्म “तेरे नाम” 2003 से बहुत प्रसिद्ध हुए. जिसमें उन्होंने “रामेश्वर” नामक पुजारी की भूमिका अदा की थी. सयोंगवश, उनके पिता जी भी पुजारी का कार्य करते थे, अपनी इस भूमिका के लिए उन्हें अपने पिता जी से भी प्रेरणा मिली.
वह अपने प्रसिद्ध संवाद “जिंदगी झंडवा … फिर भी घमंडवा” के लिए जाने जाते हैं.
2006 में, बिग बॉस 1 में वह फाइनल प्रतियोगी भी थे.
वर्ष 2012 में उन्होंने ” झलक दिखला जा – 5″ कार्यक्रम में भाग लिया था.

वर्ष 2014 में, उन्होंने कांग्रेस पार्टी की तरफ से जौनपुर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से चुनाव लड़ा किंतु भारतीय जनता पार्टी के कृष्ण प्रताप सिंह से पराजित हो गए.
वर्ष 2007 में, उन्होंने स्पाइडर-मैन फिल्म के अभिनेता पीटर पार्कर की आवाज को भोजपुरी में डब किया.
उन्होंने अपनी फिल्म “जीना है तो ठोक डाल” में आमिर खान की फिल्म गुलाम के ट्रेन स्टंट को दोहराया.
वह भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त हैं.
वह सैफ अली खान के बहुत अच्छे दोस्त हैं.
उन्होंने हिंदी और भोजपुरी फिल्मों के साथ-साथ तेलुगु फिल्मों में भी कार्य किया है.
वर्ष 2017 में, कांग्रेस पार्टी छोड़कर वह बीजेपी में शामिल हुए.