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पिछले 5 साल में पीएम नरेंद्र मोदी ने बनारस को क्‍या दिया, जानें यहां

पहली बार इस संसदीय क्षेत्र का सांसद देश का प्रधानमंत्री बना और दूसरी बार भी यहां की जनता ने उसे एक अवसर दिया.

Updated on: 25 May 2019, 02:38 PM

highlights

वाराणसी में परियोजनाएं

  • 362 करोड़ की लागत से बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करना.
  • 253 करोड़ रुपये की लागत से बारिश के निकासी के लिए नाले का निर्माण
  • 158 करोड़ की लागत से वाराणसी के लिए गैस पाइप लाइन
  • 134 करोड़ रुपये की लागत से पीने के पानी की पाइप लाइन

नई दिल्‍ली:

भारतीय सभ्यता का कालातीत धरोहर है वाराणसी. यह अध्यात्मिक है, रहस्यमय है, पवित्र है. यह शहर हजारों वर्षों की हमारी बहुमूल्य परंपराओं की विरासत संजोए हुए है. पहली बार इस संसदीय क्षेत्र का सांसद देश का प्रधानमंत्री बना और दूसरी बार भी यहां की जनता ने उसे एक अवसर दिया. पीएम बनने के बाद काशी (Varansi) को क्‍योटो (Kyoto) बनाने का वादा करने वाले नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पिछले 5 सालों बहुत कुछ दिया. आइए जानें उन्‍होंने अपने इस संसदीय क्षेत्र का क्‍या-क्‍या दिया..

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कुल 20 बार वाराणसी का दौरा किया. नामांकन से पहले आखिरी बार वह काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास करने अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे थे.पीएम वाराणसी में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर के अलावा कई दिग्गजों को घुमा चुके हैं. इस बार कुंभ मेले से पहले प्रवासी भारतीय दिवस भी काशी में ही मनाया गया था.

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2014 में पीएम मोदी ने यह कहा था- वाराणसी को स्वच्छ बनाना है और अस्सी घाट पर एक शुरूआत की थी. 2015 में पीएम मोदी ने रिंग रोड फेज-1 की आधारशिला रखी और सिर्फ 3 साल के भीतर उन्होंने शहर को दो महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट सौंप दिए.

12 दिसंबर 2015- जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत दौरे पर आए तो मोदी उन्हें काशी लेकर गए, मोदी ने शिंजो आबे को वाराणसी के घाट घुमाए और काशी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती में हिस्सा भी लिया.

मार्च 2018- मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को लेकर वाराणसी पहुंचे, इस मौके पर मिर्जापुर में सोलर प्लांट और गंगा में सैर के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने डीएलडब्ल्यू में कई प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की.जब जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर भारत दौरे पर आए तो प्रधानमंत्री मोदी उन्हें भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी लेकर गए.

68 वां जन्म दिवस वाराणसी में 

प्रधानमंत्री मोदी ने अपना 68 वां जन्म दिवस वाराणसी में मनाया था और उन्होंने वहां के लोगों के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किया था. पीएम मोदी ने अपना जन्मदिन बच्चों के साथ मनाया.जन्मदिन के अवसर पर मोदी ने कहा- आपने भले ही मुझे प्रधानमंत्री का दायित्व दिया है, लेकिन यह मेरा दायित्व है कि मैं एमपी के नाते अपने किए हुए काम का लेखा जोखा प्रस्तुत करूं. आप ही मेरे हाई कमांड हैं. आप ही मेरे स्वामी हैं. मैं आपका सेवक हूं. इसलिए मुझे एक एक पैसे और एक एक मिनट का हिसाब देना है. कोई भी प्रधानमंत्री इस तरह अपने संसदीय क्षेत्र के लिए काम नहीं किया होगा.

पूर्वांचल का बिजनेस हब बन रहा काशी

2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अब तक वाराणसी के लिए करीब 315 परियोजनाएं स्वीकृत हुईं हैं, जिनमें से लगभग 279 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं. रोड से लेकर ट्रीटमेंट प्लांट, नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर ट्रांसपोर्ट फैसिलीटीज तक जापान के सहयोग से बन रहे कनवेंशन सेंटर से लेकर सिटी कमांड के जरिए ट्रैफिक मैनेजमेंट तक, अंडरग्राउंड केबलिंग से लेकर कार्गो सेंटर तक, किसी मेगा सिटी का कनसेप्ट देता है तो वहीं साफ सुथरे बनारस के चकाचक घाट, उन पर लगे हेरिटेज लाइट, गलियों और चैड़ाहों की साफ सफाई, दीवारों की पेंटिंग और काशी के स्वामी बाबा विश्वनाथ मंदिर के आस-पास गलियारे का निर्माण और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भवनों का कायाकल्प बनारस की जरूरत और शोहरत दोनों को पूरा करता है.

बाबतपुर- वाराणसी हाईवे

17.6 किलोमीटर लंबे इस हाइवे को आज गेटवे ऑफ़ बनारस कहा जा रहा है. बनारस के किसी भी क्षेत्र से बाबतपुर हवाई अड्डे तक पहुंचने का यह मार्ग ब्रांड बनारस की पहचान बन गया है. इस हाईवे के बनने से विदेशी मेहमानों की आवक पहले से काफी बढ़ गई है.

मल्टी मोडल टर्मिनल

गंगा में जल परिवहन के जरिये बनारस से हल्दिया तक माहवाहक जहाज भेजने के लिए रामनगर में बने मल्टी मोडल टर्मिनल का शुरू किया गया. नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया तो उन्होंने कहा था- काशी नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बनने जा रही है.

बाबा विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर

प्रधानमंत्री मोदी ने काशी के विकास में एक नया अध्याय बाबा विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर बनाने की शुरूआत के साथ जोड़ दिया है. कोरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच 25,000 स्क्वेयर वर्ग मीटर में बन रहा है.. इसके तहत फूड स्ट्रीट, रिवर फ्रंट समेत बनारस की तंग गलियों का चैड़ीकरण का काम भी चल रहा है. प्रधानमंत्री खुद विस्तारीकरण व सुंदरीकरण के कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से देश के 11 प्राचीन धरोहरों में मणिकर्णिका घाट भी जुड़ने जा रहा है. उत्तर प्रदेश में ताज महल आइकोनिक धरोहर पहले से है. काशी के अन्य प्राचीन मंदिरों को भी संरक्षित किया जा रहा है.दो पुराने पुस्तकालयों को भी संवारने का काम किया जा रहा है . इन्हें डिजिटल लाइब्रेरी बनाया जा रहा है . जिस पर कुल 24 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.

प्रधानमंत्री ने एक बार कहा था- वे राजनीति में आने से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर जब आए थे तो उनके मन में एक भाव आया था कि काश कोई काशी विश्वनाथ की इन संकरी गलियों को विकसित करता और मा गंगा और बाबा विश्वनाथ मंदिर का दर्शन एक साथ हो पाता. आज मोदी जी की वह इच्छा उन्हीं के जरिये पूरी होती नजर आ रही है. इससे ज्यादा भोले की कृपा क्या हो सकती हैं! .

वाराणसी के उद्योगों को नया पंख

काशी के विकास में वहां के बुनकरों का विकास भी शामिल था. इस व्यापार सुविधा केंद्र पर सरकार ने 147 करोड़ रुपये खर्च किए. प्रधानमंत्री मोदी ने कई अवसरों पर कहा- कृषि के बाद रोजगार देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र टेक्सटाइल है. और यही एक ऐसा उद्योग है, जिसमें मालिक और मजदूर के बीच कोई अंतर नहीं है.

मोदी के सामने बनारस के कपड़ा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की चुनौती थी, क्योंकि पिछली सरकारों के उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण हथकरघा में लगे मजदूर बेहद परेशान होकर यह उद्योग छोड़ रहे थे. ना तो उन्हें कच्चा माल मिल रहा था और ना उन्हें तैयार माल का दाम मिल रहा था. तब उत्तरप्रदेश में सपा की सरकार थी.प्रधानमंत्री मोदी ने जब सपा सरकार से व्यापार केंद्र के लिए जमीन मांगी तो उन्होंने जमीन शहर से बहुत बाहर दिया. फिर भी व्यापार केंद्र खुला और फिर बुनकरों के दिन लौटने शुरू हुए.

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वाराणसी का यह हस्तशिल्प, कुटीर उद्योग के रूप में फैला है. जिसमें बनारसी रेशमी साड़ी, कपड़ा उद्योग, कालीन उद्योग प्रमुख हैं. चूंकि ये सारे उद्योग मुख्य रूप से लेवर इंटेसिव होते हैं इसलिए इनपर ताला लगने का मतलब लोगों के सामने रोटी की समस्या आ जाती . 43 लाख से अधिक हथकरघा बुनकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं. इसलिए एक साथ कई परियोजनाओं पर काम करना जरूरी था. पीएम मोदी की पहल पर वाराणसी में बुनकरों के लिए योजनाएं शुरू हुईं.

मेक इन इंडिया प्रोग्राम से जुड़ी काशी

प्रधानमंत्री मोदी ने बुनकरों के लिए व्यापार सहयोग केंद्र ‘ दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल की आधारशिला 2014 में रखी और 2017 में इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया. 22 सितंबर 2017- प्रधानमंत्री ने इस व्यापार सुविधा केंद्र का उद्घाटन भी कर दिया, इसका नाम रखा गया ‘दीनदयाल हस्तकला संकुल. प्रधानमंत्री ने वाराणसी के हथकरघा उद्योग को मेक इन इंडिया के साथ साथ स्किल इंडिया कार्यक्रम से भी जोड़ दिया और कारीगरों को तकनीक एवं कौशलता का प्रशिक्षण भी दिया जाने लगा. इसके लिए 305 करोड़ रुपए की लागत से एक टेक्सटाइल फैसिलिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया . साथ ही 9 स्थानों पर बुनकरों को उत्कृष्ट उत्पादन सुविधा के लिए कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर भी बनाए गए.

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मोदी ने वाराणसी में 6 करोड़ रुपए की लागत से नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की शाखा भी खुलवाई. साथ ही रीजनल सिल्क टेक्नोलॉजिकल रिसर्च स्टेशन की स्थापना की गई. मोदी जी यहीं नहीं रूके उन्होंने 31 करोड़ रुपए की लागत से हस्तशिल्प उद्योग सर्वांगीण विकास योजना भी शुरू की.

मोदी ने बुनकरों व छोटे व्यापारियों को मुद्रा योजना से जोडा. अब उन्हें 50 हजार रुपये से ले करके 10 लाख रुपये तक बिना गारंटी के लोन मिल रहा है. बुनकरों के लिए तो मुद्रा योजना में 10 हजार रुपये की मार्जिन मनी का भी प्रावधान है. ‘पहचान’ नाम से एक पहचान पत्र बुनकरों को दिया गया है जिसके जरिये पैसे सीधे उनके खाते में चले जाते हैं.12 नवंबर 2018 में  पीएम मोदी ने वाराणसी में करीब तीन घंटे रुके और इस दौरान उन्होनें काशी को 2500 करोड़ से ज्यादा की लागत के 1 दर्जन से ज्यादा परियोजनाओं की सौगात दी.

जुलाई 2018- प्रधानमंत्री ने 'मेरी काशी' नामक एक पुस्तक का विमोचन किया. इस किताब में चार सालों के दौरान काशी में हुए विकास के बारे में लिखा गया है. इसमें बताया गया है कि काशी पहले कैसी थी और इन चार सालों के दौरान इसमें और क्‍या-क्‍या बदलाव हुए. वाराणसी में शुरू की गई 300 योजनाओं की जानकारी इसमें दी गई हैं. इन योजनाओं पर क़रीब 30 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च की बात इस किताब में लिखी गई है.

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किताब में बताया गया है कि चार हज़ार करोड़ रुपये तीन राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार और वाराणसी रिंग रोड पर, 185 करोड़ रुपये वाराणसी कन्वेंशन सेंटर पर, 800 करोड़ रुपये वाराणसी एयरपोर्ट से हाईवे पर, 600 करोड़ रुपये पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर और होमी भाभा कैंसर अस्पताल पर, नाले की सफ़ाई पर 533 करोड़ रुपये, 131 करोड़ रुपये स्वच्छ पेय जल पर ख़र्च की योजना है.