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भोपाल में दिग्विजय सिंह की 'ड्यूटी' में तैनात पुलिस कर्मी गले में पहने नजर आए 'केसरिया' पट्टा, जानें फिर क्या हुआ

विवाद तब बढ़ा जब 'ड्यूटी' पर तैनात कुछ पुलिस कर्मियों ने स्वीकार किया कि उन्हें जबरन केसरिया पट्टा गले में डालने को कहा गया है.

Updated on: 08 May 2019, 02:27 PM

highlights

  • कुछ पुलिस कर्मियों ने माना उन्हें जबरन केसरिया पट्टा पहनने को कहा गया.
  • डीआईजी भोपाल ने कहा पुलिसवाले नहीं पहन सकते किसी भी रंग का पट्टा.
  • कंप्यूटर बाबा दे रहे हैं भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को समर्थन.

नई दिल्ली.:

सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को लेकर एक बार फिर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार घिर गई. बुधवार को भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के रोड-शो में सादी वर्दी में पुलिस कर्मियों के गले में केसरिया पट्टा देखकर बवाल खड़ा हो गया. विवाद तब बढ़ा जब 'ड्यूटी' पर तैनात कुछ पुलिस कर्मियों ने स्वीकार किया कि उन्हें जबरन केसरिया पट्टा गले में डालने को कहा गया है.

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पुलिस ने कहा मानक प्रक्रिया का ही पालन किया
हालांकि पुलिस अधिकारियों का यही कहना रहा कि सादी वर्दी में पुलिस कर्मियों की तैनाती एक मानक प्रक्रिया है. यही नहीं, वे यह भी तर्क देते नजर आए कि वास्तव में सादी वर्दी में पुलिस वालों की तैनाती शाम को बीजेपी प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के रोड-शो को लेकर की गई ड्रिल थी. हालांकि विवाद बढ़ता देख भोपाल के डीआईजी को बयान जारी करना पड़ा कि पुलिस कर्मी किसी भी रंग का पट्टा घारण नहीं कर सकते हैं.

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कंप्यूटर बाबा दे रहे हैं दिग्विजय सिंह को समर्थन
गौरतलब है कि बुधवार को कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को समर्थन देने के लिए साधू-संतों का जमावड़ा लगा था. दिग्विजय सिहं का मुकाबला बीजेपी की प्रज्ञा सिंह ठाकुर से है. ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को समर्थन देने के लिए नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा खासतौर पर भोपाल में मौजूद थे. उन्होंने साथी साधू-संतों से कहा कि बीजेपी ने राम मंदिर को राजनीतिक अस्त्र बतौर इस्तेमाल कर समाज को सिर्फ बेवकूफ ही बनाया है.

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शिवराज सिंह सरकार में राज्य मंत्री थे कंप्यूटर बाबा
सोमवार को कंप्यूटर बाबा ने कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह की जीत के लिए यज्ञ करने की बात भी कही थी, हालांकि इन्हीं कंप्यूटर बाबा को भूतपूर्व शिवराज सिंह सरकार ने राज्य मंत्री का दर्जा दिया था. यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर कंप्यूटर बाबा ने बीजेपी के खिलाफ खुलेआम बगावत कर दी. बाद में लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के समर्थन में उतर आए.