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2019 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी का आगाज धमाकेदार, राहुल गांधी की टक्कर जोरदार

ऐसी तमाम जंग लड़ने और उन्हें फतह करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुराना अनुभव है, लिहाज़ा वो साल 2019 के चुनावी जंग को पहले ही संसद से निकाल कर जनता के बीच पहुंचा चुके हैं.

Updated on: 06 Jan 2019, 06:59 PM

नई दिल्ली:

ससंद में आखिरी दौर की जंग छिड़ी है. आखिरी दौर इसलिए, क्योंकि अब इस सरकार में पूरे सत्र की संसद की गुंजाइश खत्म हो गई है. अब तो जंग सीधे जनता के बीच लड़ी जाएगी. अगली लोकसभा के लिए.. नई सरकार के लिए. इसीलिए सभी दलों के साथ देश की दो बड़ी पार्टियां, सत्ताधारी बीजेपी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस, संसद की इस आखिरी जंग में अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं...क्योंकि इसी ताकत बलबूते दोनों एक-दूसरे पर मनोवैज्ञानिक बढ़त के साथ जनता के बीच पहुंचेंगी.

ऐसी तमाम जंग लड़ने और उन्हें फतह करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुराना अनुभव है, लिहाज़ा वो साल 2019 के चुनावी जंग को पहले ही संसद से निकाल कर जनता के बीच पहुंचा चुके हैं. पीएम मोदी जानते हैं कि ऑफेंस इज़ द बेस्ट डिफेंस.. यानी जिसने पहला वार किया, उसने आधी जंग जीत ली. इसीलिए साल 2019 के पहले ही दिन देश और जनता से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी जनता के सामने आ गए और मिशन 2019 का धमाकेदार आगाज़ कर दिया. अपने सबसे लंबे इंटरव्यू में पीएम मोदी ने हर मुद्दे पर बात की, लेकिन उनका खास निशाना कांग्रेस और कांग्रेस में भी खास निशाना गांधी परिवार ही रहा.

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लोकसभा चुनाव से पहले ही ताबड़तोड़ रैलियों की रणनीति

पीएम मोदी ने जिस अंदाज़ में धमाकेदार इंटरव्यू देकर कांग्रेस और गांधी परिवार को घेरा, उसके बाद आमतौर पर कोई नेता अल्प विराम लेता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने सूक्ष्म विराम भी नहीं लिया. एक दिन बाद ही मोदी कांग्रेसी सत्ता वाले पंजाब जा पहुंचे और एक बार फिर कांग्रेस पर जमकर हमला किया. पंजाब की धरती से मोदी ने दोतरफा तीर चलाए. 1984 के सिख दंगों का जिक्र छेड़कर मोदी ने पंजाब के लोगों की सुहानूभूति हासिल करने का दांव तो चला ही, 15 साल बाद हाथ से निकल गए मध्यप्रदेश को भी टारगेट किया.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को सिख दंगों का आरोपी बताकर उन्होंने ना सिर्फ पंजाब से मध्यप्रदेश तक अपनी बिसात बिछाई, बल्कि कांग्रेस हाईकमान को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की. प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति लोकसभा चुनाव-2019 की औपचारिक मुनादी से पहले ही करीब 100 ताबड़तोड़ रैलियां कर एक बार फिर 2014 जैसा माहौल बनाने की है.

पिछले साढ़े 4 साल में अपनी सत्ता के विरोध में जितना माहौल बना है, पीएम मोदी अपनी करिश्माई शख्सियत और रैलियों के जरिये उसे खत्म करने में जुटे हैं, ताकि 5 राज्यों के चुनावों में मिली शिकस्त का असर उनके मिशन 2019 पर ना पड़े. रैलियों की इस रणनीति में पीएम मोदी के निशाने पर खासतौर पर ऐसे इलाके हैं जो या तो बीजेपी के हाथ से निकल चुके हैं या निकलते नज़र आ रहे हैं. बीजेपी चाहे एंटी इनकमबैंसी की वजह से पिछड़ रही हो या अपने सहयोगियों की टेढ़ी नज़रों की वजह से, लेकिन पीएम मोदी किसी भी सूरत में 2019 की औपचारिक जंग की शुरुआत से पहले ही सारी निगेटिविटी खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. जो साख अबतक उनके लिहाज़ से कमज़ोर हो रही है उसे पीएम मोदी किसी भी हालत में 2019 की जंग के औपचारिक एलान से पहले फिर हासिल कर लेना चाहते हैं.

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पीएम मोदी के खिलाफ राहुल की रणनीति क्या?

जिस जंग का आगाज़ साल बदलते ही हो गया है, उस जंग में पीएम मोदी ने सिर्फ पहला वार ही नहीं किया, बल्कि वो लगातार आक्रमण की मुद्रा में आ चुके हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी 2019 की जंग ज़ोरदार होने का अहसास है, इसलिए कमर राहुल और उनकी पार्टी ने भी कस ली है. राफेल को लेकर संसद में लगातार राहुल गांधी जिस तरह आक्रामक हैं, ये उसी का सबूत है. संसद के साथ ही संसद के बाहर भी राहुल गांधी और कांग्रेस पूरी तरह आक्रामक हैं, लेकिन यहां कांग्रेस से जो रणनीतिक चूक हो रही है वो है मुद्दों की कमी.

राहुल गांधी की रणनीति देखकर लगता है कि वो सिर्फ राफेल को ही अपना सबसे बड़ा हथियार बनाना चाहते हैं. इसीलिए राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के दिग्गज तक राफेल के मुद्दे पर ही आक्रामक नज़र आते हैं. चुनाव के लिए वक्त अब ज्यादा नहीं है. ऐसे में कांग्रेस को चौतरफा जंग की रणनीति बनाने की ज़रूरत है. शायद कांग्रेस ये मानकर चल रही है कि हिंदी पट्टी के 3 अहम राज्यों में बीजेपी से सत्ता छीन लेना ही पूरे देश को संदेश देने के लिए काफी है तो ये कांग्रेस और राहुल गाँधी का बहुत बड़ा मुग़ालता होगा. मुमकिन है कि जिन मुद्दों पर बीजेपी की सत्ता से नाराज़ होकर जनता ने कांग्रेस को मौका दिया, उन मुद्दों पर लोकसभा चुनाव तक कांग्रेसी सत्ता जनता को पूरी तरह संतुष्ट ना कर सके.

ऐसा इसलिए भी मुमकिन है, क्योंकि कांग्रेस के पास इसके लिए वक्त बहुत कम है. कांग्रेस को ये भी समझना होगा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नतीजों और वहां की जनता को दक्षिण और पूरब के राज्यों जैसा समझना भी गलत होगा. और सबसे बड़ी बात ये कि राफेल का मुद्दा ही कांग्रेस किस तरह जनता की आवाज़ में बदल पाएगी अभी यही तय नहीं है. राहुल गांधी राफेल के तकनीकी पहलुओं को लेकर सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमले कर रहे हैं, जबकि आम जनता, जिनके बूते कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता हासिल की है, तकनीकी पहलुओं को ना ही समझ सकती है, ना ही समझना चाहती है. उसे तो ठीक उसी तर्ज़ पर एक लाइन में बात समझ आनी चाहिए जैसा कि बोफोर्स को लेकर वीपी सिंह ने माहौल बनाया था यानी राफेल मतलब भ्रष्टाचार. राहुल गांधी राफेल को लेकर ये जुमला जनमानस में बिठा पाए, तभी वो अपने इकलौते बड़े एजेंडे में कामयाब हो पाएंगे. ऐसा करना मुश्किल इसलिए नज़र आता है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी को लेकर भ्रष्टाचार साबित करना फिलहाल मुश्किल ही नज़र आता है.

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लिंचिंग से लेकर किसान कर्जमाफी तक की रणनीति

कांग्रेस हालांकि मॉब लिंचिंग से लेकर किसान कर्ज़माफी तक को मुद्दा बनाकर ताल ठोंकती नज़र आती है, लेकिन इन मुद्दों पर कांग्रेस की आक्रामकता आधी-अधूरी नज़र आती है. इन सबके इतर, मिडिल क्लास को लेकर कांग्रेस के पास भी कोई ठोस रणनीति नहीं दिखती. रोज़गार को लेकर कांग्रेस का विज़न क्या है, ये साफ नहीं है. राहुल गांधी तमाम रैलियों में स्थानीय रोज़गार को बढ़ावा देने की जो बातें करते हैं वो कई बार अव्यवहारिक नज़र आती हैं. वैसे भी मिडिल क्लास के मन में स्व रोज़गार से ज्यादा नौकरी की लालसा होती है.

ये नौकरियां राहुल गांधी कैसे और कहां से लाएंगे इसका कोई जवाब कांग्रेस के पास नहीं है. हकीकत में करना तो दूर, कांग्रेस के पास इस मामले में कहने को भी कुछ नहीं है, जिसे देश का युवा सुनना चाहता है. यानी साल 2019 की टक्कर तो ज़ोरदार है, लेकिन पीएम मोदी से निराश पक्ष को रोशनी की सही किरण फिलहाल कांग्रेस भी दिखाने में पूरी तरह से सक्षम नज़र नहीं आती. राहुल गांधी को अगर मिशन 2019 की राह में पीएम मोदी को उनके बराबर की टक्कर देनी है तो उन्हें अपनी रणनीति भी चौतरफा और आक्रामक बनानी होगी. साथ ही हर वर्ग की जनता की उम्मीदों के मुताबिक एक्शन प्लान भी सामने रखना होगा.

(डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं. इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NewsState और News Nation उत्तरदायी नहीं है. इस लेख में सभी जानकारी जैसे थी वैसी ही दी गई हैं. इस लेख में दी गई कोई भी जानकारी अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NewsState और News Nation के नहीं हैं, तथा NewsState और News Nation उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.)