प्रियंका गांधी वाड्रा का टारगेट 43 और उनके सामने 5 चुनौतियां, कांग्रेस महासचिव के बारे में जानें सबकुछ
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) की इस ऐतिहासिक जंग में प्रियंका (Priyanka Gandhi) को यूपी के रणक्षेत्र में प्रियंका टारगेट 43 लक्ष्य लेकर उतर चुकी हैं.
नई दिल्ली:
प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने लोकसभा (Lok Sabha Elections) के अब तक के सबसे दिलचस्प मुकाबले में जनवरी के अंतिम सप्ताह में उतार दिया. उन्हें कांग्रेस महासचिव बनाया गया और साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई. लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) की इस ऐतिहासिक जंग में प्रियंका (Priyanka Gandhi) को यूपी के रणक्षेत्र में प्रियंका टारगेट 43 लक्ष्य लेकर उतर चुकी हैं. इसके लिए वो जीजान से जुटी भी हुई हैं. लेकिन उनकी मेहनत कितनी रंग लाएगी ये तो वक्त तय करेगा लेकिन आज आपको उनके व्यक्तिगत और राजनैतिक जीवन के बारे में बताएंगे..
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प्रियंका गांधी का जन्म 12 जनवरी 1972 को हुआ. वो राहुल गांधी से 2 साल छोटी हैं. प्रियंका गांधी ने माडर्न स्कूल , कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी कॉ़लेज से पढ़ाई की है. वो दिल्ली यूनिवर्सिटी से सायकॉलजी में ग्रेजुएट हैं. दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रियंका गांधी को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. वो हमेशा भारी सुरक्षा गार्डों के साए में रहीं.
कॉलेज का ज्यादातर वक्त उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मैरी कॉलेज में बिताया. बाद में उन्होंने 2010 में बुद्धिस्ट स्टडीज में एमए की डिग्री ली. प्रियंका गांधी ने एक बार मीडिया से कहा था कि उनकी शक्लो-सूरत दादी इंदिरा गांधी से मिलती है. प्रियंका गांधी के बालों के स्टाइल से लेकर चाल-ढाल तक में इंदिरा गांधी की छाप दिखती है.
प्रियंका गांधी को कई बार अपनी दादी की तरह सूती साड़ी में देखा गया है. रायबरेली और अमेठी के दौरे में वो अक्सर इसी वेशभूषा में नजर आती हैं. प्रियंका गांधी का बुद्धिज्म में विश्वास है. वो अनुशासनप्रिय हैं. प्रियंका गांधी को एक अच्छी आर्गेनाइजर माना जाता है.
प्रियंका गांधी ने अपनी मर्जी से शादी की है. उनके पति रॉबर्ट वाड्रा दिल्ली के बिजनेसमैन हैं. उनकी शादी गांधी परिवार के आवास 10 जनपथ में 18 फरवरी 1997 को हुई. उनका विवाह हिंदू रीति रिवाज से संपन्न हुआ. प्रियंका गांधी जब 13 साल की थीं तब वो पहली बार रॉबर्ट वाड्रा से मिली थीं. प्रियंका को रॉबर्ट की सादगी इतनी पसंद आई कि उन्होंने उनके साथ दोस्ती कर ली. दोनों का रिश्ता दोस्ती से शुरू हुआ और प्यार तक पहुंच गया. 1991 में प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा की पहली मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के घर पर हुई थी. उनके दो बच्चे बेटा रेहान और बेटी मिराया हैं।
एक इंटरव्यू में रॉबर्ट ने खुद बताया था कि , मैं नहीं चाहता था कि हमारे इस रिश्ते के बारे में कोई जाने क्योंकि लोग इसे समझ नहीं पाते और कुछ अलग ही रूप दे देते. रॉबर्ट ने कहा कि मैंने कभी भी प्रियंका को घुटने के बल बैठकर प्रपोज नहीं किया. उन्होंने बताया कि हम दोनों ने एक जगह बैठकर अपने रिश्तों के बारे में गंभीरता से विचार किया और एक निष्कर्ष पर पहुंचे. दोनों दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में साथ-साथ पढ़ते थे।
2017 में यूपी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस और एसपी गठबंधन में बड़ी भूमिका निभाई. तब यूपी के इंचार्ज और महासचिव गुलाम नबी आजाद ने गठबंधन के लिए प्रियंका गांधी को धन्यवाद दिया था. प्रियंका गांधी की भूमिका लोगों को कांग्रेस में जोड़ने में भी काफी मजबूत रही है. प्रियंका कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी समय-समय पर मिलती रहती हैं. बीच सड़क पर रुक कर किसी भी कार्यकर्ता को नाम से पुकार लेती हैं.
इंदिरा ने प्रियंका को दिए थे अपने ज़ेवर - वसीयत में किया था ज़िक्र
इंदिरा गांधी ने 4 मई , 1981 को एक वसीयत लिखी थी , ये वसीयत परिवार के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर थी , वसीयत के अनुसार इंदिरा गांधी ने जेवर प्रियंका को दिए. पर शेयर , सिक्योरिटी और यूनिट को तीनों बच्चों में बांटे. पुरातन सामग्री जो पुरातत्व विभाग में निबंधित हैं , वो प्रियंका को मिलेंगे.
इंदिरा ने अपनी वसीयत में लिखा कि मेरे सारे निजी पेपर्स राहुल को मिलेंगे. बहुमूल्य और दुर्लभ पुस्तकें राहुल और प्रियंका को मिलेंगे , वसीयत के अनुसार महरौली के नजदीक वाला निजी फार्म हाउस राहुल और प्रियंका को मिले. हालांकि इस वसीयत में प्रियंका के अलावा , राहुल और वरुण को भी हिस्सेदारी देने की बात लिखी गयी थी , लेकिन जिन चीज़ों से इंदिरा को सबसे लगाव था , वो चीज़ें प्रियंका के हिस्से में ही दी गयी.
प्रियंका ने पहली बार साल 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के लिए अमेठी में प्रचार का जिम्मा संभाला था. वह दो सप्ताह अमेठी में रुकी और सोनिया गांधी को लाखों वोटों से जीत दिलाई. साल 1999 में रायबरेली से लड़ रहे कैप्टन सतीश शर्मा की हारती हुई सीट पर प्रियंका ने रोड शो करके जीत में बदल दिया था.
प्रियंका का टारगेट 43
- · प्रियंका के ज़िम्मे यूपी की 80 में से 43 सीट
- · पूर्वांचल की 30 और अवध की 13 सीट
- · 2014 में कांग्रेस 43 में से दो सीटें ही जीती थीं.
- · पूर्वांचल की 30 सीटों पर कांग्रेस को 6 फीसदी वोट मिले थे
- · अवध की 13 सीटों पर 18 फीसदी वोट मिले थे
- · राज्यभर में कांग्रेस को 8.4 फीसदी वोट मिले थे
यूपी में प्रियंका का मिशन 20
- · 80 सीटों की जगह चुनिन्दा दो दर्जन सीटों पर ही फोकस
- · यूपी में कांग्रेस का लक्ष्य कम से कम 20 सीटें जीतना
- · 2009 में 21 सीटों पर जीती थी कांग्रेस
- · दलित-मुस्लिम बाहुल्य के साथ-साथ परम्परागत सीटों पर फोकस
- · सवर्णों और अगड़ी जातियों को जोड़ने का लक्ष्य
- · प्रियंका के लिए ऐसी सीट चुनी जाए जिससे देश भर में बड़ा संदेश जाए
- · रायबरेली , अमेठी , वाराणसी और लखनऊ की सीट को लेकर मंथन चल रहा है.
यूपी में प्रियंका की 5 चुनैती
- · कैडर और कार्यकर्ताओं को चुनावी मोड में लाने और जगाने की चुनौती
- · रनरअप वाल सीट को ' विनिंग ' में बदलने की चुनौती
- · एक साथ दो फ्रंट - एसपी-बीएसपी गठबंधन के साथ ही बीजेपी से लड़ना होगा
- · पुराने पारम्परिक वोटर - सवर्ण , मुस्लिम और दलित को जोड़ने की चुनौती
- · भ्रष्टाचार पर विपक्ष के निजी हमले से पार पाने की चुनौती
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