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नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी को पहली बार मिलेगी शिकस्‍त, टूटेगा कांग्रेस मुक्‍त भारत का सपना!

पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव संपन्‍न होने के बाद Exit Poll भी आ गया है. कुछ Exit Poll बीजेपी (BJP) को तो कुछ कांग्रेस (Congress) को बढ़त दिलाते दिख रहे हैं.

Updated on: 08 Dec 2018, 09:36 PM

नई दिल्ली:

पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव  संपन्‍न होने के बाद Exit Poll भी आ गया है. कुछ Exit Poll बीजेपी (BJP) को तो कुछ कांग्रेस (Congress) को बढ़त दिलाते दिख रहे हैं. ज्‍यादातर Exit Poll के अनुसार कांग्रेस को इन चुनावों में बढ़त हासिल होने के आसार हैं. अगर Exit Poll के आंकड़े सही होते हैं तो यह बीजेपी के लिए बहुत बुरी खबर है और कांग्रेस के लिए तो आक्‍सीजन (Oxygen) का काम करेगी. अगले लोकसभा चुनाव  में से पहले बीजेपी के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है तो कांग्रेस के लिए माइलेज लेने का मौका होगा. अगर यही संकेत मतगणना (Counting) के दिन भी कायम रहते हैं तो आइए जानते हैं देश की राजनीति पर इसका क्‍या असर पड़ेगा.

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राहुल गांधी की स्‍वीकार्यता बढ़ेगी : विधानसभा चुनावों  (Assembly Election) में जीत मिलने के बाद कांग्रेस और कांग्रेस के बाहर राहुल गांधी की स्‍वीकार्यता बढ़ेगी. इसमें कोई दो राय नहीं है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) चुनाव जिताऊ नेता साबित हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो यह राहुल गांधी की पहली बड़ी सफलता होगी. अभी यूपीए (UPA) में शामिल कुछ दल राहुल गांधी के नाम पर एकराय नहीं हैं. अभी क्षेत्रीय दलों के नेता हर मौके पर कांग्रेस को आंख दिखाने से बाज नहीं आते और सभी राज्‍यों के क्षत्रप राहुल गांधी के बदले खुद को बड़ा नेता साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते, लेकिन विधानसभा चुनावों में जीत के साथ ही राहुल गांधी की राजनीति का लोहा मानने वालों की कमी नहीं होगी. बीजेपी (BJP) पर बढ़त पाने के लिए अधिकांश क्षेत्रीय दल कांग्रेस के बैनर तले आ जाएंगे.

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प्रभावित होगी बीजेपी की कांग्रेस मुक्‍त राजनीति : विधानसभा चुनावों (Assembly Election) में अगर बीजेपी (BJP) को मात मिलती है और कांग्रेस (Congress) जीतती है तो बीजेपी (BJP) की कांग्रेस मुक्‍त राजनीति प्रभावित होगी. 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी एक के बाद एक कई राज्‍यों में सरकार बनाती गई. उसके अलावा कई राज्‍यों में वह गठबंधन (Allience) के सहयोगी रूप में सरकार में भागीदार है. आज 21 राज्‍यों में या तो बीजेपी की सरकार है या गठबंधन के सहयोगी के रूप में सरकार में शामिल है. इन विधानसभा चुनावों (Assembly Election) में मात मिलने पर बीजेपी शासित राज्‍यों की संख्‍या घटेगी और उसका दबदबा कम होगा. इसके साथ ही बीजेपी की कांग्रेस मुक्‍त राजनीति का सपना भी टूट जाएगा.

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विपक्ष होगा आक्रामक, राफेल पर गरम होगी राजनीति: विधानसभा चुनावों की मतगणना में Exit Poll के संकेत ही कायम रहे तो विपक्ष की आक्रामकता बढ़ेगी. हर बात पर विपक्ष सरकार को मजबूत करने की कोशिश करेगा. संसद के अंदर और संसद के बाहर विपक्ष सरकार पर हावी होने की कोशिश करेगा और अपनी बात मनवाने पर अड़ा रहेगा. इसके अलावा राफेल पर राजनीति और गरमाएगी, क्‍योंकि इस चुनाव में राहुल गांधी राफेल को ही चुनावी मुद्दा बनाकर उतरे थे और अगर जीत मिलती है तो इसमें राफेल का बहुत बड़ा हाथ होगा. कांग्रेस राफेल पर सरकार को और अधिक मजबूर करने की कोशिश करेगी. 

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एनडीए (NDA) के कुनबे में हो सकता है बिखराव : चुनाव में बीजेपी की हार होने पर एनडीए (NDA) के कुनबे में बिखराव हो सकता है. पहले से ही एनडीए के घटक राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा नाराज हैं और गठबंधन से अलग होने की चेतावनी दे चुके हैं. अगर चुनावों में बीजेपी की हार होती है तो उपेंद्र कुशवाहा के अलावा अन्‍य उत्‍तर प्रदेश के नेता ओम प्रकाश राजभर एनडीए से अलग हो सकते हैं. महबूबा मुफ्ती की पीडीपी (PDP) और आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगुदेशम पहले ही एनडीए (NDA) से अलग हो चुकी हैं. शिवसेना भी समय-समय पर बीजेपी को एनडीए (NDA) से अलग होने की चेतावनी देती रहती है. अभी अयोध्‍या मुद्दे को लेकर भी शिवसेना काफी आक्रामक है.

राम मंदिर को लेकर अध्‍यादेश या बिल ला सकती है बीजेपी : अगर विधानसभा चुनावों में बीजेपी नहीं जीत पाई तो उसे लोकसभा चुनाव में हार का डर सताएगा. ऐसे में कुछ बड़ा करने के चक्‍कर में या मतदाताओं को संदेश देने के चक्‍कर में मोदी सरकार राम मंदिर को लेकर अध्‍यादेश या विधेयक (बिल BILL) ला सकती है, क्‍योंकि लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार कोई बड़ा मुद्दा हाथ में रखना चाहेगी और मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश करेगी कि घोषणापत्र में किए वादे के मुताबिक उसने राम मंदिर निर्माण को लेकर पहल की. बीजेपी विधेयक या अध्‍यादेश लाकर विपक्ष को भी इस मामले में उलझाने की कोशिश करेगी या अपना रुख स्‍पष्‍ट करने को मजबूर करेगी. अभी अधिकांश दल कोर्ट का निर्णय का इंतजार करने की बात कह रहे हैं.

बीजेपी को तलाशने होंगे नए नेता : मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान में बीजेपी अगर हारती है तो वहां शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और वसुंधरा राजे के नेतृत्‍व पर सवाल उठेंगे और पार्टी और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ नए नेतृत्‍व की तलाश में जुट जाएंगे. इस तरह इन नेताओं के वर्चस्‍व को चुनौती मिलेगी और हो सकता है कि इन नेताओं को केंद्रीय राजनीति में जगह दी जाए. राजस्‍थान में वसुंधरा राजे की जगह राज्‍यवर्धन सिंह राठौर को चेहरा बनाकर पेश किया जा सकता है. मध्‍य प्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय राजनीति में लाकर अमित शाह के करीबी कैलाश विजयवर्गीय या किसी अन्‍य नेता को प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है.

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केसीआर की सत्‍ता रह सकती है कायम : Exit Poll में के. चंद्रशेखर राव (केसीआर KCR) की सत्‍ता कायम रहने के कयास लगाए गए हैं. अगर ऐसा होता है तो अगले 5 वर्षों के लिए केसीआर फिर से सत्‍तानशीन हो जाएंगे और लोकसभा चुनावों में भी उनकी मजबूती कायम रह सकती है. इस तरह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए तेलंगाना से कोई चमत्‍कार की उम्‍मीद बेमानी होगी. राज्‍य में कांग्रेस और तेलुगुदेशम के गठबंधन का प्रयोग भी विफल हो सकता है.

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छत्‍तीसगढ़ के कुमारस्‍वामी बन सकते हैं अजित जोगी : Exit Poll के अनुसार चुनाव परिणाम आया तो छत्‍तीसगढ़ में अजित जोगी के हाथ सरकार बनाने की चाबी आ जाएगी, क्‍योंकि अधिकांश Exit Poll में राज्‍य में त्रिशंकु विधानसभा के कयास लगाए गए हैं. अगर ऐसा होता है तो अजित जोगी छत्‍तीसगढ़ के कुमारस्‍वामी साबित हो सकते हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक दूसरे को सत्‍ता से बाहर रखने के लिए अजित जोगी को समर्थन देकर सरकार बनवाने की कोशिश करेंगी, हालांकि कांग्रेस और जोगी के रिश्‍ते को देखते हुए माना जा रहा है कि वह बीजेपी के साथ जा सकते हैं.

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North East से साफ हो जाएगी कांग्रेस : Exit Poll के अनुसार, पूर्वोत्‍तर के राज्‍य मिजोरम से कांग्रेस सरकार की विदाई हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों से कांग्रेस का सफाया हो सकता है. अभी मिजोरम पूर्वोत्‍तर का अकेला ऐसा राज्‍य है, जहां कांग्रेस की सरकार है. कांग्रेस वहां से तीन बार से जीतती आ रही है, लेकिन उसे इस बार मिजो नेशनल फ्रंट से कड़ी टक्‍कर मिल रही है. अनुमान है कि मिजो नेशनल फ्रंट इस बार सरकार बना सकती है. अगर वह बहुमत से थोड़ी दूर रह गई तो बीजेपी और कॉनरॉड संगमा की पार्टी उसे समर्थन दे सकती हैं. 

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