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आज शाम राहुल गांधी के दिल्ली आवास पर तय होगी उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव की रणनीति

2019 का लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) काफी निर्णायक होने वाला है, इसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका काफी अहम है.

Updated on: 05 Feb 2019, 02:04 PM

नई दिल्‍ली:

2019 का लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) काफी निर्णायक होने वाला है, इसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका काफी अहम है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ आने से समीकरण पूरा बदल गया था, दोनों पार्टियों ने कांग्रेस (Congress) को गठबंधन (SP-BSP Gathbandhan) में शामिल नहीं किया था. गठबंधन की घोषणा के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) को पूर्वी उत्‍तर प्रदेश की कमान सौंपते हुए पार्टी महासचिव बनाया था. अब उत्‍तर प्रदेश में कांग्रेस का बेड़ा पार कराने के लिए आज (मंगलवार) शाम 6:30 बजे राहुल गांधी के दिल्ली आवास 12 तुगलक लेन में अहम बैठक होगी.

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जहां तक यूपी की बात करें तो समाजवादी पार्टी पिछले लोकसभा चुनाव में 31 सीटों पर नंबर 2 पर रही थी. सपा ने 5 सीटें जीती भी थीं. दूसरी ओर, बहुजन समाज पार्टी को पिछले चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी, लेकिन 33 सीटों पर वह नंबर 2 पर रही थी. कांग्रेस दो सीटें जीतीं और दो पर दूसरे स्‍थन पर रही.

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उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव की रणनीति से जुड़ी इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ,उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, समेत कांग्रेस नेता वेणुगोपाल भी होंगे शामिल. इससे पहले कल देर रात भी इन सभी नेताओं की राहुल गांधी के आवास पर हुई थी बैठक.

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कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पहुंची एसपीजी, कुछ ही देर बाद प्रियंका गांधी वाड्रा पहुंचेगी कांग्रेस मुख्यालय. औपचारिक तौर पर महासचिव का संभालेंगे कार्यभार. कल सुबह ही अमेरिका से भारत लौटी है प्रियंका गांधी वाड्रा. 7 फरवरी को कांग्रेस वॉल्यूम 15 रकाबगंज रोड पर कांग्रेस के सभी प्रदेशों अध्यक्षों, महासचिव विधान मंडल के नेता और जिन राज्यों में सरकारें हैं वहां के मुख्यमंत्री, जहां कांग्रेस विपक्ष में है वहां के नेता प्रतिपक्ष की बैठक भी बुलाई गई है.

प्रियंका गांधी वाड्रा पर है बड़ी जिम्‍मेदारी

कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी वाड्रा एक अच्छी प्रशासक हैं और काफी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखती हैं. बताया जाता है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते हुए जब पहले अधिवेशन का आयोजन हुआ था तो उसमें सभी के भाषण के 'फैक्ट चेक' का जिम्मेदारी भी उनके ऊपर थी. इतना ही नहीं प्रियंका ने ही मंच पर बोलने वाले वक्ताओं की सूची को अंतिम रूप दिया और पहली बार युवा और अनुभवी वक्ताओं का एक मिश्रण तैयार किया.

रायबरेली और अमेठी में पार्टी के कार्यक्रमों की ज़िम्मेदीर प्रियंका गांधी ही संभालती हैं. प्रियंका बड़ी सभाओं के बजाय छोटी सभाएं करना पसंद करती हैं. प्रियंका कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी बीच-बीच में समय निकालकर मिलती रहती हैं.

मोदी-योगी-शाह की तिकड़ी के सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया

राहुल गांधी के सबसे विश्वासपात्र ज्योतिरादित्य सिंधिया को उस राज्य की जिम्मेदारी दे दी गई है जहां से होकर देश के सत्ता का गलियार जाता है. 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के पश्चिमी छोर पर बैठकर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी को मजबूत करेंगे.

सिंधिया के सामने बड़ी चुनौती होगी कि आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की नैया कैसे पार होगी. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती एक तरफ मोदी-योगी-शाह की तिकड़ी है तो दूसरी तरफ SP-BSP-RLD का मजबूत गठबंधन. यूपी में महज 7 फीसद वोट पाने वाली कांग्रेस का जनाधार बढ़ाने के लिए प्रियंका गांधी के साथ-साथ सिंधिया को भी पसीना बहाना पड़ेगा.

घटता गया कांग्रेस का जनाधार

2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 403 में से 355 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा और 28 सीटें जीतीं. इस चुनाव में 31 सीटों पर दूसरे स्‍थान पर रही और कुल पड़े वोट का 11.6% मत ही उसे मिले. इसके दो ही साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में मोदी की सुनामी में कांग्रेस का वोट शेयर 11.6 से घटकर 7.5% रह गया. पार्टी राज्‍य की 80 लोकसभा सीटों में से 67 पर चुनाव लड़ी और सिर्फ रायबरेली और अमेठी की जीत सकी. दूसरे नंबर पर भी पार्टी केवल दो ही सीटों पर रही उसमें से भी एक सीट कुशीनगर की थी.

इसके बाद भी कांग्रेस का पतन जारी रहा. 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 403 सीटों में 114 पर चुनाव लड़ी. राहुल गांधी को अखिलेश का साथ भी रास नहीं आया और केवल 7 सीटें ही कांग्रेस जीत पाई. 33 सीटों पर दूसरे स्‍थान पर रही लेकिन वोट रह गए 6.25%.

2012 के चुनावों की बात करें तो समाजवादी पार्टी ने सबको चौंकाते हुए 403 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में अकेले ही 224 सीटें झटक ली थीं. BSP महज 80 सीटों पर सिमट गई थी. BJP को सिर्फ 47 सीटों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस यहां कोई चमत्कार नहीं कर सकी और 28 सीटें जीतकर चौथे नंबर पर रही.

इससे पहले 2007 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी 206 सीटें जीतकर अकेले अपने दम पर सरकार बनाने में सफल रही. मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली SP को सिर्फ 97 सीटें मिलीं. कांग्रेस को 22 तो BJP को 51 सीटों से ही संतोष करना पड़ा.