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परिवार से मिली ताकत के बल पर ही हैं वंशवाद पर मुखर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने एक साक्षात्कार में विभिन्न राजनीतिक दलों में व्याप्त 'वंशवाद' को देश की लोकतांत्रिक परिपाटी के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया.

Updated on: 02 Apr 2019, 03:34 PM

नई दिल्ली.:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा चुनाव 2019 में विपक्ष के महागठबंधन पर एक बड़ा चुनावी हमला 'वंशवाद' के रूप में भी है. एक निजी चैनल को इस चुनावी समर में दिए गए पहले साक्षात्कार में भी पीएम मोदी ने इसी विषय पर अपनी राय रखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों में व्याप्त 'वंशवाद' को देश की लोकतांत्रिक परिपाटी के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया. नरेंद्र मोदी का स्पष्ट आरोप रहा कि देश के तमाम क्षेत्रीय दलों के सांगठनिक ढांचे समेत संसद या विधानसभा में 'परिवारवाद' ही मौजूद है.

जाहिर है 'वंशवाद' और 'परिवारवाद' (Family Members) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)के हमलावर होने पर कई विपक्षी दल उनके परिजनों को आधार बना कर हमला बोलने में पीछे नहीं हैं. यह अलग बात है कि पीएम मोदी के परिजनों को लेकर कुछ बोलते वक्त उनका 'नैरेटिव' अलग सा होता है. मसलन 'जो शख्स अपनी पत्नी का नहीं हुआ, वह देश का क्या होगा?' या 'जिस शख्स को अपनी बूढ़ी मां की फिक्र नहीं है, वह देश की लाखों अन्य माताओं और बहनों का ख्याल क्या रखेगा?'

यह अलग बात है कि बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता विपक्ष के इन्हीं आरोपों को उठाकर पीएम मोदी को ईमानदार और 'वंशवाद-परिवारवाद' से दूर देश को समर्पित नेता बतौर निरूपित करते हैं. जाहिर है जब 'वंशवाद' और 'परिवारवाद' को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है, तो जानते हैं कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार में कौन-कौन है और किस तरह अपनी जिंदगी बसर कर रहा है!!! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) छह भाई-बहनों के परिवार में तीसरे नंबर के हैं. इन सभी बच्चों का जन्म चाय विक्रेता दामोदरदास मूलचंद मोदी और गृहिणी हीराबेन मोदी के घर पर हुआ. पीएम या उससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता हासिल कर ली हो, लेकिन उनका परिवार बेहद सामान्य जिंदगी जा रहा है. आइए जानते हैं इनके बारे में

सोम मोदी (Soma Modi)
लगभग अस्सी साल के सोम मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े भाई हैं और सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं. सन् 2015 में पुणे में आयोजित एक एनजीओ के कायर्क्रम के जरिए लोगों को पहली बार पता चला था कि वह नरेंद्र मोदी के बड़े भाई हैं. सोम मोदी पीएम के पैतृक शहर वाड़नगर में एक वृद्धाश्रम चलाते हैं. वह कहते हैं, 'मेरे और प्रधानमंत्री मोदी के बीच एक ऐसी स्क्रीन है, जिसे सिर्फ मैं ही देख पाता हूं. मैं नरेंद्र मोदी का तो भाई हूं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi)के लिए देश की सवा अरब से अधिक आबादी का एक हिस्सा हूं.' हाल-फिलहाल सोम पीएम मोदी के प्रचार के लिए अपनी तरह से काम कर रहे हैं. लंबे-लंबे समय तक सोमभाई और नरेंद्र मोदी की मुलाकात नहीं हो पाती है. बस फोन पर ही कभी-कभार बात हो जाती है.

अमृत मोदी (Amrit Modi)
लगभग 75 साल के हो चुके अमृत मोदी एक निजी कंपनी में फिटर का काम करते थे. उनका वेतन दस हजार रुपए मासिक था, जिसमें उन्होंने अपने परिवार की गुजर-बसर की. अमृतभाई अब अपने 50 साल के बेटे संजय, उनकी पत्नी और उनके दो बच्चों संग अहमदाबाद में सेवानिवृत्त जिंदगी जी रहे हैं. संजय के बेटा-बेटी नीरव और निराली उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. अमृतभाई के हिस्से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी कई भावनात्मक यादें हैं. फरवरी 1971 में घर-परिवार छोड़ कर आध्यात्मिक खोज पर निकलने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)ने उनसे भी अपना 'जीवन उद्देश्य' साझा किया था. उसे याद कर उनकी आंखें आज भी गीली हो जाती हैं. वह बताते हैं, 'उसने मुझसे परिवार को छोड़ कर जाने की बात बताई थी. मैं उसे खोने के दुख में था, लेकिन वह शांत और दृढ़ बना हुआ था.'

प्रह्लाद मोदी (Prahlad Modi)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री बतौर अपने ही भाई प्रह्लाद का तगड़ा विरोध झेलना पड़ा था. सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने की तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) के प्रयासों के खिलाफ प्रह्लाद मोदी ने अपनी आवाज बुलंद की थी. किराना की दुकान चलाने वाले प्रह्लाद फेयर प्राइस ओनर्स संगठन के पदाधिकारी रहे हैं और इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं. नरेंद्र मोदी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने के कारण परिवार के अन्य सदस्य इनसे दूरी ही बना कर रखते हैं.

पंकज मोदी (Pankaj Modi)
छोटे पंकज भाई सौभाग्यशाली हैं. उनकी पीएम नरेंद्र मोदी से साल में कई बार मुलाकात हो जाती है. हालांकि इसकी वजह यह नहीं है कि पंकज पीएम मोदी के ज्यादा करीब हैं, बल्कि इसकी वजह प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi)की वृद्ध मां हीराबेन हैं, जो उनके साथ गांधीनगर के तीन कमरों के एक सामान्य घर में रहती हैं. अपने जन्मदिन या ऐसे ही किसी खास आयोजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी माताजी का आशीर्वाद लेने आते हैं, तो पंकजभाई से भी मिल लेते हैं. पंकजभाई गुजरात राज्य सूचना विभाग में कार्यरत थे और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

वसंतीबेन (VasantiBen Hasmukhlal Modi)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एकमात्र बहन वासंतीबेन वृषनगर में रहती हैं. उनके पति हंसमुखलाल एलआईसी का काम करते हैं. उन्हें भी पीएम मोदी से मिले हुए लंबा अर्सा हो गया है. हालांकि रक्षाबंधन पर राखी जरूर पहुंच जाती है और यही उनके लिए कम संतोष की बात नहीं है.
पीएम नरेंद्र मोदी के जीवन से मां और बहन के अलावा एक और महिला जशोदाबेन (PM Modi) का नाम भी जुड़ा हुआ है. बतौर शिक्षिका शिक्षा के जरिये आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने वाली जशोदाबेन की नरेंद्र मोदी से शादी कम उम्र में हुई थी, लेकिन राष्ट्र सेवा के लिए घर छोड़ने के निर्णय में जशोदाबेन की भी सहमति रही थी.

इनके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अन्य नजदीकी रिश्तेदारों (Family Members) में कई चचाजात भाई-भाभी और उनका परिवार है. इनमें से किसी को भी नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री या देश के प्रधानमंत्री रहते हुए रत्ती भर भी लाभ नहीं मिला है. आलम यह है कि पीएम मोदी के परिवारवालों में से अधिसंख्य ने अभी तक एक बार भी हवाई यात्रा नहीं की है. जाहिर है इन्हीं तथ्यों के बल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'वंशवाद' और 'परिवारवाद' पर इस हद तक मुखर हैं.