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कट्टर हिंदूवादी छवि की नेता साध्वी प्रज्ञा से मुकाबले के लिए दिग्विजय सिंह ने भी ओढ़ा हिंदुत्व का चोला, उठाया ये कदम

लोकसभा चुनाव के लिए देश में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है. 2019 के चुनावी महासंग्राम में मध्य प्रदेश में भी आए दिन नए सियासी समीकरण बन रहे हैं.

Updated on: 19 Apr 2019, 12:08 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) के लिए देश में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है. 2019 के चुनावी महासंग्राम में मध्य प्रदेश में भी आए दिन नए सियासी समीकरण बन रहे हैं. भोपाल सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के नाम के ऐलान के साथ मध्य प्रदेश की हवा अब दिलचस्प हो चली है. भारतीय जनता पार्टी ने भोपाल सीट पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उतारकर अपनी हिंन्दुत्व की तलवार में नई धार लगा दी. इस सीट पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारकर ऐसा पासा फेंका था कि बीजेपी (BJP) चारों खाने चित हो गई थी. लेकिन बीजेपी की ओर से यहां कट्टर हिंदूवादी छवि वाली नेता साध्वी प्रज्ञा के आने से सियासी समीकरण ही बदल गए.

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भोपाल (Bhopal) सीट पर लड़ाई विकास के बजाय अब हिंदुत्व की लड़ाई में तब्दील हो गई है. हिंदू आतंकवाद शब्द के जरिए देश की सियासत में खलबली मचा देने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने भी अब हिंदुत्व का चोला ओढ़ लिया है. शुक्रवार सुबह दिग्विजय सिंह भोपाल के खेड़ापति हनुमान मंदिर पहुंचे. दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के साथ जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा भी मंदिर पहुंचे. उन्होंने हनुमान मंदिर में दर्शन किए और महा आरती में भी शामिल हुए. इतना ही नहीं दिग्विजय सिंह आज एक दर्जन से ज्यादा मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाएंगे.

ऐसा नहीं कि दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) अपनी छवि से वाकिफ नहीं. यही वजह है कि उन्होंने लगातार हिंतुत्व को लेकर अपनी छवि बदलने की कोशिश की. हाल ही में उन्होंने नर्मदा परिक्रमा यात्रा कर छवि बदलने की कोशिश. इसके अलावा रायसेन की प्रसिद्ध दरगाह पर सजदा कर सेक्यूलरिज्म का संदेश और बीते 21 दिनों में 50 से ज्यादा हिंदू धार्मिक आयोजन में शामिल हुए. दिग्विजय सिंह ने चुनाव से पहले शंकराचार्य और जैन मुनि का बी आशीर्वाद लिया. उन्होंने भोपाल में RSS दफ्तर से सुरक्षा हटाने का भी विरोध किया था. ऐसे में सवाल उठने लगे कि क्या दिग्विजय अब सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर हैं.

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इससे यह साफ होता दिख रहा है कि हिंदूवादी छवि वाली नेता साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Sadhvi Pragya Thakur) से मुकाबले के लिए दिग्विजय सिंह कहीं न कहीं चिंतित नजर आ रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी यह भी है कि अतीत में दिग्विजय आरएसएस और हिंदुओं को लेकर कई विवादित बयान दे चुके हैं. हालांकि वो यह भी कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव हिंदुत्व नहीं, विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा. लेकिन अब हार के डर से दिग्विजय सिंह चुनाव मैदान में सॉफ्ट हिंदूवादी चेहरे के साथ खुद को प्रोजक्ट कर रहे हैं.

भोपाल में हिंदूवादी साध्वी प्रज्ञा के रूप में बीजेपी ने दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की उम्मीदवारी में अपने लिए सॉफ्ट टारगेट ढूंढ़ा. दिग्विजय सिंह के खिलाफ किस तरह बीजेपी के लिए चुनावी नेरेटिव खड़ा किया जा सके, यह उसकी कवायद थी. दिग्विजय सिंह और प्रज्ञा ठाकुर की अदावत पुरानी है. दोनों एक दूसरे पर मौके-बे-मौके अपने-अपने तरीके से प्रहार करते रहे हैं. अब दोनों चुनाव के मैदान में आमने-सामने हैं. लिहाजा दोनों के बीच व्यंग्य बाण और तीखे हमलों की संभावनाएं नकारी नहीं जा सकतीं. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ((Sadhvi Pragya Thakur) के बयान नए चुनावी कथानक दे सकते हैं. कुल मिलाकर अब मुकाबला बीजेपी के हिंदूवाद और कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदूवाद के बीच है. ऐसे में दिग्विजय सिंह के लिए लड़ाई आसान नहीं होगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता.

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