logo-image

पूरे देश में कांग्रेस की नाक बचाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह बगावत के मूड में!

2019 के लोकसभा चुनाव में अकेला पंजाब ही ऐसा एकमात्र सूबा है, जहां कांग्रेस ने न सिर्फ अपनी इज्जत बरकरार रखी, बल्कि कुल सीटों को और कम होने से रोकने में अपना योगदान भी दिया.

Updated on: 25 May 2019, 01:56 PM

highlights

  • मोदी की सूनामी में पंजाब ही बचा सका कांग्रेस की लाज.
  • विधानसभा में भी कांग्रेस का फहराया था परचम,
  • अमरिंदर सिंह को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की उठ रही है मांग.

नई दिल्ली.:

कांग्रेस कार्यसमिति की शनिवार को चल रही बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम भी बड़ी जिम्मेदारी के लिए चल रहा है. कांग्रेस को गांधी परिवार से मुक्ति दिलाने की कवायद में लगे कुछ नेताओं का मानना है कि यह सही समय है जब कैप्टन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जाए. इसके पीछे ठोस वजह भी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में अकेला पंजाब ही ऐसा एकमात्र सूबा है, जहां कांग्रेस ने न सिर्फ अपनी इज्जत बरकरार रखी, बल्कि कुल सीटों को और कम होने से रोकने में अपना योगदान भी दिया.एक तबका ऐसा भी है जो कैप्टन की ताजपोशी नहीं होने पर बगावती तेवर अपनाने को भी तैयार है. 

यह भी पढ़ेः राहुल गांधी ने ली हार की जिम्मेदारी, अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की

नवजोत सिंह सिद्धू पर अपनाए कड़े तेवर

गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू की शुरू से ही नहीं बन रही है. नवजोत सिंह सिद्धू ने करतारपुर कॉरिडोर के सिलसिले में बगैर आलाकमान की रजामंदी के पाकिस्तान जाकर कैप्टन साहब को नाराज कर दिया था, तो वहां पाकिस्तान सेनाध्यक्ष कमर बाजवा को 'झप्पी' देकर आम जनता को. इस पर कांग्रेस की हुई फजीहत के बावजूद सिद्धू अपने पैर पीछे करने को राजी नहीं हुए. इसका खामियाजा चुनाव में पंजाब कांग्रेस को भी उठाना पड़ा. इसे खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया. यही वजह है कि वह सिद्धू से छुटकारा पाना चाहते हैं और पार्टी आलाकमान फिलहाल उनके गुस्से को तवज्जों नहीं दे रहा है. 

यह भी पढ़ेंः कैप्टन के तेवर हुए आक्रामक, नवजोत सिंह सिद्धू के लिए कह दी यह बात

कांग्रेस 18 राज्यों से हुई गायब
गौरतलब है कि गुरुवार-शुक्रवार आए लोकसभा परिणामों में कांग्रेस को कुल 52 सीटें प्राप्त हुई हैं. 2014 के मुकाबले हालांकि कांग्रेस को 8 सीटों का फायदा जरूर हुआ है, लेकिन कांग्रेस 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गायब हो गई. पांच राज्यों में कांग्रेस को महज 1 या 2 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. मोदी की आई सूनामी में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस सिमट कर एक सीट पर आ गई, तो राजस्थान, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, हरियाणा में कांग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ हो गया. केंद्र शासित प्रदेशों की स्थिति कमोबेश यही रही.

यह भी पढ़ेंः बालाकोट से भी बड़ी तबाही मचाएगा 500 KG वाला भारत का यह देसी गाइडेड बम

पंजाब में ही बची कांग्रेस की लाज
इस मोदी सूनामी के बीच अगर कांग्रेस कहीं शान से सिर उठाए खड़ी रही, तो वह अकेला राज्य पंजाब था. यहां की कुल 13 सीटों में से कांग्रेस 8 सीटें जीतने में सफल रही. अगर यह चमत्कार पंजाब में हुआ तो इसका श्रेय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को नहीं, वरन पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी यदि पंजाब में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ था, तो इसकी वजह कैप्टन साहब ही थे. यही नहीं, माना जा रहा है कि पंजाब में यदि कांग्रेस को और सीटें नहीं मिली तो इसके लिए भी नवजोत सिंह सिद्धू ही जिम्मेदार हैं, जो कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी हैं. उनके बयानों ने पंजाब कांग्रेस को अच्छी-खासी चोट दी.

यह भी पढ़ेंः टीम के समर्पण के बिना कोई भी सपना पूरा नहीं होता, PMO स्टॉफ से मिले नरेंद्र मोदी

अमरिंदर को नई जिम्मेदारी की मांग
ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह का प्रदर्शन और कांग्रेस समेत विपक्ष में सर्वग्राहय छवि को देखते हुए उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठ सकती है. कांग्रेस की छवि एक ऐसी पार्टी की हो गई है, जहां अभी भी नौजवानों को तरजीह न देकर पुराने गार्ड पर ही भरोसा जताया जा रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस को इस चुनाव में न सिर्फ करारी हार का मुंह देखना पड़ा, बल्कि वरिष्ठ नेताओं के बड़बोलेपन का खामियाजा भी उठाना पड़ा. इसके लिए कांग्रेसी अब गांधी परिवार को दोष देने लगे हैं, लेकिन मुखर नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में कार्यसमिति में लगातार और शर्मनाक पराजय के बाद अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह को नई जिम्मेदारी देने की मांग उठ रही है तो कतई आश्चर्य नहीं.