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कैप्टन अमरिंदर सिंह बोले- 1984 दंगों के लिए कांग्रेस के साथ BJP और RSS भी जिम्मेदार

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, मैं सैम पित्रोदा के बयान से बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखता हूं.

Updated on: 10 May 2019, 05:49 PM

highlights

  • राहुल गांधी के गुरु सैम पित्रोदा के बयान पर घिरी कांग्रेस
  • पंजाब के सीएम ने भी सैम पित्रोदा के बयान से किया किनारा
  • तो क्या गोधरा के लिए भी मोदी को जिम्मेदार माना जाए

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा के बयान पर कांग्रेस घिर गई है. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, मैं सैम पित्रोदा के बयान से बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखता हूं. 1984 दंगा पीड़ितों को अब तक इंसाफ नहीं मिल सका है और अगर ये कहा जाए कि अब जो हुआ सो हुआ उसे भूल जाओ तो ये कहना उन दंगा पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा होगा. कल को आप गोधरा पीड़ितों के लिए भी यही कहेंगे.

सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आगे कहा, 1984 दंगों के लिए कांग्रेस पार्टी नहीं बल्कि कुछ लोग जिम्मेदार हैं. उसमें अगर कांग्रेस के लोग थे तो आरएसएस और बीजेपी से जुड़े लोग भी दंगों में शामिल थे. मैं तो पहले भी कई बार कह चुका हूं कि कांग्रेस पार्टी के पांच लोग जिनके नाम मैं कई बार खुले तौर पर लेता हूं वो इन दंगों में शामिल थे और उनको लेकर कानून अपना काम कर रहा है.

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उन्होंने आगे कहा, लेकिन मैं मोदी जी से सवाल पूछना चाहता हूं कि अगर आप राजीव गांधी को 1984 सिख दंगों के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो क्या हम गोधरा के लिए आपको जिम्मेदार मानें? क्योंकि आप भी उस वक्त उस राज्य के मुख्यमंत्री थे. जहां तक मुझे जानकारी है कि राजीव गांधी उस वक्त बंगाल या बिहार में बैठे हुए थे जब उन्हें इंदिरा गांधी जी की मृत्यु की खबर मिली. ऐसे में उनका हाथ इन दंगों में कैसे हो सकता है.

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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, दूसरी बात ये जो कहा जा रहा है कि राजीव गांधी अपने ऑफिस से पूरे दंगों को मॉनिटर कर रहे थे तो ये बेबुनियाद आरोप है और इसमें कोई तर्क नहीं है. ये सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए मोदी और अकाली दल की तरफ से कहा जा रहा है. अगर वो कांग्रेस और राजीव गांधी को 1984 दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं तो क्या हम गोधरा के लिए भी मोदी को जिम्मेदार मानें ये मेरा उनसे सवाल है. उन्होंने कहा, हर बार चुनाव के दौरान अकाली दल और बीजेपी राजनीतिक फायदे के लिए 1984 सिख दंगों के मुद्दे को हवा दे देते हैं, ताकि उन्हें वोट मिल सकें.