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इस वजह से बीजेपी नहीं जारी कर पा रही उम्‍मीदवारों की लिस्‍ट, उत्तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान को इंतजार

बीजेपी के सभी राज्यों की कोर कमेटी और स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक कब की खत्म हो चुकी है, सभी राज्यों ने अपनी तरफ से उम्मीदवरों के नाम दे दिए हैं

Updated on: 02 Apr 2019, 07:34 PM

नई दिल्‍ली:

2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी केंद्र में सरकार बनाने के बाद से ही बीजेपी करने लगी थी. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 5 वर्षो तक देश के सभी प्रदेशों में क्या जिलों तक दौड़ लगाते रहे,और अब चुनाव प्रचार में भी सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह कूद चुके है. लेकिन टिकट बांटने और प्रत्याशी तय करने में अभी बाकी दलो से पीछे दिखई दे रही है, उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में पीछे रहने की कई वजह है जिसपर बीजेपी पर्दा डाल कर बैठी है.

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बीजेपी के सभी राज्यों की कोर कमेटी और स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक कब की खत्म हो चुकी है, सभी राज्यों ने अपनी तरफ से उम्मीदवरों के नाम दे दिए हैं और उन पर केंद्रीय बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की भी कई दौर की मैराथन बैठक हो चुकी है. यही नहीं CEC की बैठक में अध्यक्ष अमित शाह को बचे हुए नामो पर निर्णय लेने का अधिकार भी दिया जा चुका है, लेकिन अभी की राज्यो के प्रत्याशियों के नामों पर अटकलों का बाजार ही गर्म है.

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इस बार बीजेपी लगभग 434 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है.  इस हिसाब से लगभग 50 नामों की घोषणा बची हुई है.  उत्तर प्रदेश की 16 सीटें बाकी है. मध्य प्रदेश की 5, राजस्थान की 6, झारखंड की 3 और गुजरात की भी 3 सीट पर पेंच फंसी हुई है.

बगावत से डरी दिखाई दे रही पार्टी

सबसे पहले पार्टी टिकट काटने से होने वाली बगावत से डरी दिखाई दे रही है,जिसका तोड़ खोजने में लगी है. बानगी के तौर लार मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, विदिशा को देखा जा सकता है. सुमित्रा महाजन की जगह किसे लाएं कि सब ठीक तहक रहे, इसी में उलझी हुई है तो वही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना से मैदान में पार्टी ने उतार लेकिन बगावत ऐसी की अब तोमर को भोपाल से लड़ने की तैयारी चल रही है.

उत्तर प्रदेश और राजस्थान में ये हैं पेंच

उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जाति का समीकरण ऐसा फंसा है कि बीजेपी तय नहीं कर पा रही की मैदान में किसे उतारे.  झारखंड में पाल बदल कर बीजेपी आए नेता पार्टी के लिए परेशानी की वजह हुए बने हैं.  उत्तर प्रदेश में बीजेपी कोई रिस्क लेना नहीं चाहती है लिहाजा गठबंधन के प्रत्यशियों के भी इंतजार में बीजेपी तो है ही, जातिय समीकरण और टिकट काटने के बाद होने वाले भीतरघात से खासे सतर्क है.

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गुजरात मे पार्टी नए चेहरे की तलाश में है कि एन्टी इनकंबेसी को खत्म किया जा सके,क्योंकि पाटीदार में मुद्दे पर बीजेपी फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है. इन सबके बावजूद बीजेपी केंद्र में सरकार बनाने का दावा करने में कोई कोताही नहीं कर रही है. वैसे बीजेपी नामों की घोषणा न करने को अपना रणनीति भी बता रही है, लेकिन टिकट काटने के फार्मूले पर टिकटों के बटवरे में सबसे ज्यादा तनाव पार्टी को उसके गढ़ उत्तर प्रदेश में ही मिल रहा है.