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आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में अगर आजम खान दोषी पाए गए तो हो सकती है ये सजा

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार आजम खान की मुसीबत बढ़ सकती है.

Updated on: 16 Apr 2019, 10:05 AM

नई दिल्ली:

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार आजम खान की मुसीबत बढ़ सकती है. बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा आपत्तिजनक टिप्पणी पर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही हैं. महिला आयोग से भी मामले की शिकायत की गई है. अगर सपा नेता आजम खान अश्लील टिप्पणी में दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

भारतीय दंड संहिता यानी IPC महिलाओं को विशेष सुरक्षा प्रदान करती है. ऐसे में किसी भी महिला के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करना या उनके खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करना या उनके साथ जोर जबरदस्ती करना और छेड़छाड़ करना किसी को भी महंगा पड़ सकता है. ऐसे मामले में पुलिस आरोपी के खिलाफ धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज करती है. आइए जानते हैं आईपीसी की धारा 354 के तहत क्या सजा मिलती है.

ये है धारा 354

आईपीसी की धारा 354 का इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है. जहां स्त्री की मर्यादा और मान सम्मान को क्षति पहुंचाने के लिए उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की जाए या उनके साथ जोर जबरदस्ती की जाए. उनको गलत नीयत से छुआ जाए. या फिर बुरी नीयत से उन पर हमला किया जाए. गलत मंशा के साथ महिलाओं से किया गया बर्ताव भी इसी धारा के दायरे में आता है.

पांच भागों में है धारा 354

दिल्ली के निर्भया कांड के बाद धारा 354 में बदलाव किया गया. इसके चलते इस धारा के 4 भाग और बना दिए गए. जिनमें 354ए, 354बी, 354सी और 354डी शामिल हैं. इसके तहत महिलाओं की इच्छा के विरुद्ध जोर जबरदस्ती करना. उन्हें जबरन अश्लील तस्वीरें या वीडियो दिखाना. उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करना आदि आता है. ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ संबंधित धाराओं में कार्रवाई की जा सकती है.

क्या होती है सजा

अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा को भंग करने या उसका अपमान करने के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के तहत वाद दर्ज किया जाता है. इसके तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.

क्या है भारतीय दंड संहिता

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी आईपीसी भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. लेकिन यह जम्मू एवं कश्मीर और भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती है.

अंग्रेजों की देन है IPC

भारतीय दण्ड संहिता यानी आईपीसी सन् 1862 में ब्रिटिश काल के दौरान लागू हुई थी. इसके बाद समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे. विशेषकर भारत के स्वतंत्र होने के बाद इसमें बड़ा बदलाव किया गया. पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही अपनाया. लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन ब्रिटिश सत्ता के अधीन आने वाले बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि में भी लागू कर दिया गया था.