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उत्‍तर प्रदेशः बड़ी कठिन है डगर पहले चरण की, क्‍या गढ़ बचा पाएगी बीजेपी, पिछली बार जीती थी आठों सीटें

लोकसभा चुनाव 2019 की औपचारिक घोषणा हो चुकी है. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में महज 8 सीटों पर पहले चरण में वोट डाले जाएंगे.

Updated on: 20 Mar 2019, 11:36 AM

नई दिल्‍ली:

लोकसभा चुनाव 2019 की औपचारिक घोषणा हो चुकी है. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में महज 8 सीटों पर पहले चरण में वोट डाले जाएंगे. ये आठों सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में इन आठों सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. 2018 में कैराना लोकसभा सीट पर हुई चुनाव में बसपा और सपा के समर्थन से आरएलडी ने बीजेपी से ये सीट छीन ली थी. चुनाव की अधिसूचना 18 मार्च को जारी होगी. मतदान 11 अप्रैल को होगा. इस चरण में सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाज़ियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में मतदान होगा.

सहारनपुर

सहरानपुर सीट से बीएसपी की हाथी पर हाजी फजलुर्रहमान सवार होंगे, जबिक कांग्रेस ने इमरान मसूद पर को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. पार्टी अपने मौजूदा सांसद राघव लखनपाल को पार्टी एक बार फिर उम्मीदवार बना सकती है. अगर समीकरण की बात करें तो इस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन अपने दलित, जाट और मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने की पूरी कोशिश करेगा. अगर गठबंधन अपने इन वोटरों को साधन में सफल रहा तो बीजेपी के लिए लोहे के चने चबाने पड़ सकते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट को बहुत मामूली अंतर से जीता था. सहारनपुर में करीब साढ़े 6 लाख मुस्लिम, पांच लाख दलित और 1 लाख वोट के करीब जाट मतदाता हैं. कुल 1,608,833 वोटर हैं.

कैराना

कैराना लोकसभा सीट अब सपा के खाते में है. यहां से तबस्सुम हसन चुनाव लड़ेंगी. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हुकुम सिंह ने जीती थी, लेकिन बाद में उनके निधन के बाद हुए चुनाव में सपा के समर्थन से ये सीट आरएलडी जीतने में सफल रही थी. जातीय समीकरणः इस सीट पर सबसे ज्यादा 5 लाख मुस्लिम, 4 लाख बैकवर्ड (जाट, गुर्जर, सैनी, कश्यप, प्रजापति और अन्य शामिल) और डेढ़ लाख वोट जाटव दलित है और 1 लाख के करीब गैरजाटव दलित मतदाता हैं. 2 लाख के करीब जाट वोटर हैं.


मुजफ्फरनगर

सपा-बसपा- आरएलडी गठबंधन के तहत मुजफ्फरनगर सीटआरएलडी के खाते में गई हैं. आरएलडी प्रमुख चौधरी अजित सिंह इस सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने अभी अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है. बीजेपी अपने मौजूदा सांसद संजीव बालियान को एक बार फिर उतार सकती है. 
यहां करीब साढ़े 5 लाख मुस्लिम, ढाई लाख दलित, और सवा दो लाख के करीब जाट मतदाता हैं. इसके अलावा सैनी और कश्यप वोट भी करीब दो लाख के करीब हैं. यह सीट चौधरी परिवार की राजनीति का भविष्‍य तय करेगी.

बागपत

जाटों के गढ़ बागपत से इस बार अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी बागपत सीट से उतर रहे हैं. पिछले चुनाव में 2 लाख से जीत दर्ज करने वाले बीजेपी के सत्यपाल सिंह की राह इस बार आसान नहीं नजर आ रही है. पिछले पांच साल से जयंत चौधरी क्षेत्र में हैं. वह लगातार युवाओं मैं अपनी पैठ बना रहे हैं. आरएलडी की इस परंपरागत सीट से चौधरी चरण सिंह 1977, 1980 और 1984 में लगातार चुनाव जीते हैं. जयंत के पिता और आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह 6 बार सांसद रहे.

मेरठ

पश्चिम यूपी की मेरठ लोकसभा सीट से बसपा ने हाजी याकूब कुरैशी को मैदान में उतारा है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल दो बार से सांसद हैं. हालांकि इस बार ये सीट मुस्लिम और दलित बहुल मानी जाती है.

गाजियाबाद

गाजियाबाद से कांग्रेस ने डॉली शर्मा को उम्‍मीदवार बनाया है.  सपा-बसपा गठबंधन के बाद सपा ने सुरेंद्र कुमार शर्मा (मुन्नी) ( Surendra Kumar Sharma) को गाजियाबाद सीट से टिकट दिया है. सुरेंद्र से पहले वह गाजियाबाद विधानसभा से सपा के विधायक भी रह चुके हैं. जबकि वर्तमान में वह सपा के जिला अध्यक्ष भी हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में जनरल वीके सिंह ने कांग्रेस के राजबब्बर को करीब पांच लाख मतों से मात देकर सांसद बने थे. इस बार राज बब्‍बर मुरादाबाद से ताल ठोकेंगे. बीजेपी एक बार फिर जनरल वीके सिंह पर दांव लगा सकती है. जातीय समीकरण के लिहाज से बीजेपी और सपा दोनों के लिए ये सीट काफी चुनौती भरी है.

नोएडा

नोएडा लोकसभा सीट से बसपा ने यहां से सतबीर नागर को मैदान में उतारा है. माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को उतार सकती है. कांग्रेस और बीजेपी ने अभी अपना उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. पिछले चुनाव में महेश शर्मा में जीत हासिल की थी. यह गुजर और राजपूत बहुल सीट है.

बुलंदशहर

बुलंदशहर लोकसभा सीट से बसपा ने योगेश वर्मा को मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस और बीजेपी ने अभी अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह ने करीब 4 लाख मतों से जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार के समीकरण काफी बदले हुए हैं.

बिजनौर

बिजनौर लोकसभा सीट पर मुस्लिम और गुर्जर वोटर ज्‍यादा हैं. इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और यहां से कुंवर भारतेंद्र सिंह सांसद हैं. इस बार तीनों प्रमुख पार्टियों ने अभी अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. बीजेपी भारतेंद्र सिंह को एक बार फिर उतार सकती है. इस सीट पर करीब 35 फीसदी मुस्लिम और तीन लाख दलित और दो लाख जाट मतदाता हैं.