logo-image

पीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट पर एकमत नहीं था चुनाव आयोग, उठे विरोध के स्वर

इस फैसले से नाराज चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आगे से आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े मामलों की बैठकों में शामिल होने से इंकार कर दिया है.

Updated on: 18 May 2019, 01:08 PM

highlights

  • चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने बैठकों में शामिल होने से किया इंकार.
  • पीएम मोदी के गुजरात में 21 मई को दिए भाषण पर दी गई थी क्लीन चिट.
  • सीईसी को पत्र लिख अपनी आपत्ति रिकॉर्ड में लेने को कहा.

नई दिल्ली.:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में क्लीन चिट दिए जाने पर चुनाव आयोग में एक राय नहीं थी. इस फैसले से नाराज चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आगे से आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े मामलों की बैठकों में शामिल होने से इंकार कर दिया है. उन्होंने दो टूक कह दिया है कि वह बैठक में तभी शामिल होंगे, जब आयोग उनकी विरोध टिप्पणी को रिकॉर्ड में लेगा. गौरतलब है कि चुनाव आयोग (Election Commission) में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के अलावा दो औऱ चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा शामिल हैं.

यह भी पढ़ेंः सीएम अरविंद केजरीवाल ने मान लिया की 'आप' हार रही है दिल्ली की 7 सीटें? जानें क्यों

मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिख जताया विरोध
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने पीएम मोदी (PM Modi) को 6 मामलों में से एक को भी उल्लंघन का दोषी नहीं माना था. आयोग के इस फैसले से खिन्न अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) को संबोधित एक पत्र तक लिख डाला. 4 मई को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा था, 'जब से अल्पमत को रिकॉर्ड नहीं किया गया तब से लेकर मुझे आयोग की मीटिंग से दूर रहने के लिए दबाव बनाया गया. तब से कमीशन में हुए विचार-विमर्श में मेरी भागीदारी का अब कोई मतलब नहीं है.'

यह भी पढ़ेंः J&K: सुरक्षा बलों ने एक और आतंकी किया ढेर, 48 घंटों में 7 आतंकियों को मार गिराया

क्लीन चिट पर जताई थी असहमति
उन्होंने लिखा, 'इस मामले में दूसरे कानूनी तरीकों पर भी विचार करेंगे. मेरे कई नोट्स में रिकॉर्डिंग की पारदर्शिता की जरूरत के लिए कहा गया है.' इस पत्र को पाने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने अशोक लवासा के साथ मीटिंग बुलाई थी. बता दें कि चुनाव आयोग ने पीएम मोदी द्वारा गुजरात में 21 मई को दिए गए भाषण के मामले में क्लीन चिट दे दी थी. इस फैसले पर लवासा (Ashok Lavasa) ने असहमति जताई थी.