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चुनाव विश्लेषण 2019 : 2014 के लोकसभा चुनावों में राजस्थान में क्या हुआ?

भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) मार्च के पहले सप्ताह में 17वें लोकसभा चुनाव की तारीख का ऐलान कर सकता है

Updated on: 14 Feb 2019, 01:35 PM

नई दिल्ली:

भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) मार्च के पहले सप्ताह में 17वें लोकसभा चुनाव की तारीख का ऐलान कर सकता है. सभी राजनैतिक पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं और विश्लेषक भी चुनाव की समीक्षा में जुट गए हैं. इसके लिए हमें लोकसभा चुनाव 2014 का विश्लेषण करना होगा. चलिए हम देखते हैं कि उस समय राजस्थान में क्या स्थिति थी और अब क्या स्थिति है.

राजस्थान में सन् 1998 से 2003, 2008 से 2013 में कांग्रेस की सरकार थी. इसके बाद 2013 से 2017 के बीच भाजपा की सरकार रही और वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) पहली बार सीएम बनी थीं. हाल ही में हुए राज्य चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) के नेतृत्व में फिर कांग्रेस की सरकार बनी. अशोक गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं. राजस्थान में 25 लोकसभा सीट है. अगर हम 2014 लोकसभा चुनाव में नजर डाले तो देखने को मिलता है कि भाजपा ने राजस्थान की 25 लोकसभा सीट में चुनाव जीत कर इतिहास रचा था और कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हार गई थी. चहिए हम देखते हैं कि 2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़े के क्या कहते हैं. भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त दी थी. राजस्थान में दो फेज में 17 और 24 अप्रैल को मतदान हुआ था. राज्य की 25 लोकसभा सीट पर भाजपा का परचम लहरा था. उस समय भाजपा को 1,48,95,106 वोट (55.61%) और कांग्रेस को 82,30,164 वोट (30.73%) मिले थे. बहुजन समाज पार्टी को भी 2.37 प्रतिशत मतदान मिले थे. वहीं, 2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान में 20 सीट पर बाजी मारी थी तो वहीं भाजपा को सिर्फ चार सीटें ही मिली थीं. 2014 में इसके एकदम उलटा हुआ और सभी 25 सीटों पर भाजपा के सांसद विजयी हुए.

इन्होंने मारी थी बाजी
राजस्थान के 2014 लोकसभा चुनाव में गजेंद्र सिंह शेखावत (भाजपा-जोधपुर), राज्यवर्धन सिंह राठौर (भाजपा-जयपुर ग्रामीण), सांवर लाल जाट (भाजपा-अजमेर), राहुल कस्वां (भाजपा-चूरू), सोनाराम चौधरी (भाजपा-बाड़मेर), सुभाष बहेरिया (भाजपा-भीलवाड़ा), दुष्यंत सिंह (भाजपा-झालावाड़ बारन), बहादुर सिंह कोली (भाजपा-भरतपुर), अर्जुन राम मेघवाल (भाजपा-बीकानेर), अर्जुनलाल मीणा (भाजपा-उदयपुर), निहालचंद (भाजपा-गंगानगर) और रामचरण बोहरा (भाजपा-जयपुर) ने अपना परचम लहराया था.


इन दिग्गजों को करना पड़ा था हार का सामना
2014 के लोस चुनाव में कई दिग्गजों को हार का भी सामना करना पड़ा था. कांग्रेस से सचिन पायलट, गिरिजा व्यास, चंद्रेश कुमारी कटोच, नमो नारायण मीणा, सीपी जोशी, मोहम्मद अजहरुद्दीन, महेश जोशी, भंवर जितेंद्र सिंह, ज्योति मिर्धा, हरीश चौधरी, शंकर पन्नू, राज बाला ओला ने राजस्थान के लोकसभा सीट से अपनी किस्मत अजमाई थी, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली. निर्दलीय प्रत्याशी जसवंत सिंह, सुभाष महरिया और एनपीपी से किरोड़ी लाल मीणा को भी हार का सामना करना पड़ा था.

सिर्फ 0.50 फीसदी वोटों से विधानसभा चुनाव हारी बीजेपी
2018 में मध्य प्रदेश, मिजोरम, छतीसगढ़, तेलंगाना के साथ राजस्थान का भी विधानसभा चुनाव हुआ था. कांग्रेस ने राजस्थान से बीजेपी को उखाड़ फेंका और 200 विस सीटों में से 99 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं बाद में पार्टी ने रामगढ़ में अपनी जीत के बाद विधानसभा में अपनी संख्या 100 तक बढ़ा ली और आधे के आंकड़े को छू लिया. हालांकि, सात दिसंबर के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा उम्मीदवार की मृत्यु के कारण रामगढ़ विधानसभा सीट का चुनाव स्थगित कर दिया गया था. भाजपा को सिर्फ 73 सीटों पर ही जीत मिली. इस चुनाव में कांग्रेस को 1,39,35,201 और बीजेपी को 1,37,57,502 वोट मिले थे. दोनों पार्टियों में हार-जीत का अंतर 0.50 प्रतिशत वोट था.

बीजेपी के बागी हनुमान बेनीवाल की नवगठित राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ा था. यहां बीएसपी ने चार फीसदी वोट के साथ छह सीट और आरएलपी ने तीन सीटों पर कब्जा किया. अगर हम 2013 विधानसभा चुनाव पर नजर डाले तो पता चलता है कि तब 200 सीटों में बीजेपी को 163 और कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं.

आगामी चुनाव में राजस्थान में ये रहेगी स्थिति
राजनैतिक विशेषज्ञों का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी का राजस्थान में सीधा टकराव होगा. जहां बीजेपी अपनी 25 सीटों को बरकरार रखने की कोशिश करेगी, जबकि पुनरुत्थान करने वाली कांग्रेस इसे चुनौती देगी. 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 12 सीटों पर आगे थी, जबकि भाजपा 13 लोकसभा सीटों पर आगे चल रही थी. 2018 की शुरुआत में दो लोकसभा सीटें भाजपा ने खो दीं, पार्टी को अलवर और अजमेर उपचुनावों में कांग्रेस के हाथों शिकस्त मिली. भाजपा सांसदों महंत चंद नाथ और सांवर लाल जाट का निधन हो गया, जिससे उपचुनावों की आवश्यकता हुई. जाट ने 2014 में अजमेर में कांग्रेस के हेवीवेट सचिन पायलट को हराया था और मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री बने थे. हालांकि, उनकी मृत्यु के बाद भाजपा इस सीट को बरकरार नहीं रख सकी और भाजपा नेता रामस्वरूप लांबा को कांग्रेस नेता रघु शर्मा ने हरा दिया. अलवर में भी कांग्रेस उम्मीदवार करण सिंह यादव ने भाजपा नेता जसवंत सिंह यादव को पछाड़ दिया. भाजपा को एक और झटका लगा, जब दौसा लोकसभा सीट से पार्टी के सीटिंग सदस्य हरीश मीणा अशोक गहलोत और सचिन पायलट की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गए.


राजस्थान में न्यूज नेशन ओपिनियन पोल का क्या है फैसला?
न्यूज नेशन ओपिनियन पोल के मुताबिक, आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को 40 फीसदी वोट मिलने की संभावना है. कांग्रेस को 35 फीसदी वोट मिल सकते हैं, जबकि अन्य दलों को 10 फीसदी वोट मिलने की संभावना है. 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा 16 सीटें और कांग्रेस 9 सीटें जीत सकती हैं. भाजपा को राजस्थान में आगामी लोकसभा चुनावों में 9 सीटों पर हार का अनुमान है. एक सर्वेक्षण के अनुसार, राजस्थान में इस बार बीजेपी अपने 2014 लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन नहीं दोहरा सकती है, लेकिन अग्रणी पार्टी बनी रहेगी. जबकि कांग्रेस को राज्य में सबसे अधिक सीटों पर कब्जा करने में अपनी राज्य सरकार का लाभ मिलने की संभावना नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजस्थान में राहुल गांधी पर भारी बढ़त है, जब उत्तरदाताओं से 2019 में उनके पसंदीदा प्रधानमंत्री उम्मीदवार के बारे में पूछा गया. मोदी को 47 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला, जबकि केवल 31 प्रतिशत ने राहुल गांधी को चुना.