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महागठबंधन से कांग्रेस को साइड करने की तैयारी, अब नए फार्मूले पर हो सकता है सीटों का बंटवारा

महागठबंधन के दोनों बड़े दल कांग्रेस और आरजेडी ही सीटों को लेकर आमने-सामने आ गए हैं. नए फॉर्मूले पर महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर कल ऐलान होने की खबर है.

Updated on: 19 Mar 2019, 11:20 AM

पटना:

महागठबंधन के दोनों बड़े दल कांग्रेस और आरजेडी ही सीटों को लेकर आमने-सामने आ गए हैं. नए फॉर्मूले पर महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर कल ऐलान होने की खबर है. महागठबंधन सूत्रों की तरफ से जानकारी आई है कि कल हर हाल में सीटों के बंटवारे का ऐलान हो जाएगा. अगर बुधवार की सुबह तक कांग्रेस नेताओं के साथ बात नहीं बनी तो शाम में हर हाल में माइनस कांग्रेस सीटों की घोषणा कर दी जाएगी. बताया जाता है कि कांग्रेस को लेकर महागठबंधन में अभी तक बात नहीं बनी है .इसलिए अधिक संभावना यही है कि राजद और  महागठबंधन के अन्य नेता कांग्रेस के लिए 8 सीट छोड़कर बाकी सीटों  की घोषणा कर सकते हैं.इन सभी बातों के लिए राजद ने कांग्रेस को 24 घण्टे का अल्टीमेटम दिया है.

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सूत्रों का कहना है कि राजद और कांग्रेस में दरभंगा और मधुबनी को लेकर पेंच फंसा हुआ है. राजद दरभंगा से जहां अली अशरफ फातमी को लड़ाना चाहता है, वहीं कांग्रेस मौजूदा सांसद कीर्ति आजाद को उतारना चाहती है. इसी तरह कांग्रेस मधुबनी में शकील अहमद को तो राजद अब्दुल बारी सिद्दीकी को लड़ाना चाहती है. दरभंगा से विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी ने भी दावा ठोका है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी भी पांच सीटें चाह रहे हैं. राजद उपाध्यक्ष शिवांनद तिवारी बिहार में अब कांग्रेस की हैसियत की बात करने लगे हैं. उन्होंने कहा कि आखिर कांग्रेस बिहार में 11 सीटों पर किस हैसियत से उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को 11 सीटों से कम पर मान जाना चाहिए.

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सूत्रों का दावा है कि हाल ही के दिनों में गांधी मैदान में कांग्रेस की रैली की सफलता और प्रियंका गांधी के पार्टी में प्रवेश को लेकर राजद सशंकित है. राजद लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में जहां कमजोर हुई है वहीं कांग्रेस में तारिक अनवर, कीर्ति आजाद, लवली आनंद के आने से पार्टी में उत्साह का संचार हुआ है. ऐसे में राजद बिहार में कांग्रेस की महत्वाकांक्षा को लेकर आशंकित है. मधेपुरा सांसद पप्पू यादव की भी कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ी हैं.इस बीच, अब वामदलों के महागठबंधन का हिस्सा बनने की उम्मीद भी कम ही लगती है. भाकपा (माले) ने तो बिना किसी के इंतजार किए आरा सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी. भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य कहते हैं कि महागठबंधन की बड़ी पार्टियों को छोटी पार्टियों को कमतर आंकने की भूल नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बिना वामपंथी दलों के सहयोग के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रोक पाना असंभव है.