जब बात देशद्रोह की हो रही है तो पहले ये जान लेना जरूरी है कि देशद्रोह है क्या ?
देशद्रोह पर कोई भी कानून 1859 तक नहीं था, इसे 1860 में बनाया गया और फिर 1870 में इसे IPC में शामिल किया गया
नई दिल्ली:
भारतीय कानून संहिता यानि IPC की धारा 124A में देशद्रोह की दी हुई परिभाषा कहती है कि, कोई भी इंसान सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन करता है या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसे 3 साल या आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है .
- देशद्रोह पर कोई भी कानून 1859 तक नहीं था, इसे 1860 में बनाया गया और फिर 1870 में इसे IPC में शामिल किया गया, देशद्रोह के इस कानून को थॉमस मैकाले ने तैयार किया था, जिसे अंग्रेजों की विरासत माना जाता है . जब देशद्रोह की बात हो ही रही है तो ये भी देख लीजिए ये किन लोगों पर लगाया गया ?
- मसलन 1922 में ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी पर देशद्रोह का केस दर्ज किया था, वजह थी उस दौर की सत्ता के खिलाफ लिखना, क्यों कि महात्मा गांधी एक अखबार में जिसका नाम यंग इंडिया था, उसमें सरकार के खिलाफ लिखा करते थे तो देशद्रोह का मुकदमा उनके खिलाफ दायर किया गया .
- 2012 में तमिलनाडु सरकार ने कुडनकुलम परमाणु प्लांट का विरोध करने वाले 7 हजार ग्रामीणों पर देशद्रोह की धाराएं लगाईं थी, क्यों कि तब इन ग्रामीणों ने सत्ता का विरोध किया था .
- बिहार के रहने वाले केदारनाथ सिंह पर 1962 में तत्कालीन सरकार ने देशद्रोह का आरोप लगाया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी, दरअसल उस दौर की सरकार को केदारनाथ सिंह का भाषण पसंद नहीं आया था, इसलिए इसे देशद्रोह करार दे दिया गया, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई और सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की एक बेंच ने ये आदेश भी दिया था कि देशद्रोही भाषणों और अभिव्यक्ति को सिर्फ तभी दंडित किया जा सकता है, जब उसकी वजह से किसी तरह की हिंसा, असंतोष या फिर सामाजिक असंतुष्टिकरण बढ़े .
- महात्मा गांधी ही नहीं बाल गंगाधर तिलक, जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, लेखिका अरुंधति रॉय, पटेलों के नेता हार्दिक पटेल जैसे कई लोगों पर देशद्रोह का आरोप लग चुका है .
- हैरान करने वाली बात ये है कि जिस कानून को भारत में ब्रिटिश सरकार ने बनाया था, उसे खुद वो ब्रिटेन से हटा चुके हैं लेकिन भारत में ये आज भी चल रहा है .
- राहुल गांधी ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी इसका विरोध किया था, उन्होने इसे बेहद आपत्तिजनक और अप्रिय कानून बताया था .
अब आप ये भी जान लीजिए कि आखिर ये कानून सुर्खियों में क्यों रहता है, क्यों राहुल गांधी ने इसे खत्म करने का ऐलान किया है, दरअसल देशद्रोह के कानून को लेकर संविधान में विरोधाभास है, क्यों कि हमारे संविधान में देशद्रोह कानून (IPC की धारा 124A ) तो है लेकिन साथ ही साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (संविधान के अनुच्छेद 19 (1) ) का अधिकार भी है, जिसे हम अपने मौलिक अधिकार के रुप में जानते हैं और अगर ये हमारी अभिव्यक्ति की आजादी के अंतर्गत आता है तो फिर ये देशद्रोह कैसे हुआ ?
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Arti Singh Wedding: सुर्ख लाल जोड़े में दुल्हन बनीं आरती सिंह, दीपक चौहान संग रचाई ग्रैंड शादी
-
Arti Singh Wedding: दुल्हन आरती को लेने बारात लेकर निकले दीपक...रॉयल अवतार में दिखे कृष्णा-कश्मीरा
-
Salman Khan Firing: सलमान खान के घर फायरिंग के लिए पंजाब से सप्लाई हुए थे हथियार, पकड़ में आए लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे
धर्म-कर्म
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Mulank 8 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 8 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी