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बालाकोट स्ट्राइक ने पीएम नरेंद्र मोदी के लिए निगेटिव सेंटीमेंट्स कम किए, ममता बनर्जी दावेदारों में कहीं पीछे

पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बालाकोट में की गई सर्जिकल स्ट्राइक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर सकारात्मक असर पड़ा है.

Updated on: 15 Apr 2019, 06:35 AM

नई दिल्ली.:

लोकसभा चुनाव 2019 कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहा है. इतिहास में सबसे महंगा चुनाव होने के साथ ही आम चुनाव सोशल मीडिया पर भी अपनी गर्मा-गर्मी के लिए याद रखा जाएगा. हर बदलते घटनाक्रम के साथ सोशल मीडिया खासकर टि्वटर किस तरह रंग बदल रहा है, इसको लेकर सामने आई एक रिपोर्ट यह बताती है कि टि्वटर 'नेशन्स मूड' बनाने-बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

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अंग्रेजी के एक फाइनेंशियल अखबार ने सोशल मीडिया इंटेलीजेंस फर्म 'फ्रर्रोल' के साथ मिलकर विभिन्न मसलों, घटनाओं औऱ मुद्दों का टि्वटर पर प्रभाव जाना, तो नतीजे चौंकाने वाले आए. यही नहीं, संस्था की रिपोर्ट कहती है कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बालाकोट में की गई सर्जिकल स्ट्राइक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर सकारात्मक असर पड़ा है.

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बालाकोट स्ट्राइक
पाकिस्तान पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद टि्वटर पर पीएम मोदी के प्रति भावनाओं में जबर्दस्त बदलाव देखने को मिला. फरवरी के पहले पखवाड़े में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति सकारात्मक सेंटीमेंट्स महज 36 फीसदी थी. 50 प्रतिशत टि्वटर यूजर्स नकारात्मक भाव रख रहे थे. हालांकि फरवरी 25 से एक माह यानी 25 मार्च में ही पूरे सेंटीमेंट्स बदल गए. 6.8 मिलियन ट्वीट्स में बालाकोट स्ट्राइक का जिक्र आया. यही नहीं, पीएम मोदी के प्रति सकारात्मक भावनाएं तीन फीसदी बढ़ गईं, तो नकारात्मक सेंटीमेंट्स में इतनी ही गिरावट दर्ज की गई.

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मैं हूं चौकीदार कैंपेन
इस वाक्य का इस्तेमाल 35.5 मिलियन ट्वीट्स में हुआ है. 18 मार्च से 25 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में इस वाक्य ने कई शहरों मसलन पटना, भुवनेश्वर, अहमदाबाद में पीएम मोदी के नेट सेंटीमेंट्स को बढ़ाने का काम किया, तो चेन्नई, नागपुर और पुणे में निगेटिव इम्पैक्ट डाला. सबसे ज्याद खराब असर तो चेन्नई में देखने में आया, जहां नरेंद्र मोदी के खिलाफ निगेटिव सेंटीमेंट्स माइनस 41 फीसदी दर्ज किए गए.

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प्रधानमंत्री पद के दावेदार
नरेंद्र मोदी
अगर इस पर टि्वटर यूजर्स के रुझान का पैमाना बनाया जाए, तो सबसे आगे नरेंद्र मोदी ही खड़े हैं. वह भी तब जब नेट सेंटीमेंट्स माइनस 7 पर है. 1.45 करोड़ ट्वीट्स में नरेंद्र मोदी का इसके लिए जिक्र आया. सकारात्मक ट्वीट्स की दर 39 फीसदी रही, तो नकारात्मक 46 फीसदी रहीं. वाराणसी और अहमदाबाद में उनका जादू ज्यादा चल रहा है, तो मुंबई और दिल्ली में तुलनात्मक रूप से कम.

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राहुल गांधी
6.3 लाख ट्वीट में जिक्र पाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए निगेटिव ट्वीट्स का आंकड़ा पॉजिटिव की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा है. 22 फीसदी उनके प्रति सकारात्मक राय रखते हैं, तो 61 फीसदी नकारात्मक. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू औऱ कोलकाता से उन्हें क्रमशः माइनस 38 फीसदी, माइनस 42 फीसदी, माइनस 45 और माइनस 35 फीसदी निगेटिव ट्वीट मिले.

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नीतीश कुमार
बिहार में एनडीए के महत्वपूर्ण सहयोगी का जिक्र भले ही 1.3 लाख ट्वीट्स में आया हो, लेकिन उनके प्रति निगेटिव और पॉजिटिव ट्वीट्स में महज 5 फीसदी का अंतर है. 42 फीसदी नीतीश के प्रति सकारात्मक राय रखते हैं, तो 47 फीसदी नकारात्मक. दरभंगा से उन्हें 2 फीसदी ट्वीट पॉजिटिव मिली हैं, तो दिल्ली, पटना और मुंबई से निगेटिव.

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ममता बनर्जी
प्रधानमंत्री बनने की अभिलाषा पाले पश्चिम बंगाली की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए यह किसी गहरे झटके से कम नहीं. उनके प्रति नेट सेंटीमेंट्स माइनस 48 फीसदी है. महज 16 फीसदी ट्वीट्स ही पॉजिटिव हैं. लोगों की निगेटिव ट्वीट्स का आंकड़ा 63 फीसदी है. गौरतलब है कि कोलकाता में ही माइनस 22 फीसदी निगेटिव ट्वीट्स ममतादी को मिले हैं. दिल्ली और बेंगलुरू में तो उन्हें टि्वटर पर नापसंद करने वालों की संख्या 50 फीसदी के पार है.