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लोकसभा चुनाव 2019 विश्लेषण: जानें कर्नाटक में 2014 के चुनाव की स्थिति से अब तक कितने बदले समीकरण

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में बीएएस येदियुरप्पा की वापसी के बाद बीजेपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. कर्नाटक में 2014 का चुनाव एक ही चरण में हुआ था.

Updated on: 22 Feb 2019, 04:22 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) की उल्टी गिनती शुरु हो गई है और भारतीय चुनाव आयोग (ECI) मार्च के पहले सप्ताह में चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा कर सकती है. हम भी चुनावों के लिए कमर कस रहे हैं और एक सीरीज के साथ आ रहे हैं. क्या हुआ था 2014 लोकसभा चुनाव में? हम हर राज्य में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव का विश्लेषण करेंगे और कोशिश करेंगे कि क्या इस बार भी इतिहास खुद को दोहराएगा या फिर परिणाम कुछ और सामने आएगा.

चुनाव विश्लेषण- 2014 के लोकसभा चुनावों में क्या हुआ था और 2019 में क्या होगा?

आज के चुनाव विश्लेषण में हम कर्नाटक राज्य की बात करेंगे. जहां अभी एचडी कुमारस्वामी की नेतृत्व वाली जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार है. साल 2018 के कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बनी थी. त्रिशंकु विधानसभा का मतलब होता है किसी भी राजनीतिक पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिलना. हालांकि कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई थी. चुनावी नतीजे आने के बाद राज्य के राज्यपाल ने बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को राज्य में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था. हालांकि कांग्रेस का जेडीएस नेता कुमारस्वामी को समर्थन करने के फैसले के बाद येदियुरप्पा अपना बहुमत साबित करने में विपल हो गए थे जिसके बाद उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

कर्नाटक में पिछले पांच साल (2013-18) तक कांग्रेस ने सिद्धारमैया के नेतृत्व में सत्ता की सीट पर काबिज थी. लेकिन इस बार जनता ने उन्हें नकार दिया जिस वजह से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. जेडीएस और कांग्रेस दोनों पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन करने की कोशिश में है. जिससे वो राज्य में बीजेपी को चुनौती दें सके. लेकिन कुमारस्वामी सरकार की स्थिरत उसके गठन के बाद से खतरें में हैं क्योंकि दोनों ही दलों के कई नेता इस गठबंधन से नाखुश है. आइए हम इस पर विस्तार से चर्चा करें जिससे कर्नाटक ते चुनावी गणित को आसानी से समझा जा सके.

2014 के लोकसभा चुनावों में कर्नाटक में क्या हुआ था?

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में बीएएस येदियुरप्पा की वापसी के बाद बीजेपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. कर्नाटक में 2014 का चुनाव एक ही चरण में हुआ था. राज्य में लोकसभा की कुल 28 सीटें है, जिसमें बीजेपी ने 17 सीट पर अपनी जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस सिर्फ 9 सीटों तक ही सिमट कर रह गई थी. वहीं बाकी दो सीट जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) जीतने में सफर रही थी. साल 2009 के लोकभा में बीजेपी ने 19 सीट जीती थी जबकी कांग्रेस-जेडीएस ने 6 और 3 सीट पाने में सफल हो पाई थी.

बीजेपी ने चुनावों में 1,33,50,285 वोट के साथ 43.37 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त किए थे. दूसरी तरफ कांग्रेस ने 41.15 फीसदी शेयर के साथ 1,26,66,530 वोट मिले थे. जबकि राज्य में तीसरी ताकत के रुप में जानी जाने वाली जेडीएस को 11.07 फीसदी वोट शेयर के साथ 34,06,465 वोट हासिल किए थे. हमारे विश्लेषण के अनुसार, 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी 132 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी. वहीं कांग्रेस 77 पर और जेडीएस 15 पर आगे चल रही थी. 

2014 के चुनावों मुख्य विजेता के नाम है. जिन्होंने कर्नाटक के लोकसभा सीटों पर अपनी जीत हासिल की थी-

- बीएस येदियुरप्पा (बीजेपी-शिमोगा)
- अनंत कुमार (बीजेपी-बैंगलोर दक्षिण)
- एचडी देवगौड़ा (जेडीएस-हसन)
- डीवी सदानंद गौड़ा (भाजपा-बैंगलोर उत्तर)
- प्रहलाद जोशी (बीजेपी-धारवाड़)
- रमेश जिगाजिनागी (बीजेपी-बीजापुर)
- मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस-गुलबर्गा)
- वीरप्पा मोइली (कांग्रेस-चिकबल्लापुर)
- नलिन कुमार कतेल (बीजेपी-दक्षिण कन्नड़)
- अनंत कुमार हेगड़े (बीजेपी-उत्तरा कन्नड़),
- बी श्रीरामुलु (बीजेपी-बेल्लारी),
- पीसी मोहन (बीजेपी-बैंगलोर सेंट्रल)
- प्रताप सिम्हा (बीजेपी-मैसूर)
- सीएस पुत्तराराजू (जेडीएस-मंड्या)
- जीएम सिद्धेश्वर (बीजेपी-दावणगेरे)
- डीके सुरेश (कांग्रेस-बैंगलोर ग्रामीण)
- केएच मुनियप्पा ( कांग्रेस-कोलार)
- शोभा करंदलाजे (बीजेपी-उडुपी चिकमगलूर)

सीएच विजयशंकर (बीजेपी-हसन), जीएस बसवराज (बीजेपी-तुमकुर), नंदन नीलेकणि (कांग्रेस-बैंगलोर दक्षिण), जनार्दन पूजारी (कांग्रेस-दक्षिणा कन्नड़), राम्या (कांग्रेस-मंड्या), एएच विश्वनाथ (कांग्रेस-मैसूर), एच.डी. कुमारस्वामी (जेडीएस-चिकबल्लापुर), एम शिवन्ना (जेडीएस-चमराजनगर), वी धनंजय कुमार (जेडीएस-उडुपी चिकमगलूर), एसएस मल्लिकार्जुन (कांग्रेस-दावणगेरे) और एन धर्म सिंह (कांग्रेस-बीदर) को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या था?

2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत हासिल करने में जरूर पीछे रह गई थी लेकिन वो राज्य में एक बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. 224 वाले विधानसभ सीट में से 104 सीटों पर बीजेपी ने अपनी दावेदारी ठोंकी थी. पार्टी को 36.3 फीसदी वोट शेयर के साथ 1,32,68,284 वोट मिले थे. सत्तरूढ़ पार्टी कांग्रेस के खाते में केवल 80 सीटें ही आई थी. कांग्रेस ने 38.1 फीसदी वोट शेयर के साथ 1,39,32,531 वोट हासिल किए थे. पार्टी को राज्य में अधिकत्तम वोट मिले थे लेकिन उसने अपना बहुमत खो दिया था. दूसरी तरफ जेडीएस को 18.3 फीसदी वोट शेयर के साथ 67,26,668 वोट मिलें और उसने कर्नाटक में 37 सीटें जीतीं. पार्टी ने मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, जिसमें बीएसपी ने विधानसभा में केवल एक सीट ही हासिल कर पाई थी.

बीजेपी ने लिंगायत समुदाय से आने वाले बीएस येदियुरप्पा की पार्टी में वापसी के बाद अच्छा प्रदर्शन किया. येदियुरप्पा को लिंगायतों का मजबूत नेता माना जाता है. तटीय कर्नाटक, बॅाम्बे कर्नाटक और मध्य कर्नाटक में बीजेपी आगे थी. चुनाव नतीजे के बाद कर्नाटक के राज्यपाल ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया लेकिन बीजेपी विधानसभा में 113 के बहुमत आंकड़ा हासिल नहीं कर पाई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

कांग्रेस ने राज्य में बीजेपी से सत्ता की कुर्सी छीनने के लिए चुनाव के बाद जेडीएस को समर्थन किया और एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठबंधन कर के कर्नाटक में सरकार बनाई. साल 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने बीजेपी को हराकर 122 सीटों के साथ सत्ता में वापसी की थी. बीजेपी 19.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 40 सीटों पर सिमट गई. जेडीएस ने भी बीजेपी के मुकाबले 20.2 फीसदी बेहतर वोट शेयर के साथ 40 सीटें जीतीं.

बीजेपी से अलग हुए येदियुरप्पा ने अपनी खुद की पार्टी 'कर्नाटक जनता पक्ष' (केजेपी) बनाई थी. केजेपी ने राज्य में लगभग 10 फीसदी वोट प्राप्त किए थे. उन्होंने बी श्रीरामुलु की बीएसआर कांग्रेस पार्टी के साथ राज्य के चुनावों में बीजेपी की संभावनाओं पर विचार किया.

2019 में कर्नाटक में वर्तमान स्थिति क्या है?

खबरों के मुताबिक बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के साथ लोकसभा चुनाव लड़ सकती है. हालांकि कुछ रिपोर्टस के मुताबिक कांग्रेस अकेले भी लोकसभा के चुनावी मैदान में उतर सकती है, क्योंकि जेडीएस अपने लिए 10 से 12 लोकसभा सीटों की मांग कर रही है. अगर गठबंधन होता है तो वो बीजेपी को चुनौती दे सकता है क्योंकि उनका वोट शेयर बीजेपी के वोट शेयर से बड़ा है. हाल ही में गठबंधन ने उपचुनावों में 5 में से 4 सीटों पर जीत दर्ज करवाई थी. कांग्रेस ने बेल्लारी लोकसभा और जामखंडी विधानसभ सीट जींती जबकी जेडीएस ने मांड्या लोकसभा और रामनगरम विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. उपचुनाव में बीजेपी केवल शिमोगा (शिवमोग्गा) लोकसभा सीट जीतने में सफल रही थी.

गठबंधन का वोट शेयर करीब 50 फीसदी से अधिक रहा जो कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटों को काफी कम कर सकता है. इस बीच कांग्रेस के कुछ बागी विधायक मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के रास्ते का रोड़ा बन सकते है. जेडीएस का वोट शेयर दक्षिण कर्नाटक और मैसूर क्षेत्र तक सीमित है और कांग्रेस भी इस क्षेत्र में बहुत मजबूत है. अगर लोकसभा में कांग्रेस-जेडीएस का गठबंधन होता है तो इससे दोनों दलों के लिए परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि स्थानीय नेता दूसरी पार्टी के लिए अपनी मजबूत सीटें छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं.