Constitution Day : 1857 से लेकर 1950 तक संविधान बनने का ऐसा रहा है सफर
आजादी के समय भारत का अपना कोई कानून नहीं था. आजाद देश के सामने सबसे पहले उसके अपने संविधान (Constitution) की जरूरत थी. क्योंकि आजादी के बाद नियमों की आवश्यक्ता थी जिनसे देश को चलाया जा सके.
नई दिल्ली:
आजादी के समय भारत का अपना कोई कानून नहीं था. आजाद देश के सामने सबसे पहले उसके अपने संविधान (Constitution) की जरूरत थी. क्योंकि आजादी के बाद नियमों की आवश्यक्ता थी जिनसे देश को चलाया जा सके. देश के आजाद होने से पहले ही भारतीय संविधान (Indian Constitution) की मांग होने लगी थी. 1857 की क्रांति के बाकी सिपाहियों में भारत का संविधान (Indian Constitution) बनाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन जब तक भारत का संविधान बनता तब तक विद्रोह समाप्त हो गया था. जिसके कारण संविधान बनने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी.
1935 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट बनाया गया. लेकिन यह देश वासियों की उम्मीद पर खरा नहीं उतरा. इसी के कारण मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच दूरियां पैदा हो गई. 1945 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था उस समय डॉक्टर तेज बहादुर सप्रू ने सभी पार्टियों री सहमति से संविधान का एक प्रारूप तैयार किया था.
यह भी पढ़ें- आखिर 26 नवंबर को ही संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें इसकी वजह
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण आजाद हिंद फौज के कारण भारत पर राज करने का सपना अंग्रेजों का चकनाचूर हो गया. जब ब्रिटेन में क्लेमेंट अट्टेली प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मुस्लिम लीग और नए संविधान को अलग अधिकार देने का काम शुरु किया. इसके कारण से उनके तीन मंत्री हिंदुस्तान भेजे गए. इसे कैबिनेट मिशन के रूप में इतिहास में जाना जाता है.
यह भी पढ़ें- संविधान दिवस : इन 10 देशों से लिया गया है भारतीय संविधान
शिमला में बैठक की शुरुआत हुई और कांग्रेस की तरफ से उनके अध्यक्ष मौलाना आजाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, खान अब्दुल गफ्फार मौजूद थे. वहीं मुस्लिम लीग की तरफ से लियाकत अली खां, मोहम्मद अली जिन्ना, नवाब खां, इस्माइल खां समेत की नेता मौजूद थे. लेकिन इस बैठक में कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला. अतः कैबिनेट मिशन असफल रहा. लेकिन कुछ समय बाद फिर से बातचीत शुरु हुई. 16 जून 1946 को प्रस्ताव पारित हुआ कि दोनों देशों को विभाजित कर दिया जाए. इसके बाद नया संविधान बनना शुरु हुआ.
संविधान सभा
भारत की संविधान सभा पहली बार 19 दिसंबर 1946 को एकत्रित हुई. इस सभा में सभी नेता थे लेकिन महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना मौजूद नहीं थे. संविधान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में डॉक्टर सच्चिदानंद को चुना गया क्योंकि सच्चिदानंद सबसे वरिष्ठ थे और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष के रूप में चुना गया.
यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़ी 5 खास बातें सबसे पहले यहां जानें
डॉक्टर जवाहरलाल नेहरू ने संविधान की नीव 13 दिसंबर 1946 को रखी. उन्होंने संविधान का संपूर्ण खाका तैयार किया था. इसके अंतर्गत पूरे भारत के सभी रजवाड़ों की संपत्ति को समाप्त कर उसे भारतवर्ष का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया. संविधान के इस सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 को पास कर दिया गया. लेकिन रजवाड़ों और जिन्ना ने इसका विरोध किया.
काफी मशक्कत के बाद अप्रैल 1947 के अंत तक दूसरी सभा की बैठक हुई. कई राजाओं ने कांग्रेस को समर्थन दिया. 3 जून 1947 को घोषणा की गई कि भारत बंगाल और पंजाब का विभाजन किया जाएगा. 14 जुलाई 1947 को हुई बैठक में मुस्लिम लीग के लोग शामिल हुए. लेकिन वो बंटवारे के बाद भारत में शामिल नहीं होने वाले थे.
आजादी के बाद संविधान
अखंड भारत अब दो हिस्सों में बंट चुका था. 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली. लेकिन देश अभी भी पूरी तरह आजाद नहीं हो पाया था. क्योंकि अभी संविधान बनना बाकी था. देश की आजादी के बाद अब संविधान ही एक मुद्दा था. भारत का संविधान बनाने के लिए 7 सदस्यों की एक कमेटी गठित की गई. जिसमें एन.
गोपाल स्वामी अयंगर, ए. कृष्णास्वामी अय्यर, डॉ. बी. आर. अंबेडकर, सैयद मोहम्मद साहदुल्लाह, के. एम मुंशी, बी एल मित्तर, डी. पी. खैतान थे. डॉक्टर भीमराव आंबेडकर इस कमेटी के अध्यक्ष थे. इस कमेटी ने भारत का संविधान बनाना शुरु किया. संविधान आम सहमति से बना.
यह भी पढ़ें- सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक आज, जमीन लेनी है या नहीं इस पर होगा फैसला
21 अप्रैल 1947 को जब इसे पेश किया गया तो कई सारे लोगों को यह पसंद नहीं आया. जिसके बाद कई कानूनों को बदला गया. जैसे सिखों को कई हथियार रखने की छूट दी गई. 2 साल 11 महीने 18 दिनों के बाद डॉक्टर भीमराव आंबेडकर और उनकी कमेटी ने इस काम को अंजाम तक पहुंचा दिया. 26 नवंबर को भारत का संविधान बनकर तैयार हो गया. 24 जनवरी 1950 को भारत के संविधान पर सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर किए. 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान देश में लागू हुआ.
26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ संविधान
1929 में लाहौर में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ. इस अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि अगर अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमीनियम का पद नहीं प्रदान करेगी जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित इकाई बन जाएगा और भार खुद को पूर्ण रूप से स्वतंत्र घोषित कर देगा. 26 जनवरी तक जब अंग्रेस सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र घोषित कर दिया. 26 जनवरी 1930 में स्वराज की घोषणा को याद करने के लिए ही इसी दिन संविधान लागू किया गया.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य