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UPSC Exam: सिविल सर्विस एग्जाम से हटाया जा सकता है एप्टीट्यूड टेस्ट, जानिए क्या है वजह

साल 2011 से सिविल सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषयों के पेपर की जगह सिविल सर्विस एप्टीट्यूट टेस्ट (CSAT) का एक पेपर जोड़ा गया था.

Updated on: 12 Jul 2019, 08:00 AM

highlights

  • UPSC ने सरकार को भेजा यह प्रस्ताव
  • सिविल सर्विस परीक्षा से हटाया जाए CSAT Test
  • कई बार छात्रों ने किया है प्रदर्शन

नई दिल्ली:

यूपीएससी सिविल सर्विस (UPSC Civil Service Exam) की प्री परीक्षा में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है. यूपीएससी ने भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को सिविल सर्विस की परीक्षा में एप्टीट्यूट टेस्ट (CSAT) को हटाने का प्रस्ताव भेजा है. आपको बता दें कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने वाले काफी छात्रों ने इस परीक्षा को हटाने के लिए प्रदर्शन किया था.

UPSC के मुताबिक समय की बर्बादी है CSAT टेस्ट
UPSC ने इस प्रस्ताव में कहा है कि एप्टीट्यूड टेस्ट परीक्षा में समय की बर्बादी है. इसके साथ ही यूपीएससी ने कर्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को यह भी प्रस्ताव दिया है कि जो छात्र यूपीएससी का फॉर्म भरकर परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करके उन्हें दंडित किया जाए. साल 2011 से सिविल सर्विस की प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषयों के पेपर की जगह सिविल सर्विस एप्टीट्यूट टेस्ट (CSAT) का एक पेपर जोड़ा गया था. आपको बता दें कि CSAT पेपर के अंक सिर्फ क्वालिफाइंग है जिसमें पास होने के लिए 33 प्रतिशत अंकों की जरूरत होती है.

9 साल बाद UPSC को आई समझ
करीब नौ साल बाद अब UPSC को लग रहा है कि सिविल सर्विस की परीक्षा में सी-सैट का पेपर समय की बर्बादी है. यूपीएससी के अधिकारियों के मुताबिक एप्टीट्यूट टेस्ट के पेपर को यूपीएससी के सिलेबस में सिर्फ जोड़ने के लिए जोड़ गया है, जो कि सिर्फ समय की बर्बादी है. रीजनिंग और अंग्रेजी के प्रश्न होने के कारण लाखों छात्रों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह सिर्फ कान्वेंट और इंजीनियरिंग के छात्रों को फायदा पहुंचाता है. साल 2011 से ही इस पेपर को लेकर विद्यार्थी धरना-प्रदर्शन दे रहे हैं, जो कि कई बार हिंसक रूप भी ले चुके हैं.

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UPSC ने इससे पहले भी सरकार को यह प्रस्ताव भेजा था कि अगर कोई छात्र UPSC का फार्म भरता है तो उसे एक प्रयास माना जाए. UPSC में सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम छह प्रयास निर्धारित है. UPSC का मानना है कि फार्म भरकर परीक्षा में अनुपस्थित रहने वाले छात्रों को अगर दंडित कर दिया जाए तो छात्र अनावश्यक परीक्षा नहीं देंगे जिससे संसाधनों की बचत होगी.

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