Cyclone Vayu: आखिर कौन रखता है इन तूफानों के नाम, जानें 'वायु' की रोचक कहानी
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने सबसे पहले चक्रवाती तूफानों के नाम रखने की शुरुआत की थी.
highlights
- कौन रखता है इन तूफानों के नाम
- जानें IMD अलर्ट के रंगों का मतलब
- जानिए क्या है 'वायु' का मतलब
नई दिल्ली:
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने गुजरात के तटवर्ती इलाकों में चक्रवाती तूफान आने की चेतावनी दी है. मौसम विभाग के अनुसार साइक्लोन वायु (VayuCyclone) वेरावल और दीव क्षेत्र के आसपास पोरबंदर और महुवा के बीच लगभग उत्तर की ओर बढ़ने और गुजरात तट को पार करने की बहुत संभावना है.
मौसम विभाग ने कहा कि 13 जून को गुजरात के तटवर्ती इलाके में 50-60 किलोमीटर से लेकर 70 किलोमीटर की रफ्तार से हवा चलेगी और 13 जून को इसकी रफ्तार अरब सागर से सटे उत्तरी इलाके में 110-120 किलोमीटर से लेकर 135 किलोमीटर हो जाएगी.
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मौसम विभाग कुछ चुनिंदा रंगों का प्रयोग कर समय-समय पर अलर्ट जारी करता रहता है. जैसे रेड अलर्ट, येलो अलर्ट या फिर ऑरेंज अलर्ट. आइए जानते हैं मतलब है इन रंगों का.
ग्रीन - कोई खतरा नहीं
येलो अलर्ट - खतरे के प्रति सचेत रहें. मौसम विभाग के अनुसार येलो अलर्ट के तहत लोगों को सचेत रहने के लिए अलर्ट किया जाता है. उन्होंने बताया कि यह अलर्ट जस्ट वॉच का सिग्नल है.
ऑरेंज अलर्ट - इसका मतलब खतरा होता है. मौसम विभाग के अनुसार जैसे-जैसे मौसम और खराब होता है तो येलो अलर्ट को अपडेट करके ऑरेंज कर दिया जाता है. इसमें लोगों को इधर-उधर जाने के प्रति सावधानी बरतने को कहा जाता है.
रेड अलर्ट - मौसम विभाग के अनुसार जब मौसम खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और भारी नुकसान होने की आशंका होती है तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है.
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अरब सागर से चलने वाले इस चक्रवात को वायु नाम भारत ने दिया है, जो ‘हवा’ के तर्ज पर रखा गया है. जानिए कैसे हुई तूफानों के नाम रखने की शुरुआत और कौन रखता है तूफानों के नाम.
ऐसे तय होता है तूफान का नाम
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने सबसे पहले चक्रवाती तूफानों के नाम रखने की शुरुआत की थी. भारत में यह प्रथा साल 2004 से शुरू हुई. भारत के साथ-साथ श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाइलैंड ने भी तूफानों का नाम देने का फॉर्मूला तैयार किया. इन 8 देशों की ओर से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार इन चक्रवाती तूफानों के नाम रखे जाते हैं.
इन सभी आठ देशों ने वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (World Meteorological Organization) को तूफानों के नाम की लिस्ट दी हुई है. इसमें भारत ने 'अग्नि', 'बिजली', 'मेघ', 'सागर' और 'आकाश' जैसे नाम दिए. वहीं, पाकिस्तान ने 'निलोफर', 'बुलबुल' और 'तितली' जैसे नाम दिए. इन्हीं नामों में से वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन तूफान का नाम रखती है.
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अगर इन आठ देशों में चक्रवाती तूफान आता है तो भेजे गए नामों में बारी-बारी एक नाम चुना जाता है. भारत में 10 साल तक किसी एक तूफान के नाम का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता. साथ ही ज्यादा तबाही मचाने वाले चक्रवातों के नाम को निरस्त कर दिए जाते हैं. इस बार बांग्लादेश के सुझाव पर तूफान का नाम 'फानी' रखा गया है.
अगर बात यूरोपीय देशों की हो तो अमेरिका हर साल तूफानों के 21 नामों की सूची तैयार करता है. क्योंकि अंग्रेजी के Q,U,X,Y और Z अल्फाबेट से तूफान का नाम रखने की परंपरा नहीं है. इसलिए अगर एक साल में 21 से ज्यादा तूफान आ जाएं तो फिर उनका नाम ग्रीक अल्फाबेट अल्फा, बीटा, गामा के नाम से रख दिया जाता है. ये नाम ऑड-ईवन फॉर्मूले पर रखे जाते हैं. ऑड नंबर वाले वर्ष में चक्रवाती तूफानों के नाम औरतों के नाम पर रखे जाते हैं, जबकि ईवन सालों में आए तूफान के नाम पुरुषों के नाम पर आधारित होते हैं.
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जानिए क्या है 'वायु' का मतलब
इस चक्रवात को वायु नाम भारत ने दिया है, जो ‘हवा’ के तर्ज पर रखा गया है. मौसम विभाग ने कहा कि 13 जून को गुजरात के तटवर्ती इलाके में 50-60 किलोमीटर से लेकर 70 किलोमीटर की रफ्तार से हवा चलेगी और 13 जून को इसकी रफ्तार अरब सागर से सटे उत्तरी इलाके में 110-120 किलोमीटर से लेकर 135 किलोमीटर हो जाएगी.
यूरोपीय तूफानों के नामों में है कन्फ्यूजन
अगर आप हरीकेन्स, टाइफून्स, साइक्लोन्स आदि के नाम सुनकर कन्फ्यूज हो जाते हैं तो सबसे पहले जान लीजिए ये सभी उष्णकटिबंधीय तूफान के ही नाम हैं. फानी भी इन्हीं का एक प्रकार है. दरअसल, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में उष्णकटिबंधीय तूफान को इन अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
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हर तूफान का नहीं रखा जाता नाम
अगर देखा जाए तो आधिकारिक तौर पर तूफानों का नाम रखने की प्रथा 1953 में शुरू हुई. यहां हम आपको बता दें कि हर तूफान का नाम नहीं रखा जाता है. सिर्फ उसी तूफान का नाम रखा जाता है जिसकी स्पीड 63 किमी/घंटा हो इसके अलावा जिसकी रफ्तार 118 कीमी/घंटा तक चली जाए उन्हें गंभीर तूफान कहा जाता है वहीं 221 किमी/घंटा की रफ्तार वाले तूफान को सुपर चक्रवाती तूफान कहा जाता है.
ऐसे काम करता है नामकरण का ये नियम
सबसे पहले तूफानों को नाम देने के लिए यूएन की वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाजेशन ने नियम तैयार किए गए थे. जिसके मुताबिक जिस इलाके में तूफान आएगा वहां की क्षेत्रीय एजेंसियां ही इसका नामकरण करेंगी. इसका तरीके यह बताया जाता है कि साल के पहले तूफान को A फिर अगले तूफान को B से नाम दिया जाएगा. ईवन नंबर वाले साल (जैसे 2020) को पुरुष नामों में से कोई दिया जाएगा। वहीं ऑड सालों (जैसे 2019) में महिलाओं के नाम पर तूफान को नाम मिलेगा.
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