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मई में बढ़ी देश की थोक महंगाई दर, हुई 4.43 फीसदी

मई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 4.43 फीसदी हो गई, जबकि पिछले साल के इसी महीने में यह 2.26 फीसदी दर्ज की गई थी।

Updated on: 14 Jun 2018, 04:07 PM

नई दिल्ली:

खाद्यान्नों और ईधन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण मई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 4.43 फीसदी हो गई, जबकि पिछले साल के इसी महीने में यह 2.26 फीसदी दर्ज की गई थी।

इस साल अप्रैल में यह दर 3.18 फीसदी थी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से गुरुवार को यह जानकारी मिली।

इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई 4.87 फीसदी थी।

कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के खतरे का हवाला देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले सप्ताह प्रमुख कर्ज दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी, जिसके कारण रेपो रेट पिछले चार सालों में पहली बार बढोतरी हुई और यह बढ़कर 6.25 फीसदी पर आ गया।

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आरबीआई ने मध्यम अवधि के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 4 फीसदी रखा है।

डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक में समीक्षाधीन माह में अप्रैल की तुलना में 0.67 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 1.12 फीसदी रही।

समीक्षाधीन माह में प्राथमिक वस्तुओं पर खर्च बढ़कर 3.16 फीसदी हो गया, जबकि इसके पिछले महीने यह (-)1.71 फीसदी पर थी। डब्ल्यूपीआई सूचकांक में प्राथमिक वस्तुओं का भारत 22.62 फीसदी है।

डब्ल्यूपीआई आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग मंडल एसोचैम ने नीति निर्माताओं से पेट्रोल और डीजल कीमतों पर लगाम लगाने की गुजारिश की, ताकि महंगाई काबू में रहे।

एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने बयान में कहा, 'पेट्रोल-डीजल की कीमतों से बढ़ोतरी से उद्योगों की भी लागत बढ़ जाती है, इससे उनकी मुनाफाप्रदता पर असर होने लगता है।'

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