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अगर उपभोक्‍ता के खाते से गलत ढंग से पैसा निकला तो बैंक होंगे जिम्‍मेदार

केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने कहा है कि बैंक ग्राहकों (Bank Consumers) के खाते से गलत तरीके से रकम निकाले जाने (Withdrawal) पर बैंक जवाबदेह होंगे.

Updated on: 07 Feb 2019, 08:10 AM

कोच्‍चि:

केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने कहा है कि बैंक ग्राहकों (Bank Consumers) के खाते से गलत तरीके से रकम निकाले जाने (Withdrawal) पर बैंक जवाबदेह होंगे. जस्टिस पीबी सुरेश कुमार ने बुधवार को यह भी स्पष्ट किया कि अगर ग्राहक बैंकों के एसएमएस अलर्ट (SMS Alert) पर ध्यान नहीं देता तो भी खाते (Bank Account) से अनाधिकृत निकासी (Bank Fraud) में बैंकों की स्पष्ट रूप से जवाबदेही बनती है. एक ग्राहक के प्रति बैंक की जवाबदेही केवल एसएमएस अलर्ट (SMS Alert) भेजने भर की नहीं होती है. खाताधारक को नियमित रूप से एसएमएस अलर्ट चेक (SMS Alert) करने की आदत नहीं हो सकती है.

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कोर्ट (Kerala High Court) ने कहा कि SMS अलर्ट उपभोक्ता के प्रति बैंकों की जिम्मेदारी खत्म होने का आधार नहीं हो सकता है. कई उपभोक्ता ऐसे भी हो सकते हैं, जिन्हें लगातार एसएमएस अलर्ट देखने की आदत ना हो. केरल हाईकोर्ट ने यह आदेश स्टेट बैंक की याचिका रद्द करते हुए सुनाया. बैंक ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी. निचली अदालत ने बैंक को निर्देश दिए थे कि गैरआधिकारिक विदड्रॉल के चलते 2.4 लाख रुपया गंवाने वाले उपभोक्ता को मुआवजा दिया जाए. उपभोक्ता ने यह रकम ब्याज के साथ मांगी थी.

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बैंक ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि उपभोक्ता को विवादित विथड्रॉल का एसएमएस अलर्ट भेजा गया था. ऐसे में उस उपभोक्ता को तुरंत अपना खाता ब्लॉक कराने का अनुरोध करना था. जब उपभोक्ता ने एसएमएस अलर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो ऐसे में बैंक उसको हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं है.

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बैंक की दलील पर हाईकोर्ट ने कहा- एक चीज तय है कि जब एक बैंक अपने उपभोक्ता को सेवाएं उपलब्ध करा रहा है, तब उस पर यह जिम्मेदारी है कि वह अपने उपभोक्ता के हितों का ध्यान रखने के लिए वाजिब कदम उठाए.

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कोर्ट ने कहा, "यहां पर यह कहना जरूरी नहीं है कि बैंक पर यह जिम्मेदारी है कि वह अपने उपभोक्ता के खाते से गलत ढंग से हुए विथड्रॉल को रोकने के लिए कदम उठाए. हम बैंक को केवल उसकी जिम्मेदारियों का अहसास दिला रहे हैं, कोई नई जिम्मेदारी या अधिकार नहीं दे रहे हैं. अगर किसी उपभोक्ता को जालसाज द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन से घाटा होता है तो यह माना जाएगा कि बैंक ऐसा सिस्टम नहीं बना पाया, जिसमें ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें. "