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बैंकों और इंडस्ट्री की उम्मीदों के बावजूद 8 फरवरी की बैठक में RBI नहीं करेगा ब्याज दरों में कोई बदलाव

नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुई पर्याप्त नकदी और तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बाद महंगाई में होने वाली संभावित बढ़ोतरी को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की बैठक में ब्याज दरों में बदलाव किए जाने की कम ही संभावना है।

Updated on: 05 Feb 2017, 01:30 PM

highlights

  • नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुई पर्याप्त नकदी और तेल की बढ़ी कीमतों के बाद ब्याज दरों में नहीं होगा बदलाव
  • ब्याज दरों को लेकर आरबीआई की बैठक अगले हफ्ते बुधवार को होने जा रही है

New Delhi:

नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुई पर्याप्त नकदी और तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बाद महंगाई में होने वाली संभावित बढ़ोतरी को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की बैठक में ब्याज दरों में बदलाव किए जाने की कम ही संभावना है।

ब्याज दरों को लेकर आरबीआई की बैठक अगले हफ्ते बुधवार को होने जा रही है। हालांकि लगातार तीसरे महीने सर्विस सेक्टर में आई गिरावट के बाद ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ गई है।

नोटबंदी के बाद बैंकों के पास पर्याप्त नकदी जमा हुई है। इसकी वजह से बैंक पिछले महीने कर्ज दरों में 1 फीसदी तक की कटौती कर चुके हैं। हालांकि बैंक और इंडस्ट्री लगातार रीपो रेट में कटौती की मांग कर रहे हैं लेकिन उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी 8 फरवरी को होने वाली बैठक में ब्याज दरों को लेकर सतर्क रुख अपना सकते हैं।

कच्चे तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद शुरु की गई संरक्षणवादी नीतियों की वजह से आरबीई ब्याज दरों को पहले के स्तर पर बनाए रख सकता है।

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कच्चे तेल की कीमतें प्रति बैरल 56.8 डॉलर हो चुकी है और इससे भारत समेत अन्य देशों के आयात बिल पर बुरा असर पड़ेगा। बंधन बैंक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर चंद्र शेकर घोष ने कहा फंड की उपलब्धता की वजह से बैंकों की तरफ से ब्याज दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद कम ही है।

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की सिफारिशों के आधार पर यह आरबीआई की तीसरी बैठक होगी। पटेल ने पहली नीतिगत बैठक में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करते हुए इसे घटाकर 6.25 फीसद कर दिया था। वहीं दिसंबर महीने की बैठक में दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। जनवरी 2015 के बाद से आरबीआई ब्याज दरों में 1.75 फीसदी की कटौती कर चुका है।

वहीं फिक्की के मुताबिक भी आरबीआई की तरफ से ब्याज दरों में कटौती किए जाने की संभावना न के बराबर है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने 2021 तक के लिए खुदरा महंगाई दर को 4 फीसदी (+-2 फीसदी) रखे जाने का लक्ष्य तय किया है। दिसंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 5.61 फीसदी रही है। इस आधार पर आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल है।

आरबीआई खुदरा महंगाई दर के आधार पर ब्याज दरों को तय करता है।

हालांकि बैंक आऱबीआई से ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के कार्यकारी निदेशक आर के गुप्ता ने कहा, 'हम आरबीआई से ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद करते हैं।'

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