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RBI ने नहीं किया ब्याज दरों में बदलाव, महंगाई बढ़ने के बताए कारण

आरबीआई ने अप्रैल से सितंबर के बीच मंहगाई के 5.1 से 5.6 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है।

Updated on: 07 Feb 2018, 10:33 PM

नई दिल्ली:

वित्तवर्ष 2017-18 की चौथी और आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फ़ैसला किया है।

आरबीआई के इस फैसले के बाद रेपो रेट 6% रिवर्स रेपो रेट 5.75%, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट 6.25% और बैंक रेट 6.25% की मौजूदा दर पर ही बकरकार रहेगा।

आरबीआई ने लगातार चौथी बार कम समय की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा के कारण महंगाई बढ़ने की आशंकाओं से ब्याज दर को यथावत रखा है। 

आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि औसत महंगाई दर को चार फीसदी रखने के लक्ष्य के मद्देजनर यह फैसला किया गया है। 

खाद्य पदार्थो व ईंधन की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण दिसंबर 2017 में सालाना महंगाई दर बढ़कर 5.21 फीसदी हो गई, जबकि नवंबर में यह 4.88 फीसदी थी। 

आरबीआई ने अप्रैल से सितंबर के बीच मंहगाई के 5.1 से 5.6 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है। इसके साथ ही सीआरआर 4% और एसएलआर 19.5% तय किया गया है।

बता दें कि इस बुधवार को बैठक से पहले ही अनुमान लगाया जा रहा था कि आरबीआई ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।

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एसोचैम के मुताबिक, आम बजट 2018-18 में कृषि क्षेत्र को समर्पित प्रस्तावों से महंगाई बढ़ सकती है, लेकिन आरबीआई को आगामी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करनी चाहिए।

एसोचैम ने एक बयान में कहा, 'आरबीआई को बॉन्ड बाजार से उच्च आय के दबाव व किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में संशोधन करने को लेकर ज्यादा प्रतिक्रियाशील नहीं होना चाहिए और सात फरवरी को होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में प्रमुख ब्याज दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि करने से बचना चाहिए।'

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को अगले वित्तवर्ष के लिए आम बजट पेश करते हुए किसानों को उनकी फसलों की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने की घोषणा की थी। इसके अलावा कृषि क्षेत्र के बजटीय आवंटन में भी पांच फीसदी का इजाफा कर दिया।

जेटली ने वित्तवर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे में भी बढ़ोतरी की घोषणा की और कहा कि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 फीसदी रह सकता है। इससे पहले राजकोषीय घाटा चालू वित्तवर्ष में 3.3 फीसदी रहने की बात कही गई थी।

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