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एक्शन में RBI: मार्च 2019 तक निपटा दिया जाएगा बैंकों के 8 लाख करोड़ रुपये का NPA

बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश के बाद शक्तिशाली हुआ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) करीब 8 लाख करोड़ रुपये के एनपीए को लेकर सख्त फैसले की योजना बना चुका है।

Updated on: 17 Jul 2017, 08:13 AM

highlights

  • भारतीय रिजर्व बैंक करीब 8 लाख करोड़ रुपये के एनपीए को लेकर सख्त फैसले की योजना बना चुका है
  • मार्च 2019 तक आरबीआई करीब 8 लाख करोड़ रुपये के एनपीए को निपटाने की योजना बना चुका है

नई दिल्ली:

बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश के बाद शक्तिशाली हुआ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) करीब 8 लाख करोड़ रुपये के एनपीए को लेकर सख्त फैसले की योजना बना चुका है। बैंकिंग नियमन अध्यादेश के बाद आरबीआई को डूब चुके कर्जों को वसूलने के मामले में अतिरिक्त शक्तियां मिल गई है।

एसोचैम की एक स्टडी में कहा गया है कि मार्च 2019 तक आरबीआई करीब 8 लाख करोड़ रुपये के एनपीए को निपटाने की दिशा में सख्त कदम उठा सकता है ताकि बैंकों की सेहत में सुधार किया जा सके।

'एनपीए रिजॉल्यूशन, लाइट एट द एंड ऑफ टनल बाई मार्च 2019' के नाम से जारी रिपोर्ट में कहा गया है, 'यह माना जा सकता है कि 2019-20 की पहली तिमाही तक बैंकों के एनपीए की समस्या का अधिकांश तौर पर समाधान कर लिया जाएगा।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल एनपीए को दीवालिय कानून के तहत लाया जा सकता है। हालांकि यह देखना होगा कि कितनी तेजी से यह वास्तव में बैंकों के बैलेंस सीट से हटता है। देश के बैंकों का कुल 8 लाख करोड़ रुपये एनपीए के रूप में फंसा हुआ है। इसमें से 6 लाख करोड़ रुपये देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है।

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देश के 27 सरकारी बैंकों ने 2016-17 में 1.5 लाख रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट कमाया लेकिन प्रॉविजनिंग की वजह से बैंकों का मुनाफा घटकर महज 574 करोड़ रुपये हो गया।

अध्यादेश लाए जाने के बाद पहली बार आरबीआई ने देश के उन 12 खातों की पहचान की थी, जिनमें 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था और यह देश के कुल एनपीए का 25 फीसदी यानी 2 लाख करोड़ रुपये था। इन सभी खातों को बैंक ने दीवालिया कानून के तहत लाकर फंसे हुए कर्ज की वसूली शुरू कर दी है।

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